Move to Jagran APP

सपनों को चली छूने

इस पुरुष प्रधान समाज में नारी स्वतंत्रता और समानता जैसे नारे तब तक खोखले नजर आएंगे जब तक कि समाज इसके लिए तैयार नहीं हो जाता, खासकर लड़कियों के संदर्भ में जिन्हें इस समाज में जीना है। स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से अनेक सराहनीय प्रयास हो रहे हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 28 Feb 2015 11:23 AM (IST)Updated: Sat, 28 Feb 2015 11:27 AM (IST)
सपनों को चली छूने

इस पुरुष प्रधान समाज में नारी स्वतंत्रता और समानता जैसे नारे तब तक खोखले नजर आएंगे जब तक कि समाज इसके लिए तैयार नहीं हो जाता, खासकर लड़कियों के संदर्भ में जिन्हें इस समाज में जीना है। स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से अनेक सराहनीय प्रयास हो रहे हैं। सरकार भी इस दिशा में कानून एवं योजनाओं को लागू करने का पूरा प्रयास कर रही है, लेकिन हम स्त्री समानता के मामले में काफी पीछे हैं। आवश्यकता है ऐसे कार्यक्रमों की जो लोगों की मानसिकता बदलने के साथ लड़कियों में भी यह अहसास जगाए कि समाज के विकास में उनकी समान भागीदारी है और वे पुरुषों के मुकाबले कम नहीं हैं।

loksabha election banner

‘सपनों को चली छूने’ ऐसा ही एक सफल प्रयास है, जो जागरण पहल के द्वारा विगत छह वर्षों से बिहार के विभिन्न महाविद्यालयों में चलाया गया है। इस परियोजना का जन्म बिहार के एक दूरस्थ जिले से एक लड़की द्वारा लिखे गए पत्र पर आधारित है। यह पत्र संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) को संबोधित था जिसमें लिखा था कि लड़कियां पढ़-लिखकर भी भाइयों के समान सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकती हैं। लड़की होने का अभिशाप समाज में हर जगह झेलना पड़ता है। वह आवाज उठाना चाहती थी, लेकिन कोई मंच नहीं दिख रहा था। उसके हृदय में रोष था-परिवार के प्रति, समाज के प्रति, सरकार के प्रति। यहीं से ‘सपनों को चली छूने’ परियोजना का आरंभ हुआ। इस परियोजना का मूल उद्देश्य है

’ कॉलेजों में संरचनात्मक एवं रोचक कार्यक्रम के माध्यम से महिला सशक्तीकरण से जुड़े बिंदुओं पर छात्राओं को अधिक-से-अधिक जानकारी देना व जागरूकता फैलाना।

’ समाज के प्रबुद्ध वर्ग, शिक्षक, समाजसेवी एवं जुझारू प्रवक्ताओं तथा पत्रकारों के माध्यम से उन छात्राओं की पहचान करना जो भविष्य में परिवर्तनकारी नेतृत्व की क्षमता रखती हों।

‘सपनों को चली छूने’ परियोजना हमारे समाज द्वारा नारी को पहनाई गई बेड़ियों की चाभी है। इस परियोजना के माध्यम से उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर समान अधिकार दिलाने का प्रयास किया जाता है। अब तक इस परियोजना के माध्यम से महिला सशक्तीकरण के बारे में लगभग 1,20,000 छात्राओं को जागरूक किया गया तथा 120 स्थानीय युवा नेत्रियों का चयन कर परिवर्तन दूत की उपाधि दी गई। इस परियोजना के अंतर्गत सिर्फ छात्राओं को कोरे भाषण ही नहीं सुनाए गए, बल्कि उनकी पूरी सहभागिता रहती है, वे स्वयं प्रशासनिक, वित्तीय एवं अन्य व्यवहारिक समस्याओं से रू-ब-रू होती हैं। उनकी व्यक्तिगत क्षमता के विकास के साथ-साथ उन्हें अंशदान (मिनी ग्रांट) के माध्यम से उनके सर्वांगीण कौशल विकास के लिए प्रयत्न किया जाता है। इसके अंतर्गत परियोजना विकास से परियोजना क्रियान्यवयन तक का कार्य उन्हें ही करना पड़ता है। छात्राओं को राज्यस्तरीय सम्मान देकर उनके आत्मविश्वास को नई उड़ान भरने का हौसला दिया जाता है। दैनिक जागरण, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए), महिला विकास निगम, बिहार एवं अन्य संस्थाओं के अंदर चुनी गयी छात्राओं को इंटर्नशिप भी दी जाती है।

इस कार्यक्रम में भाग लेने वाली छात्राओं में से अधिकांश पहली बार घर से बाहर निकलीं, कुछ पहली बार पटना आईं, कुछ ने पहली बार ट्रेन यात्रा की और कुछ ने पहली बार हवाई जहाज की। इनमें से एक छात्रा यूथ पियर लीडर ट्रेनिंग में विदेश यात्रा भी कर आई। इस परियोजना ने छात्राओं को जीवन का हर रंग दिखाने का प्रयास किया। छात्राओं को इस कार्यक्रम के अंर्तगत उनके महाविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, महत्वपूर्ण व्यक्तियों, स्वयंसेवी संस्थाओं, राजनीतिज्ञ प्रतिनिधियों, मशहूर हस्तियों एवं विशेषज्ञों के साथ भी जोड़ा जाता है।

इस परियोजना को कई हिस्सों में बांटा गया है।

सबसे पहले जिलों का चयन किया जाता है, फिर महाविद्यालयों का। प्रिंसिपल से मिलकर महाविद्यालय के दो शिक्षकों को नोडल अधिकारी के रूप में चुना जाता है। इसके बाद इन शिक्षकों को दो दिनों का क्षमता विकास प्रशिक्षण दिया जाता है। फिर महाविद्यालयों में एक वातावरण तैयार करने का प्रयास किया जाता है जिसमें वाद-विवाद का आयोजन करना, पोस्टर, अखबार, संवाद आदि का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद महाविद्यालयों में एक दिन जेंडर फेयर लगता है। इसमें स्थानीय तथा राज्य स्तरीय एनजीओ, सरकारी विभाग जो महिला सशक्तीकरण पर काम कर रहे हैं, भाग लेते हैं। जेंडर फेयर में नेताओं, गणमान्य महिलाओं, शिक्षाविदों आदि को उद्घाटन समारोह में शामिल किया जाता है। महिलाओं पर काम करने वाली संस्थाएं एवं सरकारी विभाग, अपना स्टॉल लगाते हैं तथा अपने काम को प्रचारित करते है, जिससे लड़कियां ज्यादा-से-ज्यादा सीख सकें। इसी दौरान लड़कियों को एक प्रेरणादायी एवी दिखाई जाती है। फिर शुरू होता है, विशेषज्ञों के साथ संवाद।

दूसरे दिन दो प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिसका विषय रहता है, ‘मैं एक लड़की हूं-मेरा अनुभव’ इसके बाद चयन होता है परिवर्तन दूत का जिन्हें सम्मान के साथ साथ गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। इंटर्नशिप के माध्यम से इनकी छिपी प्रतिभा को उभारने का प्रयास किया जाता है। इसके बाद की कड़ी है अंशदान (मिनी ग्रांट) जिसमें लड़कियां पियर ग्रुप बनाती हैं और पूरी परियोजना खुद करती है। इन्हें परियोजना बनाने से लेकर परियोजना चलाने तक का प्रषिक्षण दिया जाता है। बतौर मुख्यमंत्री नीतीष कुमार इस कार्यक्रम में दो बार शामिल हो चुके हैं। महेश भट्ट, नफीसा अली जैसी हस्तियां भी इस कार्यक्रम में शामिल हो चुकी हैं।

‘सपनों को चली छूने’ के माध्यम से इन छात्राओं के बीच एक नये उत्साह का संचार हुआ है, जो परिवर्तन दूत चुनी गई हैं, उनमें से कई ने जीवन में एक मुकाम हासिल किया है। अपने उद्देश्य के अनुरूप इस योजना ने लड़कियों को आवाज उठाने में सफल बनाया है साथ ही व्यवहारिकता का ज्ञान भी दिया है। ‘सपनों को चली छूने’ आज बिहार में महिला सशक्तीकरण का एक सशक्त अभियान बन चुकी है। इसकी शुरूआत एक छोटे से कार्यक्रम के रूप में हुई थी, लेकिन अब यह आंदोलन का रूप ले चुका है। महिला विकास निगम, बिहार ने इस परियोजना की व्यापकता को पहचाना और अब इस परियोजना को मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के अंतर्गत सहयोग कर रही है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोश आज इसकी एक सहयोगी संस्था है। यह एक सफल परियोजना है जिसके चौथे चरण की शुरुआत होने जा रही है। यह सफल है क्योंकि इसकी सफलता में शिक्षकों, अभिभावकों, प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाओं आदि ने भरपूर सहयोग दिया। बैनर से उपर उठकर मीडिया ने इसको कवर किया तथा अपनी सहभागिता दिखाई। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे पहचान मिली। बिहार में आज जागरण पहल से ज्यादा लोग ‘सपनों को चली छूने’ परियोजना को जानते हैं। आवश्यकता है कि इस परियोजना को व्यापकता से किया जाए तथा दूसरे राज्यों में भी इसकी शुरुआत हो।

आनन्द माधव

मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जागरण पहल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.