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मुश्किल दौर का सहारा इमरजेंसी फंड

बढ़ती महंगाई के साथ हमारी जरूरतें भी उसी तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में अचानक सामने आने वाले खर्चों से सारा बजट हिल जाता है। ऐसी ही समस्याओं से निबटने के लिए इमरजेंसी फंड का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि आज की बचत कल की सुरक्षा है। अब सवाल यह उठता है कि हमें अपने लिए इमरज

By Edited By: Published: Mon, 29 Sep 2014 01:49 PM (IST)Updated: Mon, 29 Sep 2014 01:49 PM (IST)
मुश्किल दौर का सहारा इमरजेंसी फंड

बढ़ती महंगाई के साथ हमारी जरूरतें भी उसी तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में अचानक सामने आने वाले खर्चों से सारा बजट हिल जाता है। ऐसी ही समस्याओं से निबटने के लिए इमरजेंसी फंड का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि आज की बचत कल की सुरक्षा है। अब सवाल यह उठता है कि हमें अपने लिए इमरजेंसी फंड का निर्माण किस तरह करना चाहिए? अगर आप चाहें तो यहां बताए गए कुछ सुझावों पर अमल करके अपने इमरजेंसी फंड को मजबूत बना सकती हैं।

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आकलन मासिक आय-व्यय का

इमरजेंसी फंड तैयार करने से पहले एक ऐसी सूची बनाएं, जिसमें हर महीने होने वाली कुल आमदनी और खर्च का स्पष्ट विवरण हो। इस सूची में कार, मकान और अन्य कर्जे के लिए चुकाई जाने वाली किस्तें भी शामिल होनी चाहिए। अपनी सभी जरूरतों को अनिवार्य, आपातकालीन और टालने योग्य खर्चों को तीन श्रेणियों में विभाजित करें। ईएमआई की किस्तों और अनिवार्य घरेलू खर्चों का कुल योग निकालें। इस तरह आपको हर महीने होने वाले जरूरी खर्चे का सही हिसाब मिल जाएगा। इस खर्च के अलावा आपके पास जो भी राशि बचती है, उसका इस्तेमाल आकस्मिक जरूरतों के लिए कर सकती हैं।

विश्लेषण आमदनी का

यदि कोई नौकरी के बजाय बिजनेस या फ्रीलांस जॉब करता है तो उसकी आमदनी हर महीने अलग-अलग हो सकती है, क्योंकि बोनस और लाभांश जैसे माध्यमों से भी उसे फायदा मिल सकता है, जो नियमित नहीं होता। यदि आपका अपना बिजनेस है तो पिछले 12 महीनों की शुद्ध मासिक आय का विश्लेषण करके, उसका औसत निकाल लें। यदि आप वेतनभोगी हैं तो केवल अपने निश्चित वेतन पर ही भरोसा करें, अनिश्चित आय पर नहीं। आपका वेतन ही आपकी नियमित आय है। याद रखें कि आपके तमाम निवेशों में इमरजेंसी फंड की प्राथमिकता सर्वोपरि होनी चाहिए। इस दौरान अगर आपको किसी दूसरे निवेश को नजरअंदाज करना पडे़ तो उसकी चिंता न करें।

इमरजेंसी फंड की राशि तय करें

हर प्रोफेशन के लोगों के लिए इमरजेंसी फंड की जरूरत अलग-अलग हो सकती है। वैसे, इस संबंध में आदर्श स्थिति यही मानी जाती है कि व्यक्ति के इमरजेंसी फंड में कम से कम छह महीने के अनिवार्य घरेलू खर्च जितनी राशि जरूर होनी चाहिए, लंबी बीमारी या दुर्घटना जैसी स्थितियों की वजह से अगर कोई व्यक्ति काम करने में असमर्थ हो तो उससे उबरने के लिए यह अवधि पर्याप्त होती है।

निवेश के लिए चुनें सही विकल्प

प्रतिमाह के घरेलू खर्चों में कटौती करने के बाद आपको तय करना है कि इमरजेंसी फंड की राशि का निवेश कैसे करेंगी? वैसे बेहतर निवेश वही है, जिस पर अच्छा रिटर्न मिले और उसे कभी भी आसानी से निकाला जा सके। इसके लिए रिकरिंग डिपॉजिट बेहतर विकल्प है। आप चाहें तो स्वयं हर माह बैंक में रिकरिंग डिपॉजिट में पैसे जमा करें या फिर बैंक में संबंधित फार्म भरकर जमा कर दें। इससे प्रतिमाह सेविंग अकाउंट से आप द्वारा निश्चित रकम अपने आप निकलकर रिकरिंग डिपॉजिट खाते में जमा होती जाएगी। इससे आपको अच्छा ब्याज मिल जाता है। आकस्मिक स्थिति में अकाउंट खाली करने पर आपको कोई नुकसान भी नहीं होता। इसी तरह एमओडी (मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट) एकाउंट भी सेविंग अकाउंट से लिंक्ड होता है और इसमें एक निर्धारित राशि से अतिरिक्त रकम हर महीने अपने आप आपके एफडी में जमा होती है। इससे बचत खाते की लिक्विडिटी पर कोई असर नहीं पड़ता और एफडी से अच्छा ब्याज भी मिल जाता है। हालांकि, इस एकाउंट के मामले में हर बैंक की सेवा शर्तें अलग होती हैं। इसलिए किसी भी बैंक में एमओडी अकाउंट खोलने से पहले उसके फायदे-नुकसान को अच्छी तरह समझ लें।

गैर जरूरी खर्च में कटौती

गैर जरूरी खर्च जैसे अनावश्यक शॉपिंग, फिल्में देखना, बाहर खाना और महंगे उपहार देना जैसे खर्चों में कटौती करके प्रतिमाह बचाई गई राशि को जोड़कर उससे निवेश करना शुरू कर दें। अपनी बचत को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने की कोशिश करें। बेहतर यही होगा कि खर्च के बाद बचत के बदले बचत के बाद खर्च की आदत विकसित करें। इस तरह अपनी निवेश योजना पर अमल करने के साथ गैर जरूरी खर्चे से छुटकारा भी पा सकेंगे।

बीमा का सहारा लें

यदि आपकी बचत छोटी हो और ऐसा लगे कि इमरजेंसी फंड तैयार करने में लंबा समय लग सकता है तो बीमा जरूर कराएं। कोई ऐसी मेडीक्लेम पॉलिसी खरीदें, जिसमें आपके पूरे परिवार को सुरक्षा मिले। अगर आपके पास कार है तो अपने बीमा एजेंट से किसी ऐसी पॉलिसी के बारे में जानकारी लें, जिसमें दुर्घटना होने की स्थिति में कार चलाने वाले व्यक्ति को भी बीमा का कवरेज मिले।

इन बातों का ध्यान रखने के बाद आपके पास आकस्मिक परेशानियों से निबटने के लिए एक ठोस आधार मौजूद होगा, लेकिन इसके साथ ही इमरजेंसी फंड की जरूरतों का मूल्यांकन भी बहुत जरूरी है, क्योंकि बढ़ती महंगाई के कारण आज जो राशि खर्च के लिए पर्याप्त है, पांच साल बाद वह कम पड़ जाएगी। इसलिए जब आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो तो इमरजेंसी फंड में भी जरूरी बदलाव लाएं, ताकि आकस्मिक स्थिति में आपको कर्ज का बोझ न उठाना पडे़।

अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हुए इमरजेंसी फंड तैयार करेंगे तो आकस्मिक परिस्थितियों में कोई परेशानी नहीं होगी।

(हीरेन ढाकन, आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ)


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