सभी ख्वाहिशें पूरी नहीं होतीं
पढ़ाई में बेहतरीन स्टूडेंट, हॉकी की बेहतरीन प्लेयर और सीनियर एडवोकेट गीता लूथरा हाई प्रोफाइल केस के लिए जानी जाती हैं। वैसे भी, एक महिला के लिए अपना प्लेटफॉर्म बनाना आसान नहीं होता है। उससे भी मुशिकल काम है अपने प्लेटफार्म पर कायम रहना। एक महिला को अपना वजूद काय
पढ़ाई में बेहतरीन स्टूडेंट, हॉकी की बेहतरीन प्लेयर और सीनियर एडवोकेट गीता लूथरा हाई प्रोफाइल केस के लिए जानी जाती हैं। वैसे भी, एक महिला के लिए अपना प्लेटफॉर्म बनाना आसान नहीं होता है। उससे भी मुशिकल काम है अपने प्लेटफार्म पर कायम रहना। एक महिला को अपना वजूद कायम करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। गीता लूथरा से बातचीत के मुख्य अंश
अपने बारे में बताएं?
मेरे पिता बहुत ही मशहूर वकील थे। वह लोगों की बहुत मदद करते थे। मां लेक्चरर थीं, मगर उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश की खातिर अपना कॅरियर त्याग दिया। हम दो बहने और एक भाई है। सभी काफी पढ़े-लिखे हैं और अच्छे पद पर हैं। मैं पढ़ाई-लिखाई में काफी होशियार थी और हॉकी भी खेलती थी। इसी कारण मुझे दिल्ली स्टेट को चार पांच बार रिप्रजेंट करने का मौका मिला। पिताजी पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट्स के लिए भी बहुत ही प्रोत्साहित करते थे।
आप वकालत के पेशे में कैसे आई?
जब मैं सात साल की थी तभी मैंने डिसाइड कर लिया था कि मुझे वकील ही बनना है। हालांकि मेरे पिता चाहते थे कि मैं आईएएस बनूं और मां चाहती थीं कि वकील बनूं। आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा देने के बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज चली गई।
क्या महिला होने की वजह से इस प्रोफेशन में कोई परेशानी हुई?
अब जाकर यह प्रोफेशन स्त्रियों के लिए खुल रहा है। एक जमाना था, जब स्त्रियों से हारना किसी को भी अच्छा नहीं लगता था। कोई भी पुरूष स्ट्रांग महिला को देखकर कंफरटेबल नहीं रहता था। अगर स्त्री से थोड़ा सा भी चूक हो जाए तो बहुत बड़ी बात होती थी। मेरी भी जर्नी बहुत ही कठिन रही है।
आपके प्रेरणास्रोत कौन हैं?
मेरे पैरेंटस ही प्रेरणास्रोत हैं। मेरी मां एक देवी की तरह हैं। हालांकि मेरे व्यक्तित्व पर पिता का बहुत प्रभाव है।
कॉलेज से जुड़ी हुई कोई खास बात?
एलएसआर कॉलेज की सुंदरमनी लूथरा हमारी प्रिंसिपल थीं। वह मुझे बहुत प्यार करती थीं। हॅाकी खेलने के लिए मैं शॉर्ट्स पहनकर ही जाती थी। उस जमाने में शॉर्ट्स पहनना सबसे बड़ी बात मानी जाती थी। मैं खेलने के बाद शॉर्ट्स में ही क्लास में चली जाती थी। मेरी प्रिंसिपल अन्य लड़कियों को तो डांटती थीं, लेकिन मुझे कभी नहीं। हॉकी में मुझे इतना इंटरेस्ट था कि जब मैं सुबह सोकर उठती थी तो सीधे हॉस्टल जाकर लड़कियों को हॉकी खेलने के लिए उठाती थी। कैम्ब्रिज से भी जुड़ी बहुत सी यादें हैं। मेरा मानना है कि एक बार स्टूडेंट्स को कैम्ब्रिज जाकर देखना चाहिए, क्योंकि एक तो वहां का माहौल बहुत ही अच्छा है और दूसरा जगह भी बहुत ही खूबसूरत है।
आए दिन महिलाओं के साथ जघन्य अपराध हो रहे हैं। इस बारे में क्या सोचती हैं?
ये बहुत ही घिनौनी हरकतें हैं और यह बहुत ही अफसोस की बात है कि ये घटनाएं दिनों दिन बढ़ती ही जा रही हैं। हमारा जो इंडियन वैल्यूज हैं वे अब खत्म होती जा रही हैं।
देश के जो मौजूदा हालात हैं। उसके बारे में क्या विचार हैं?
हम आम आदमी की परेशानियों को भूल गए हैं।
गंभीर अपराधों में किशोरों के शामिल होने पर बालिग अपराधियों जैसा बर्ताव होना चाहिए। इस बारे में क्या सोचती हैं?
नाबालिग की उम्र 18 ही होनी चाहिए। आज इस बात की जरूरत है कि मनोचिकित्सकों और चाइल्ड काउंसलर्स को एक साइकोलॉजिकल स्टडी करनी चाहिए कि अब बच्चे जल्दी बड़े हो रहे हैं। उसके बाद ही हम लोग सोच सकते हैं कि नाबालिग की उम्र 18 या 16 होनी चाहिए। यह याद रखें कि हर साल दो साल के बाद कानून में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
आपका जीवन दर्शन क्या है?
यदि हम किसी के विचारों से सहमत नहीं हैं तो भी कभी गुस्सा नहीं करना चाहिए। हम देखते हैं कि इन दिनों समाज में धैर्य की बहुत कमी आ गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि व्यक्ति में आत्मविश्वास के साथ विनम्रता भी होनी चाहिए। कुछ समय पहले यूके से एक जज साहब आए थे। वह सभी से इतने प्यार से बात कर रहे थे कि लगा ही नहीं था कि उन्हें अपने पद का कोई गुरूर है।
कोई ख्वाहिश जो अब तक पूरी न हुई हो?
भगवान की बहुत बड़ी दया है। फिर भी हर आदमी की यह इच्छा होती है कि वह जितनी मेहनत कर रहा है, कम से कम उसका फल तो उसे जरूर मिलना चाहिए।
क्या आप मानती हैं कि इस जीवन का कोई खास मकसद है?
हां, दूसरे को खुशी देना ही सबसे बड़ी बात है। इससे दुखी व्यक्ति थोड़ी देर के लिए अपना दूख भूल जाता है।
आपके फेवरेट वकील कौन हैं और क्यों?
मेरे फादर ही मेरे सबसे फेवरेट वकील हैं। उनका बहुत नाम था, क्योंकि क्रॉस एग्जामिनेशन में उनका कोई सानी ही नहीं था।
अपने को तनाव मुक्त रखने के लिए क्या करती हैं?
अपने को तनाव मुक्त रखने लिए मैं गोल्फ खेलती हूं और वॉक भी करती हूं। इसके अलावा स्टोरी बुक भी पढ़ती हूं। लोगों से अपने दिल की बात भी कर लेती हूं, क्योंकि इससे मन थोड़ा हल्का हो जाता है।
अपनी दिनचर्या के बारे में बताएं?
मेरी दिनचर्या सुबह आठ बजे से शुरू हो जाती है। मैं रोज सुबह डेढ़ घंटा पढ़ती हूं। उसके बाद तैयार होकर कोर्ट चली जाती हूं। फिर वहां से शाम छह बजे लौटती हूं तो रास्ते में ही लोदी गार्डेन में सैर कर लेती हूं। मैं रोज मम्मी से मिलने के लिए जरूर जाती हूं। रात में दस-ग्यारह बजे तक अपना काम खत्म करके, फिर स्टडी करती हूं। उसके बाद एक-दो बजे के करीब सोने के लिए जाती हूं।
आपकी हॉबी क्या है?
हॉकी, स्वीमिंग, रीडिंग, गोल्फ खेलना और घूमने का मुझे बेहद शौक है। छुट्टियों में बीस-पच्चीस दिनों के लिए बाहर घूमने के लिए चली जाती हूं। मुझे समुद्री बीच और पहाड़ बहुत पसंद हैं। विदेश में मुझे लंदन और कैम्ब्रिज बहुत पसंद है तो भारत में गोवा।
आप शाकाहारी हैं या मांसाहारी?
मैं शाकाहारी हूं। मुझे राजमा-चावल, काले चने और कटहल बेहद पसंद है। मीठा बिल्कुल पसंद नहीं है, मगर नमकीन में सब कुछ अच्छा लगता है। इसके अलावा इटैलियन और चाइनीज भी अच्छा लगता है।
क्या आप फिल्में देखती हैं?
बहुत कम देखती हूं। वैसे, भारतीय फिल्मों में मुझे तीन फिल्में बहुत पसंद हैं, जैसे रंग दे वसंती, चक दे इंडिया और भाग मिल्खा भाग। अंग्रेजी की कॉमेडी और रोमांटिक फिल्में पसंद हैं।
अपनी ड्रेस को लेकर कितनी संजीदा हैं?
बिल्कुल नहीं हूं। मैंने ड्रेस को कभी महत्व नहीं दिया है। आदमी को अच्छा ड्रेसअप करना चाहिए, लेकिन मैं नहीं कर पाती हूं।
क्या आप खाना बनाना जानती हैं?
मुझे खाना बनाने का शौक है, लेकिन जब मैं इंडिया में रहती हूं तो मुझे खाना बनाने का मौका ही नहीं मिलता है। छुट्टियों में जब मैं बाहर जाती हूं तो वहां अपना यह शौक पूरा कर लेती हूं।
महिलाओं के लिए कोई संदेश देना चाहेंगी?
महिलाओं को अच्छा और कामयाब होने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ेगी। महिलाओं को करुणा, दया, विनम्रता और अपने मूल्यों को कायम रखना चाहिए। तभी इंसान खुश और शांत रह सकता है।
(छाया एस. पी. सिंह)