डेडलाइन की वैल्यू
किसी भी काम को पूरा करने का एक वक्त होता है। तय समय के बाद या फिर काफी विलंब से होने पर कई चीजें प्रभावित होती हैं। डेडलाइन के महत्व और काम को तय वक्त के भीतर पूरा करने के टिप्स बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव.. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकारी विभागों में मंत्रियों, अधिकारियों से लेकर बाबुओं की समय से उपस्थिति सुनिश्ि
किसी भी काम को पूरा करने का एक वक्त होता है। तय समय के बाद या फिर काफी विलंब से होने पर कई चीजें प्रभावित होती हैं। डेडलाइन के महत्व और काम को तय वक्त के भीतर पूरा करने के टिप्स बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव..
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकारी विभागों में मंत्रियों, अधिकारियों से लेकर बाबुओं की समय से उपस्थिति सुनिश्चित कराने के बाद अब तमाम योजनाओं को तय समय से पहले पूरा करने का अभियान शुरू कर दिया है। इसके लिए सभी विभागों को कारगर एक्शन प्लान बनाने और इसे 'रिजल्ट फ्रेमवर्क डाक्यूमेंट (आरएफडी) के जरिए बताने का निर्देश दिया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि देश में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े लगभग 6 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पिछली सरकारों के समय से लंबित पड़े हैं। अब मोदी सरकार इन्हें तेजी से आगे बढ़ाने में जुटी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि मंत्रालयों से नियमित चर्चा के दौरान मोदी बेहतर गवर्नेस के साथ-साथ टाइम बाउंड वर्क प्लान पर जोर देते रहे हैं। इस प्रक्रिया में उन्होंने हाल में डीआरडीओ के साइंटिस्ट्स से बातचीत के दौरान उनसे पूछा था कि क्या हम कुछ ऐसा कर सकते हैं कि जिससे जो काम हमें 2020 में पूरा करना है, उसे 2018 में ही पूरा कर सकें। मोदी सरकार का यह रुख निश्चित रूप से वर्क-कल्चर में एक बड़े बदलाव का संकेत है।
लेट-लतीफी की आदत
किसी सड़क, पुल, फ्लाईओवर या रेल परियोजना पर काम होते आप अक्सर देखते होंगे। सालों तक खिंचते निर्माण कार्य की वजह से होने वाले जाम और अन्य परेशानियों से आए दिन आपका साबका भी पड़ता होगा। रोजमर्रा की इस परेशानी से आपको झुंझलाहट भी होती होगी। पर आप लाचार होते हैं। चाहकर भी कुछ नहीं करपाते। हां, संबंधित विभाग को भला-बुरा कहकर आप अपने मन की भड़ास जरूर निकाल लेते होंगे। हमारे देश में आमतौर पर इस तरह की परियोजनाएं अक्सर अपने तय वक्त से काफी विलंब से तैयार हो पाती हैं। इस आम परिपाटी के विपरीत किसी प्रोजेक्ट के तय वक्त पर या उससे पहले तैयार हो जाने की खबर आपको अचरज में डाल देती है। यह विडंबना ही है कि डेडलाइन से पहले काम पूरा करने को अपनी ड्यूटी न मानकर करिश्मा मान लिया जाता है और इसके लिए किसी एक शख्सियत को श्रेय दिया जाता है। जैसे पहली बार दिल्ली में जब मेट्रो की सीटी तय वक्त से पहले बज गई थी, तो इसका श्रेय डीएमआरसी के तत्कालीन प्रमुख श्रीधरन को दिया गया था, हालांकि यह उचित ही था। जाहिर है कि तय वक्त पर काम न होने से परियोजना की लागत में कई गुना की बढ़ोत्तरी तो हो ही जाती है, लोगों को जो परेशानियां होती हैं सो अलग। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि कोई प्रोजेक्ट अपने तय समय पर क्यों नहीं पूरा हो पाता? इसके लिए कौन जिम्मेदार होता है? कमियों को दूर कर और कर्मठता से काम करके किसी भी प्रोजेक्ट को तय वक्त पर या उससे पहले पूरा किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए संबंधित लोगों को अपनी जिम्मेदारी का ध्यान रखना होगा।
क्यों होती है देर?
आप किसी छोटी कंपनी में काम करते हों या कॉरपोरेट/एमएनसी में या फिर गवर्नमेंट विभाग में, वहां किसी काम को लटकाने का मतलब होता है कि अपने साथ-साथ संस्थान की साख को भी खराब करना। आपको जो भी काम दिया गया है, उसे करने से पहले अगर यह सोचेंगे कि अभी तो बहुत वक्त पड़ा है। कल कर लेंगे। ऐसे में यह कल कभी नहीं आता और एक समय ऐसा भी आता है, जब सिर पर तलवार लटक जाती है और आपको किसी भी तरह वह काम पूरा करके देना ही होता है। जरा सोचें, ऐसे में क्या आप उस काम को तसल्ली से कर सके? क्या जो रिजल्ट मिलना चाहिए था, वह मिला? क्या आप खुद अपने प्रदर्शन से खुश हैं? जाहिर है सारे जवाब नहीं में होंगे। ऐसे में कितनी गिल्टी महसूस होती है। पर क्या आप आगे के लिए इससे कोई सबक लेते हैं? शायद नहीं। तभी तो आगे चलकर फिर वही रवैया अपनाते हैं, यानी इस तरह की कार्यशैली आपकी आदत में शुमार हो जाती है। अगर यह आदत आपकी भी है, तो समय रहते संभल जाएं, अन्यथा इसका खामियाजा आपको कम इंक्रीमेंट और प्रमोशन से वंचित रहने के रूप में या फिर इससे भी कहीं ज्यादा भुगतना पड़ सकता है।
डेडलाइन का मैनेजमेंट
व्यक्तिगत रूप से आपको या फिर आपकी टीम को जब कभी कोई प्रोजेक्ट मिलता है, उसी समय उसका वर्क-प्लान तैयार कर लें। उसके लिए जिन संसाधनों की जरूरत हो, उसे जुटाना आरंभ कर दें। अगर उसमें किसी कलीग या किसी दूसरे विभाग के सहयोग की जरूरत हो, तो उससे भी समय से इंटरैक्शन-टाइअप कर लें। काम पूरा करने के लिए संस्थान से जो डेडलाइन मिली हो, अपनी डेडलाइन उससे पहले की रखें, ताकि काम को क्रॉस-चेक करने का पर्याप्त समय रहे। इस तरह किसी भी प्रोजेक्ट पर स्ट्रेटेजी बनाकर नियमित रूप से काम करेंगे, तो वह न केवल समय पर पूरा होगा, बल्कि इससे कंपनी में आपकी अलग साख और पहचान भी बनेगी। आप मैनेजमेंट की नजर में रहेंगे।
जिम्मेदारी का हो एहसास
कई बार यह देखने में आता है कि कुछ कर्मचारियों को उनके रूटीन काम के लिए भी बार-बार याद दिलाना पड़ता है। अगर उन्हें रिमांइड न कराया जाए, तो वे उसे प्राय: भूले रहते हैं। यह रवैया जान-बूझकर हो या अनजाने में, दोनों ही स्थितियों में कर्मचारी के कैजुअल अप्रोच को दर्शाता है। ऐसा करके वह एम्पलॉयी अपनी ही इमेज बिगाड़ने का काम करता है। होना तो यह चाहिए कि आपको जो भी जिम्मेदारी दी गई हो, उसके लिए बॉस या सीनियर्स को याद न दिलाना पड़े। उससे जुड़े कामों को समय से पूरा करने की पूरी जिम्मेदारी आपकी ही होती है। हां, अगर उसमें किसी बड़े फैसले की बात आड़े आती हो, तो भी आप समय रहते उसका सॉल्यूशन लेकर सीनियर्स से मिलें। इसके अलावा, सिर्फ अपने रूटीन के कामों में खुद को बिजी रखने-दिखाने की बजाय आप नियमित अंतराल पर कुछ नया करने की पहल भी करें। इस बारे में अपनी राय/सुझाव से मैनेजमेंट को अवगत कराते रहें। कोई नया काम दिए जाने पर वर्क लोड का रोना रोने की बजाय उत्साह के साथ उसे स्वीेकार करें।
टीम के साथ बॉन्डिंग
आपके काम में अन्य सहयोगियों या विभागों के सहयोग की जरूरत पड़ती होगी। ऐसे में जरूरी है कि आप इंटरैक्शन के लिए उनके साथ आत्मीयता से पेश आएं, न कि अधिकार से। आपके आत्मीय और सहयोगी माहौल से टीम मेंबर्स के बीच अच्छा माहौल बनेगा, जिससे काम को बेहतर ढंग से और समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी।
* काम को कल पर टालने की बजाय आज, बल्कि अभी करने के सिद्धांत पर अमल करें।
* इस तरह की स्मार्ट स्ट्रेटेजी बनाएं, जिससे कोई भी काम अपनी डेडलाइन से पहले पूरा कर सकें।
* कलीग्स, टीम मेंबर्स और दूसरे विभागों के साथ अपने अच्छे व्यवहार और बेहतर तालमेल से किसी भी प्रोजेक्ट को डेडलाइन से पहले पूरा किया जा सकता है।
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