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...ताकि न लेना पडे़ यू टर्न

पढ़ाई के दौरान या फिर नौकरी की शुरुआत करते समय एक गलत मोड़ आपके पूरे जीवन को प्रभावित कर सकता है। दूसरों को देख कर या उनसे प्रभावित होकर कदम उठाने की बजाय अगर आप खुद की पसंद को ठीक से समझते हुए उपयुक्त दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2015 12:37 AM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2015 12:43 AM (IST)
...ताकि न लेना पडे़ यू टर्न

पढ़ाई के दौरान या फिर नौकरी की शुरुआत करते समय एक गलत मोड़ आपके पूरे जीवन को प्रभावित कर सकता है। दूसरों को देख कर या उनसे प्रभावित होकर कदम उठाने की बजाय अगर आप खुद की पसंद को ठीक से समझते हुए उपयुक्त दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो आपके कामयाब होने की उम्मीदें कई गुना बढ़ जाती हैं। पसंद के विपरीत राह पर चलने से बचना चाहते हैं, तो पहले ही सोच-विचार कर लें और जरूरत महसूस हो, तो विशेषज्ञों से राय-मशविरा भी कर लें। पढ़ाई और करियर की दिशा समझ-बूझ के साथ चुनना क्यों जरूरी है, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव...

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लखनऊ की शिवांगी को उसके पापा सीपीएमटी की तैयारी कराना चाहते थे। वह उसे अच्छी कोचिंग दिलाना चाहते थे। उन्होंने सुन रखा था कि कोटा में इसके लिए कई अच्छे कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं। एक दिन वह शिवांगी को लेकर कोटा चल दिए। वहां एक नामी संस्थान में एडमिशन कराने के बाद उसे हॉस्टल भी दिलवा दिया और बेटी के बेहतर भविष्य के बारे में सपने देखते हुए वह वापस लौट गए। शुरुआत में शिवांगी भी काफी खुश थी। लेकिन दस दिन बीतते-बीतते उसका मन उचटने लगा। कोचिंग में भी उसका मन नहीं लगता था, घर की याद आती थी सो अलग। महीना बीतते-बीतते उसे लगने लगा कि उससे सीपीएमटी की तैयारी नहीं हो सकेगी। आखिर में उसके पापा को उसे लेकर बीच में ही वापस लखनऊ लौटना पड़ा।

दूसरी केस स्टडी जयपुर में रहने वाले मयंक की है। बारहवीं के बाद उसके पिता ने देहरादून स्थित एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज के पांच वर्षीय एलएलबी कोर्स में उसका एडमिशन करा दिया। पिता अपने बेटे के बेहतर करियर को लेकर आश्वस्त हो गए थे। अभी कुछ ही दिन खुशी-खुशी बीते थे कि बेटे का फोन आने लगा। उसका मन नहीं लग रहा था। उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की। नई-नई जगह है, पहली बार घर से दूर गए हो, धैर्य रखो, कुछ दिन में मन लगने लगेगा। मयंक ने मन मसोसकर कुछ दिन काटे। पर जब आगे एक-एक दिन काटना मुश्किल लगने लगा, तो उसने पिता से साफ-साफ कह दिया कि वह इस कोर्स को नहीं कर पाएगा। आखिरकार उसके पिता भी उसे लेकर जयपुर लौट गए और वहीं पर एक कॉलेज में एडमिशन करा दिया।

किशोरों का कसूर नहीं

इन दो उदाहरणों में दोनों किशोरों को आप नासमझ, जिद्दी कुछ भी कह सकते हैं। लेकिन मुझे लगता है आज के तकरीबन 80 प्रतिशत किशोर टैलेंटेड होने के बावजूद अपने लिए उपयुक्त करियर की दिशा तलाशने में कन्फ्यूज रहते हैं। वे कब, किससे प्रभावित होकर उसे रोल मॉडल बना लें, कहा नहीं जा सकता। एक्साइटमेंट वे सब कुछ करना चाहते हैं, पर ज्यादातर किशोरों को यह नहीं पता चल पाता कि असल में उनके मन की सटीक पसंद क्या है? कौन-सा कोर्स या करियर उन्हें भविष्य में कामयाबी की ओर ले जा सकता है? ऐसे में अगर एक जिम्मेदार गार्जियन होने के नाते आप भी उन्हें ठीक से समझ नहीं पाते और दूसरों को या ट्रेंड को देखकर उसे भी उसी राह पर चलने के लिए मजबूर करते हैं और उसमें रुचि लेने का दबाव उस पर बनाते हैं, तो इसका मतलब यही है कि आप उसे भविष्य में खुश नहीं देखना चाहते। हो सकता है कि यह बात आपको खराब लगे। आप कहें कि आप मां या पिता हैं, ऐसे में अपने बच्चे की खुशी के लिए ही तो कोई भी कदम उठाते हैं। जी हां, यह बात सही है कि आप अपने बच्चे के सच्चे शुभचिंतक हैं। फिर उसके ऊपर अपना निर्णय क्यों थोपना चाहते हैं?

समझें मन की बात

आप अपने बच्चों का करियर बेहतर बनाना चाहते हैं, उन्हें हमेशा खुश देखना चाहते हैं, तो उसे कुछ भी पढ़ने या करने के लिए मजबूर करने की बजाय उसके मन को समझने का प्रयास करें। आप तो बचपन से उसे देख रहे हैं। उसकी हर अच्छी-बुरी आदत जानते पहचानते हैं। उसे क्या अच्छा लगता है और क्या खराब, आप से बेहतर भला और कौन जान सकता है? फिर भी आपको संशय है, तो आप एक बार फिर उसकी रुचि-पसंद को जानने का प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए माता-पिता दोनों को अपने बच्चे की गतिविधियों का कुछ दिन तक बारीकी से गौर करना चाहिए, बिना उसे इसका आभास कराए। इस दौरान यह देखें कि कौन-सा काम करने पर उसकी आंख खुशी से चमकने लगती है और किस बात पर वह बिफर जाता है। पेंटिंग, कुकिंग, म्यूजिक, स्पोट्र्स, राइटिंग, एक्टिंग, डांस, तकनीकी कामों आदि में से किस में उसे ज्यादा मजा आता है।

हुनर को दिलाएं पहचान

आज के समय में आप यह न सोचें कि डॉक्टर, इंजीनियर, वकील या आइएएस, पीसीएस बनकर ही आपकी संतान को पहचान मिल सकती है। आज के समय में जिस भी क्षेत्र में हुनर है, उसी में प्रसिद्धि मिल सकती है। अगर मिमिक्री करने में किसी बच्चे का मन लगता है और इसके लिए उसे तारीफ मिलती है, तो इसी दिशा में उसके हुनर को तराशने का प्रयास करना चाहिए। कोई नए-नए व्यंजन बनाने और इस दिशा में इनोवेशन में रुचि लेता है, तो बिना किसी संकोच के उसे शेफ बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

मेहनत सौ फीसदी

हां, यह जरूर है कि अच्छी तरह सोच-समझ कर जिस भी फील्ड को आपका बच्चा चुनें, उसमें उसे पूरी तरह से डूबने के लिए प्रेरित करें ताकि वह अपना शत-प्रतिशत दे सके। आधे-अधूरे मन से काम करने से कुछ नहीं होने वाला। चाहे वह खेल का मैदान हो या फिर कोई क्रिएटिव काम। मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। यह मेहनत सही दिशा में हो, तो प्रतिभा चमक जाती है। आप भी अपनी संतान को अपना टैलेंट चमकाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए जरूर प्रेरित कर सकते हैं..., दूसरों की नहीं, अपनी खुशी के लिए।

* आज के अधिकतर युवा करियर की सही दिशा तलाशने में कन्फ्यूज रहते हैं।

* बच्चों पर दबाव डालने की बजाय उन्हें अपनी पसंद के क्षेत्र में करियर बनाने की आजादी देनी चाहिए।

* आज के दौर में जरूरी नहीं है कि डॉक्टर, इंजीनियर आदि बन कर ही प्रसिद्धि मिल सकती है, बल्कि जिस क्षेत्र में हुनर है, उसमें भी पहचान हासिल की जा सकती है।

उद्यमिता की शिक्षा


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