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टैलेंट हो तो मिलेंगे पैसे

देश की इकोनॉमिक कंडीशन सुधरने के साथ तमाम कंपनियां टैलेंट को अपनी ओर खींचने के लिए अच्छे पैसे खर्च करने को तैयार हैं। स्लोडाउन के दौर में नौकरियों पर रोक लगने या कम हो जाने के बाद कंपनियां अब फिर इसे बढ़ा रही हैं। हालांकि वे उन्हें ज्यादा प्राथमिकता देना

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Fri, 16 Jan 2015 09:26 AM (IST)Updated: Fri, 16 Jan 2015 09:36 AM (IST)
टैलेंट हो तो मिलेंगे पैसे

देश की इकोनॉमिक कंडीशन सुधरने के साथ तमाम कंपनियां टैलेंट को अपनी ओर खींचने के लिए अच्छे पैसे खर्च करने को तैयार हैं। स्लोडाउन के दौर में नौकरियों पर रोक लगने या कम हो जाने के बाद कंपनियां अब फिर इसे बढ़ा रही हैं। हालांकि वे उन्हें ज्यादा प्राथमिकता देना चाहती हैं, जो सीधे तौर पर बिजनेस बढ़ाने में योगदान दे सकने में सक्षम हैं। कैसे निखारे अपना टैलेंट, ताकि सामने आने वाले अवसरों का फायदा उठा सकें, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव...

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करुणेश एक कंपनी की ब्रांड टीम में जूनियर एग्जीक्यूटिव थे। कमिटमेंट, मेहनत और ईमानदारी से काम करने के बावजूद पिछले चार साल में उन्हें नौकरी में कोई खास फायदा नहीं मिला। हालांकि उनके काम को सीनियर्स और मैनेजमेंट की तरफ से अक्सर सराहा जाता रहा। इतने साल पेशेंस से काम करने के बाद आखिरकार जब उन्हें एक प्रतिद्वंद्वी कंपनी से अच्छे पैकेज और पद पर बड़ी जिम्मेदारी का ऑफर मिला, तो वे ना नहीं कर सके। दरअसल, उस कंपनी में भी उनके काम को काफी समय से नोटिस किया जा रहा था और वहां जैसे ही जगह बनी, उन्हें जॉब ऑफर कर दिया गया। उस कंपनी ने उनके टैलेंट की कीमत को समझा। आज करुणेश अपनी जिम्मेदारी और पैकेज दोनों से खुश हैं।

टैलेंट हंट

आज के समय में उपलब्ध नौकरियों की तुलना में उसे पाने की ख्वाहिश रखने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, पर अब कोई भी कंपनी अपने यहां कमजोर एम्प्लॉयी को नहीं रखना चाहती। सभी ऐसा प्रो-एक्टिव कर्मचारी चाहती हैं, जो मैनेजमेंट के संकेतों की भाषा अच्छी तरह समझते हुए उसके अनुकूल खुद पहल कर सके। हाथ पर हाथ रखकर बैठने और इंतजार करने वाले कर्मचारी अब किसी को रास नहीं आ रहे। यही कारण है कि टैलेंटेड लोगों को अपने से जोडऩे के लिए कंपनियों में प्रतिस्पर्धा दिखने लगी है। इसके लिए 10-20 परसेंट की हाइक तो सामान्य बात है। अगर कोई व्यक्ति मल्टीटास्कर है, तो कंपनियां आगे बढ़कर उसे 30 परसेंट तक की हाइक देने को भी तैयार रहती हैं।

देसी का बोलबाला

भारत में बढ़ रहे अवसरों के कारण उन देशों (खासकर यूरोपीय देशों) में कार्यरत भारतीय भी घर वापसी पसंद करने लगे हैं, जो मंदी के असर से गुजर रहे हैं। मेक इन इंडिया मिशन और वाइब्रेंट गुजरात जैसे कार्यक्रमों ने देश में विदेशी कंपनियों के पैर जमाने का रास्ता खोल दिया है। यही कारण है कि भारत आकर काम करने वाली कंपनियां विदेश में नौकरी कर रहे भारतीयों को यहीं पर बेहतर पैकेज का ऑफर देकर लुभा रही हैं।

खुद को निखारें

सामने आ रहे और तेजी से बढ़ रहे अवसरों का अगर आप भी समुचित लाभ उठाना चाहते हैं, तो अपने टैलेंट को निखारने का भरपूर प्रयास करें। अपनी स्किल को लगातार अपडेट करते रहें। जिस भी प्रोजेक्ट पर आपको काम करने का मौका मिले, उसे डेडलाइन के भीतर परफेक्शन के साथ पूरा करने का प्रयास करें। इसके अलावा, अपनी तरफ से रेगुलर नए और इनोवेटिव आइडिया भी पेश करें। यह न सोचें कि उन पर मैनेजमेंट द्वारा कोई निर्णय लिया जाता है या नहीं।

नेतृत्व की राह

सिर्फ अपनी सीट पर चुपचाप काम करने और ऑफिस ऑवर बिताने से ही न तो पहचान मिलती है और न ही तरक्की का रास्ता ही खुलता है। इसके लिए आपको लगातार अपनी लीडरशिप क्वालिटी का नमूना पेश करते रहना होगा। किसी भी प्रोजेक्ट या चुनौती को आगे बढ़कर स्वीकार करना होगा और उसके लिए मजबूत टीम भी तैयार करनी होगी। एक सशक्त टीम बनाने के लिए उसमें शामिल हर सदस्य को मोटिवेट करते रहें, ताकि वे आपके हर कदम पर साथ दें।

मार्केटिंग भी जरूरी

कामयाबी के साथ जो भी प्रोजेक्ट पूरा करें, उसे अपनी और टीम की उपलब्धियों में शुमार कराते हुए रजिस्टर करायें। उचित मंचों पर अपनी उपलब्धियां बताएं। जिन चुनौतियों, मुश्किलों और विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए आपने मिशन को अंजाम दिया, उनके बारे में भी चर्चा कर सकते हैं। हो सकता है कि आपके अनुभवों से दूसरों को भी सीखने का मौका मिले।

आत्मविश्वास का साथ

हो सकता है कि कोई नया काम या प्रोजेक्ट आपको बेहद चुनौतीपूर्ण लगे, पर ऐसे ही कामों में तो आपकी परीक्षा होती है। इस पर अपने कदम बढ़ाते समय न डरें, न ही घबरायें। इसके अलावा, अपना आत्मविश्वास कभी कम न होने दें। अपना नजरिया हमेशा पॉजिटिव रखें। खुद को शांत और एकाग्र रखें, ताकि हर परिस्थिति के लिए खुद को तैयार कर सकें।

मुश्किलों का हल

अगर आप यह सोचते हैं कि जिस भी काम में हाथ डालते हैं, उसी में अड़चन आ जाती है, तो यह नजरिया बदल दें। कुछ भी नया करने पर मुश्किलें आती ही हैं और हर किसी के सामने आती हैं। कई सारे काम सामने देख यह सोचकर परेशान न हों कि ये कैसे पूरे होंगे? इसके बजाय उन्हें एक-एक करके पूरा करने का प्रयास करें। एक समय आप खुद देखेंगे कि पेंडिंग काम कैसे पूरे होते जा रहे हैं।

* अपने काम को उत्साह से करें और परफेक्शन लाएं।

* जहां जरूरत हो, वहां अपनी स्किल को अपडेट करने का प्रयास जरूर करें।

* प्रो-एक्टिव बनें, यानी किसी तरह ऑफिस टाइम पास करने की बजाय इनोवेटिव कामों के लिए खुद पहल करें।

* लीडरशिप क्वालिटी डेवलप करने के लिए अपने को आगे लाने की कोशिश करते हुए आदर्श पेश करें।

पढ़े: हुनर का सफर


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