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उठ जाग मुसाफिर...

बारहवीं वह पड़ाव है, जिसके बाद सपनों को पूरा करने की दिशा में एक नये सफर की शुरुआत होती है। अब जबकि आपने यह पड़ाव पार कर लिया है, तो आपको खुली हवा में उड़ान भरने के लिए खुद को मजबूत और इनोवेटिव बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। अपने

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 26 May 2015 10:50 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2015 10:57 AM (IST)
उठ जाग मुसाफिर...

बारहवीं वह पड़ाव है, जिसके बाद सपनों को पूरा करने की दिशा में एक नये सफर की शुरुआत होती है। अब जबकि आपने यह पड़ाव पार कर लिया है, तो आपको खुली हवा में उड़ान भरने के लिए खुद को मजबूत और इनोवेटिव बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। अपने भीतर के टैलेंट को पहचानें और फिर उसे जी-जान लगाकर तराशने-निखारने में जुट जाएं। आप देखेंगे कि इससे कैसे आपको अलग पहचान मिलती है...। नई सुबह में, नई ऊर्जा के साथ कदम बढ़ाना क्यों जरूरी है, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव...

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मेरा दोस्त जेईई दे रहा है, मुझे भी ऐसा ही करना चाहिए...। नहीं...नहीं..., मेरे मोहल्ले में रहने वाले वर्मा अंकल की बेटी ने एक साल की कोचिंग करके एआइपीएमटी क्लियर कर लिया। आज वह एमबीबीएस का कोर्स कर रही है। मुझे भी डॉक्टर ही बनना चाहिए...। ...आज ज्यादातर स्टूडेंट्स इसी कश्मकश के शिकार हैं। दूसरों की कामयाबी उन्हें लुभाती है और फिर वे भी उसी राह पर चल पड़ते हैं, बिना कुछ सोचे-समझे। वे यह नहीं देखते कि इंजीनियर या डॉक्टर बनने की क्वालिटी उनमें है या नहीं। उन्हें लगता है कि एक-दो साल की कोचिंग के बाद एंट्रेंस तो क्लियर कर ही लेंगे। पर जब कोचिंग पर पैसे और समय खर्च करने और एक-दो अटेम्ट देने के बावजूद उनके हाथ कुछ नहीं आता, तो थक हार कर और गार्जियंस के दबाव में जहां एडमिशन मिलता है वहीं ले लेते हैं या फिर अगर गार्जियंस समर्थ हैं, तो वे सालों-साल कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स देते रहते हैं। इसमें उनके कई साल यूं ही जाया हो जाते हैं।

चलें अलग राह

हर इंसान के भीतर अपनी अलग पहचान बनाने की इच्छा होती है, पर यह इच्छा तभी पूरी हो सकती है जब उसके सभी मानकों को पूरा करते हुए बेजोड़ प्रयास किए जाएं। दूसरों की नकल करके या उनके पीछे-पीछे चलकर शायद ही आपको कोई पहचान मिल पाए। इसलिए दूसरों का अनुकरण करने की बजाय अपने भीतर छिपी क्वालिटी को तलाशें। हर इंसान में कोई न कोई हुनर होता है। यह न समझें कि आपको कुछ नहीं आता। खुद को कभी नकारा न समझें। हताश होने की बजाय कुछ दिन अपनी गतिविधियों का बारीकी से अवलोकन करें। चाहें तो परिजनों/मित्रों की मदद भी ले सकते हैं। हो सकता है कि आपके पास एक से ज्यादा हुनर हों। ऐसे में आप उनमें से उसे चुन सकते हैं, जो आपको सबसे ज्यादा पसंद हो।

हुनर तराशें

एक बार अपने भीतर छिपे हुनर का पता चल लग जाने के बाद आपको किसी का अनुकरण करने की जरूरत ही नहीं है। अपने हुनर के अनुरूप एडवांस कोर्स या प्रशिक्षण चुनें और उसमें मार्केट की रिक्वॉयरमेंट के मुताबिक खुद को तराशने का प्रयास करें। जब आप इसे पूरी तरह से तराश लेंगे, तो इससे आपका टैलेंट चमक उठेगा। फिर जब आप उस फील्ड में काम करने उतरेंगे, तब आपको पहचान मिलनी शुरू हो जाएगी।

इनोवेशन भी जरूरी

जब आप मन-पसंद क्षेत्र में काम करेंगे, उसमें डूबेंगे, तभी नए-नए इनोवेशन में सक्षम होंगे। पहचान और कामयाबी पाने के लिए इस तरह के इनोवेशन बेहद जरूरी हैं। इनोवेशन ऐसे हों, जिनसे किसी न किसी रूप में आम लोगों को फायदा मिल सके। ऐसा होगा, तभी आपका इनोवेशन कहीं ज्यादा सार्थक साबित हो सकेगा।

कॉन्फिडेंस के साथ

जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, मन में यह बात अच्छी तरह बिठा लें कि आप उसमें जरूर कामयाबी हासिल करेंगे। बस, हाथ पर हाथ धरे आंख मूंद कर दिन में भी सपने न देखते रहें, बल्कि सपनों को पूरा करने की दिशा में स्ट्रेटेजी बनाकर कॉन्फिडेंस के साथ आगे बढ़ें। जब जमीन पर पैर जमाए हुए यानी व्यावहारिक नजरिए के साथ प्रयास करेंगे, तो इसका मीठा फल भी आपको जरूर मिलेगा।

हार से सीख

हो सकता है कि आपको अपनी पसंद के क्षेत्र में शुरुआती दौर में कोई खास कामयाबी न मिले। ऐसे में आप हताश होकर प्रयास करना कतई न छोड़ें। अगर आपको अपनी क्षमताओं पर भरोसा है, तो एक न एक दिन कामयाबी जरूर आपके कदम चूमेगी। इसलिए हमेशा सकारात्मक सोचें और निष्ठा व मेहनत के साथ अपने कर्तव्य पूरे करें।

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