क्या कभी सोचा है हम किसी से क्यों लेते हैं बदला, ये रहा इसका जवाब
क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों हम बदला लेने के लिए इतने उतारू होते हैं, जबकि इस स्थिति को किसी भी सूरत में सहीं नहीं ठहराया जा सकता।
ऐसा अक्सर होता है कि हमें किसी की कोई बात बुरी लग गई तो किसी की कोई हरकत या फिर किसी की वजह से हमारा भारी नुकसान हो गया तो किसी की वजह से हमें अपमानित महसूस होना पड़ा, ऐसी कई सारी चीजें होती हैं जो हमें पसंद नहीं आतीं और जिसकी वजह से हमें ठेस पहुंचती है उसके लिए हमारे मन में गुस्सा भर जाता है। मगर कुछ लोग अपने गुस्से पर काबू पा लेते हैं तो किसी के मन का गुस्सा बदले की भावना में बदल जाता है और इस स्थिति में व्यक्ति किसी भी हद तक गुजर जाता है।
मगर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों हम बदला लेने के लिए इतने उतारू होते हैं, जबकि इस स्थिति को किसी भी सूरत में सहीं नहीं ठहराया जा सकता। एक नए अध्ययन में इसकी वजह का पता चल गया है। इस अध्ययन के मुताबिक, बदला लेने के बाद व्यक्ति खुद को नॉर्मल महसूस करता है। अपमानित होने या फिर उपेक्षा सहने के बाद जब वह किसी भी तरह से बदला ले लेता है तो उसे लगता है कि अब वह सामान्य है।
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पर्सनैलिटी ऑफ सोशल साइकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में लोग खुद को बैलेंस करने के लिए ही बदला लेते हैं। वो अपमानित या उपेक्षित होने के बाद जब उस व्यक्ति से बदला ले लेते हैं तो खुद को पहले की तरह ठीक महसूस करने लगते हैं।
प्रोफेसर डेविड चेस्टर के मुताबिक, बदला लेना इमोशन-रिपेयरिंग टूल की तरह है। इसका असर उम्मीद से कहीं अधिक होता है। उनके अनुसार, बदला लेने का संबंध गुस्सा आने से है। जब इमोशन बैलेंस हो जाते हैं तो यह खुद ब खुद सामान्य हो जाता है। वैसे बदला लेने की भावना में नुकसान पहुंचाना मुख्य नहीं होता है। इस दौरान अहम होता है कि सामने वाला उस काम से कितना दुखी हो रहा है।
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