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पैशन भी परफेक्शन भी

तेजी से बदलते जमाने और टेक्नोलॉजी के इस दौर में अपनी जगह व पहचान बनाने के लिए अपनी पसंद के क्षेत्र में पैशन होना बेहद जरूरी है, तभी आप परफेक्शन के साथ अपने टास्क पूरे करते हुए कामयाबी की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। अपनी रुचि के क्षेत्र में पैशन

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Thu, 12 Feb 2015 10:30 AM (IST)Updated: Thu, 12 Feb 2015 10:37 AM (IST)
पैशन भी परफेक्शन भी

तेजी से बदलते जमाने और टेक्नोलॉजी के इस दौर में अपनी जगह व पहचान बनाने के लिए अपनी पसंद के क्षेत्र में पैशन होना बेहद जरूरी है, तभी आप परफेक्शन के साथ अपने टास्क पूरे करते हुए कामयाबी की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। अपनी रुचि के क्षेत्र में पैशन होना क्यों जरूरी है, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव...

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तन्मय ग्रेजुएशन तक यह तय नहीं कर सके थे कि वह किस फील्ड में करियर बनाएं। इस ऊहापोह में उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन ले लिया। इस बीच जब परिवार के सदस्यों की तरफ से दबाव बढ़ने लगा, तो उन्होंने अपने कुछ दोस्तों को देखकर आइएएस और पीसीएस की तैयारी आरंभ कर दी। वह अपने स्टेट के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों की पीसीएस परीक्षाएं भी देने लगे। देखते-देखते उन्होंने एमए भी कर लिया। इसके साथ वह प्रतियोगी परीक्षाएं भी लगातार देते जा रहे थे। तीन-चार साल बीतने के बाद भी जब कहीं से कोई सफलता मिलती नहीं नजर आई और हताशा बढ़ने लगी, तो उन्होंने मॉस कम्युनिकेशन का कोर्स ज्वाइन कर लिया ताकि किसी मीडिया हाउस में नौकरी पा सकें। इस समय तक आइएएस के लिए उनकी उम्र निकल चुकी थी। जर्नलिज्म का कोर्स करने के बाद काफी चक्कर काटने के बाद उन्हें एक क्षेत्रीय अखबार में नौकरी मिल सकी।

दूसरा उदाहरण संदीप का है। रेडियो की दुनिया उन्हें बचपन से ही भाती थी। बारहवीं तक पहुंचते-पहुंचते ही उनके दिमाग में यह बैठ चुका था कि रेडियो ही उनके मन का करियर है। परिवार के लोगों ने भी उनके इस पैशन को जीने और आगे बढ़ने में मदद की। ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने के साथ ही उन्होंने आकाशवाणी और एफएम चैनल्स जाना शुरू कर दिया। इससे उन्हें अच्छी-खासी कमाई हो जाती थी और घरवालों से पैसे भी नहीं लेने पड़ते थे। जब तक उनका ग्रेजुएशन पूरा हुआ, तब तक उन्हें रेडियो का अच्छा-खासा अनुभव हो चुका था। अच्छे अंकों से पास होने वाले संदीप को ग्रेजुएशन के तुरंत बाद अपने ही शहर में एक एफएम चैनल में आकर्षक सैलरी पर आरजे की नौकरी मिल गई। आज वह अपने काम को परफेक्शन से करते हुए उसे खूब एंज्वॉय कर रहे हैं।

भटकाव के चौराहे

उपरोक्त दोनों उदाहरणों से यह साबित होता है कि अपना लक्ष्य निर्धारित करके उसे पैशन बनाकर आगे बढ़ने वाले कभी भी भटकाव या दुविधा के शिकार नहीं होते। दरअसल, अपनी रुचि के क्षेत्र में पूरी तरह डूबकर ही वे अपनी मंजिल को आसान बना पाते हैं। जो दूसरों को देखकर उनकी राह का अनुकरण करने का प्रयास करते हैं, वे अपने भीतर छिपे गुणों को देख नहीं पाते। यही कारण है कि वे अपने मन की राह पर चलने की बजाय भटकाव के चौराहे पर पहुंच जाते हैं। जहां पहुंच कर उन्हें यह सूझता ही नहीं कि अब किस राह पर वे आगे बढ़ें।

सही समय, सही निर्णय

अब वह समय नहीं रहा कि आप निरुद्देश्य पढ़ते जाएं और किसी मंजिल पर न पहुंचे। आज जबकि करियर के अनगिनत नए क्षेत्र सामने आ चुके हैं, ऐसे में बिना मतलब हायर एजुकेशन लेते जाने को उचित नहीं कहा जा सकता। हां, अगर आप टीचिंग, रिसर्च आदि में आगे बढ़ने का पैशन रखते हैं, तो जरूर उच्च शिक्षा हासिल करें। लेकिन अपने करियर की दिशा दसवीं से बारहवीं तक जरूर तय कर लें। आपके लिए सही करियर की दिशा क्या होगी, अगर इस बारे में जानने-समझने में दुविधा हो रही है, तो इसके लिए कुछ फार्मूलों पर अमल करें।

खुद की एनालिसिस

अगर अपने इंट्रेस्ट को समझने में दिक्कत हो रही है या फिर आपको कुछ सूझ ही नहीं रहा, तो आप इन बातों पर अमल करके इसमें मदद हासिल कर सकते हैं। दूसरों की तरफ देखने की बजाय सबसे पहले तो आप यह देखें कि आपको क्या अच्छा लगता है, आपकी रुचियां किस तरह की हैं, किस तरह के काम करने में आपको मजा आता है और क्या करना अच्छा नहीं लगता? इस प्रक्रिया में आपको अपनी रुचि का क्षेत्र जानने-समझने में सहायता मिल सकती है। इस बारे में आप अपने परिजनों से भी राय-मशविरा कर सकते हैं। यदि ऐसा संभव नहीं है, तो आप अपने करीबी-समझदार मित्रों या दूरदर्शी अध्यापकों की मदद ले सकते हैं। वैसे अब काउंसलर्स की सुविधा भी उपलब्ध है। आप उनसे ईमेल या फोन के जरिए अपने लिए उचित सलाह हासिल कर सकते हैं।

जीतने की जिद

एक बार अपने मन का क्षेत्र चुन लेने के बाद आप उस पर कदम आगे बढ़ाएं। इसके लिए जरूरी कोर्स करें या ट्रेनिंग हासिल करें। थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल पर भी जोर दें। सिर्फ किताबी बातों की बजाय आज के समय की व्यावहारिक बातों और इंडस्ट्री में प्रचलित तकनीकों को जानें-समझें। अगर फैकल्टी के रूप में इंडस्ट्री के एक्सपर्ट का लाभ न मिल पाता हो और आपको मार्केट की नवीनतम बातें-जरूरतें न पता चल पाती हों, तो संस्थान के भरोसे बैठे न रहें।

खुद करें पहल

आप जो भी कोर्स कर रहे हैं, उससे जुड़ी प्रैक्टिकल बातों की अधिकतम जानकारी हासिल करने के लिए जब भी समय मिले, बाहर निकलें। संबंधित क्षेत्र के सर्विस सेंटर्स, शोरूम्स, फैक्ट्रीज आदि से संपर्क करें। वहां संबंधित अधिकारियों से विनम्रतापूर्वक काम सिखाने का अनुरोध करें। एक जगह काम न बने, तो संयम खोये बिना दूसरी या तीसरी... जगह जाएं। उनसे पैसे न मांगे, बल्कि सिर्फ काम सिखाने का निवेदन करें। एक बार मौका मिल जाने पर संबंधित विशेषज्ञों को पूरा सम्मान देते हुए उनके काम में हाथ बंटाते रहें और उनसे धीरे-धीरे हर बारीकी सीखने का प्रयास करें। एक जगह पूरी तरह काम सीख लेने के बाद यह न मान लें कि आप मास्टर हो गए। ध्यान रखें, सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती। इसलिए एक जगह काम सीख लेने के बाद दूसरी जगह प्रयास करें।

पैशन में डूबें

जो कुछ भी सीखें, उसमें पूरी तरह डूबें। लापरवाही या आधे-अधूरे मन से आप कभी कुछ नहीं सीख सकते। अगर अपने को परफेक्ट बनाना चाहते हैं, तो सीखने में जी-जान लगा दें। इसके बाद आप खुद देखेंगे कि कोई चीज सीख लेने के बाद आपका कॉन्फिडेंस कितना बढ़ता है। इस तरह से आगे बढ़ने पर आपको कभी काम नहीं ढूंढ़ना पड़ेगा, बल्कि इसके उलट काम आपके पीछे-पीछे चलेगा। हुनर के पारखी लोग आपको बुलाकर नौकरी देंगे।

* करियर की दिशा तय करने के लिए दूसरों को देखने की बजाय अपने भीतर छिपे टैलेंट और इंट्रेस्ट को समझने की कोशिश करें।

* दिशा चुनने के बाद संबंधित क्षेत्र में कोर्स और ट्रेनिंग से खुद को तराशें-निखारें।

* थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल जानकारी ज्यादा से ज्यादा हासिल करें।

* प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए एक्स्ट्रोवर्ट बनें, यानी बाहर निकल कर संबंधित क्षेत्र के जानकारों से मिलें और उनसे सिखाने का अनुरोध करें।

चुनौतियों से सामना


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