तलाशें नई संभावनाएं
यह जरूरी नहीं कि जो दूसरे पढ़ या कर रहे हैं, वही आप भी पढ़ें या करें। किसी अनजाने या कम जाने-पहचाने वाले फील्ड में खास रुचि है, तो यह सोचकर कदम बढ़ाने से संकोच न करें कि कोई दूसरा तो इसके लिए आगे ही नहीं आ रहा। आज के
यह जरूरी नहीं कि जो दूसरे पढ़ या कर रहे हैं, वही आप भी पढ़ें या करें। किसी अनजाने या कम जाने-पहचाने वाले फील्ड में खास रुचि है, तो यह सोचकर कदम बढ़ाने से संकोच न करें कि कोई दूसरा तो इसके लिए आगे ही नहीं आ रहा। आज के समय में हर फील्ड में जोरदार संभावनाएं हैं। जरूरत इस बात की है कि आप उसके लिए खुद को कितना तैयार करते हैं। नई संभावनाएं तलाशने के लिए कैसे बढ़ाएं कदम, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव...
अंबर शर्मा को बचपन से ही प्राकृतिक दृश्य लुभाते थे। कुछ बड़े होने पर उनके हाथ कैमरा लग गया। फिर क्या था। अंबर तो जैसे अपने नाम को सार्थक करते हुए आकाश में ही उड़ने लगा। जब मौका मिलता, वह पशु-पक्षियों की तलाश में नदी, नालों, झरनों, बाग-बगीचों, जंगलों की ओर निकल पड़ता। उसका यह शौक कब पैशन बन गया, खुद उसे भी नहीं पता चला। इन सबके बिना उसका मन ही नहीं लगता था। उसके कैमरे से निकलने वाले प्राकृतिक दृश्यों सहित पशु-पक्षियों की बोलती तस्वीरों को जो भी देखता, तारीफ किए बिना नहीं रहता। सबसे अच्छी बात यह रही कि पिता सहित परिवार का हर सदस्य उसके इस जुनून में उसके साथ था। यही कारण रहा कि बीएससी पूरा करने के बाद अंबर ने अपने मन के विषय लाइफ साइंस से एमएससी किया। इसके बाद उसने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी को ही अपने पेशे के रूप में चुन लिया। सरकारी या कॉरपोरेट नौकरियों के पीछे भागने की बजाय उसने मध्य प्रदेश के एक नेशनल पार्क में स्थित रिजॉर्ट में नौकरी इसलिए ज्वाइन कर ली, ताकि उसे जंगलों में घूमने का मौका मिल सके। कुछ समय तक नौकरी करने के बाद उसने अपनी कंपनी बना ली। आज भी फोटोग्राफी में उसके प्राण बसते हैं। उसने वाइल्ड लाइफ और पर्वतीय इलाकों पर कई डाक्यूमेंट्रीज भी बनाई हैं, जो पुरस्कृत हो चुकी हैं।
मन के काम में पहचान
ऊपर की सच्ची कहानी सिर्फ यह बताने के लिए दी गई है कि जिस काम को आप डूबकर कर सकते हैं, उसी से आपकी पहचान बनती है। दूसरों का अनुकरण करके या किसी दबाव में आकर चुने गए रास्ते पर चलने से न तो आपको तसल्ली मिल सकती है और न ही आप उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं। ऐसे में आपकी कोई अलग पहचान भी नहीं बन सकती।
अलग चलने का साहस
जिस रास्ते पर आमतौर पर सभी चल रहे हैं, जाहिर है उस पर चलने का दबाव आप पर भी होता है। आप अपने मन की पुकार सुन कर कुछ अलग करना चाहते हैं, पर उसके बारे में अपने घर वालों, खासकर पिता से बात करने में डरते हैं। लेकिन जरा सोचें। अगर आप साहस करके अपनी बात कहेंगे नहीं, तो वे कैसे समझेंगे? और उनके बिना समझे और उनकी अनुमति लिए बिना तो आप अपने मन की कर नहीं सकेंगे। तो उपाय तो यही है न कि आप हिम्मत करके अपनी बात उनसे साझा करें। उन्हें आश्वस्त करने का प्रयास करें कि आप जो चाहते हैं, उसमें खुद को साबित करके दिखा सकते हैं। बस, एक बार उन्हें अपने मन मुताबिक करने का मौका दे दिया जाए।
जुनून को जिएं
जरूरी नहीं कि आप डॉक्टर, इंजीनियर, वकील या आइएएस-पीसीएस बनकर ही कामयाब कहलाएंगे। आपका मन किसी खेल में रमता है या फिर आपको तरह-तरह की डिश बनाने में मजा आता है या फिर आप डांस, म्यूजिक या सिंगिंग में धमाल मचाने का हुनर रखते हैं, तो फिर खुद को साबित करने में पीछे न रहें। घर वालों को कनविंस करके जरूरत के मुताबिक ट्रेनिंग लें, कोर्स करें और अपने पैशन को जीने में जुट जाएं।
भीतर की तलाश
अब यह देखना आपका काम है आपको क्या पसंद है? आप दूसरे के बताये/दिखाये रास्ते पर चलना चाहते हैं या फिर अपना रास्ता अलग बनाना चाहते हैं? अपनी अलग पहचान बनाने के लिए आपको अपने मन की आवाज सुननी होगी। यह देखना होगा कि किस काम में आपका मन सबसे ज्यादा रमता है या कौन-सा काम करने के लिए आपका मन खिंचाव महसूस करता है? मन की इस पसंद को ठीक से पहचानें, क्योंकि यही आपको कामयाबी की दिशा में आगे बढ़़ा सकता है।
तराशें हुनर
जिस फील्ड में मन रमता है, उसमें खुद को हुनरमंद बनाने के लिए आपको मार्केट/इंडस्ट्री की रिक्वॉयरमेंट के मुताबिक एडवांस कोर्स करने की जरूरत पड़ सकती है। किसी प्रामाणिक संस्थान से ही ऐसा कोर्स करें। कोर्स के दौरान थ्योरी तो पढ़ें ही, पर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर ज्यादा ध्यान दें। अगर संस्थान के लैब में प्रैक्टिकल की अच्छी व्यवस्था हो तो ठीक है, अन्यथा खुद पहल करके बाजार में संबंधित क्षेत्र के संस्थानों से संपर्क करें। वहां सीनियर्स से मिलकर खुद काम सीखने की पहल करें। विनम्रता और लगन से सभी काम सीखें। एक जगह से सारा काम सीख लेने के बाद किसी और जगह से सीखने का सिलसिला जारी रखें। आप पूछेंगे कि जब एक जगह से सीख ही लिया, तो दूसरी जगह क्यों? दरअसल, लगातार बदलती तकनीक के दौर में एक ही क्षेत्र की अलग-अलग कंपनियों की तकनीक में भी अंतर होता है। अगर बारी-बारी इन सभी कंपनियों के काम को जानेंगे-समझेंगे, तो कोर्स पूरा होने तक आप प्रैक्टिकली हर तरह की तकनीक को अच्छी तरह समझ सकेंगे। इससे आप अपने काम में पूरी तरह से कुशल हो सकेंगे।
नौकरी आपके पीछे
भारत में आज नौकरी न मिलने की शिकायत आम है, लेकिन जरा सोचें। अगर आप अपने क्षेत्र में थ्योरी जानने के साथ-साथ प्रैक्टिकली पूरी तरह से ट्रेंड होंगे और किसी भी कंपनी/इंडस्ट्री में पहले दिन से ही परिणाम देने में पूरी तरह सक्षम होंगे, तो नौकरी भला क्योें नहीं मिलेगी? आज हर फील्ड में हुनरमंद लोगों की तलाश है। ऐसे लोगों को ढूंढ़ने के लिए कंपनियां एक तरह से चिराग लेकर घूमती हैं। इसलिए खुद को मार्केट की जरूरतों के मुताबिक हुनरमंद बनाएं और फिर देखें कि कैसे नौकरी आपके पीछे-पीछे चलती है...।
* किसी के पीछे चलने या दबाव में कदम बढ़ाने की बजाय अपने मन की आवाज सुनें।
* अपनी पसंद को जानकर उसी से संबंधित कोर्स करने की दिशा में आगे बढ़ें।
* जो भी कोर्स करें, वहां प्रैक्टिकल पर ज्यादा ध्यान दें।
* खुद पहल करके मार्केट/इंडस्ट्री की जरूरतों को समझें और उसके मुताबिक हुनर डेवलप करने का प्रयास करें।