लीडर को बनना होगा प्रेरक
एक प्रेरक लीडर शिक्षा में सुधार लाता है। इनोवेटिव तरीके से सिखाता है, ताकि बच्चों में रचनात्मकता का विकास हो।
कसी भी इंसान के जीवन में शिक्षा हासिल करना या कुछ सीखना मुख्य गतिविधि होती है। पूरा शैक्षिक ढांचा इसी
पर टिका है। यह शैक्षिक प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है। जैसा कि महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने खुद कहा है, ‘मैंने
सीखने की राह में कभी अपनी शिक्षा को बाधा नहीं बनने दिया।’ एक प्रेरक लीडर शिक्षा में सुधार लाता है। इनोवेटिव तरीके से सिखाता है, ताकि बच्चों में रचनात्मकता का विकास हो। यह एक इंस्ट्रक्शनल लीडरशिप की पहचान होती है। वह सिर्फ लीडरशिप ही नहीं, बल्कि मूल्यों, विश्वास, कौशल एवं ज्ञान की बातों पर भी ध्यान देता है। इससे संस्थान के विकास के साथ ही स्टूडेंट्स के सीखने की प्रक्रिया मजबूत होती है।
उनका मानसिक,शारीरिक,भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास हो पाता है। ऐसे लीडर का विजन स्पष्ट होता है, जिससे लक्ष्यों को हासिल करना कहीं अधिक आसान होता है,यानी एक सच्चा इंस्ट्रक्शनल लीडर विजनरी भी होता है। वह दूसरों को प्रेरणा देता है और साथ में चुनौती भरे इनोवेशंस भी करता है। हमें याद रखना होगा कि सीखने के लिए जिज्ञासा का होना बहुत जरूरी है। सैमुअल जॉनसन ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है। ऐसे में यह लीडर की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों में जिज्ञासा की भावना उत्पन्न करे और उन्हें शांत भी करे। इस तरह से एक इंस्ट्रक्शनल लीडर छात्रों में सवाल करने की प्रवृत्ति का विकास करता है। सीखने के लिए उपयुक्त और सकारात्मक माहौल देता है। गौर करने वाली बात यह भी है कि हम लोग स्कूल के बाहर से बहुत कुछ सीखते हैं। इसलिए असल जिंदगी से जुड़ी सुधारात्मक शिक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है। लीडर की एक अन्य पहचान है, उसकी विनम्रता। यूं कहें कि लीडरशिप में आपको पहले खुद की तलाश करनी होती है।
-रूपा चक्रवर्ती, प्रधानाचार्य, सनसिटी स्कूल, गुरुग्राम
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