पहले अपने भविष्य के बारे में मंथन करें, उसके बाद उस पर करें काम- डॉ. सोनिया कपूर
छात्रों को सफलता के लिए शुरुआती कदम काफी अहम होता है और यही उसकी सफलता को सुनिश्चित करता है।
मुंबई। छात्रों को सफलता के लिए शुरुआती कदम काफी अहम होता है और यही उसकी सफलता को सुनिश्चित करता है। इसके लेकर किस तरह से विश्वविद्यालय में जाने से पहले ही यानि आठवीं में ही इसके बारे में सोच लेना चाहिए। ये बातें वेदांत गुप्ता को बता रही हैं करियर काउंसलर सोनिया कपूर।
सवाल- छात्रों को अपने यूनिवर्सिटी एप्लीकेशन पर कब से काम करना चाहिए ?
उत्तर- मेरे ख्याल से इस पर काम आठवीं कक्षा में ही कर देना चाहिए। सबसे पहले मैं ये कहना चाहूंगी कि उन छात्रों को पहले इस बात पर मंथन करना चाहिए कि आगे चलकर वो अपने आपको क्या बनते देखना चाहते हैं। इसके बाद इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। इसके बाद अगला काम होता है विषय का चयन। कौन से विषय और कौन से कॉलेज इसके लिए मददगार हो सकते हैं।
इसके लिए ये कोई जरुरी नहीं है कि विदेशी यूनिवर्सिटी के बारे में ही सोचा जाए। भारत में भी ऐसी कई अच्छी यूनिवर्सिटी है जहां से उसे अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है। इसमें जो सबसे महत्वपूर्ण होता है वो है आपका लक्ष्य क्या है।
गैप ईयर का चलन आजकल काफी बढ़ रहा है। क्या गैप ईयर करना चाहिए ?
गैप ईयर को लेकर अब लोगों में अवधारणाएं बदल चुकी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि कैसे छात्र अपने पूरे साल को बिताता है। एक साल का अंतराल लेने वाले आवेदक अधिकतर शैक्षिक तौर पर अन्य के मुकाबले मजबूत होते हैं। वे अपने इस दौरान विभिन्न प्रशिक्षण लेकर अपने आपको और समृद्ध कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी की तरफ से भी यहीं बातें देखी जाती है। वे जानना चाहते हैं कि छात्र जिस में आगे करियर बनाने चाहते हैं उसमें आगे किस तरह और कैसे बढ़ेंगे।
छात्रों के लिए इंटर्नशिप किस तरह से महत्वपूर्ण है ?
गर्मी के दिनों में चलनेवाली इंटर्नशिप आपके करियर को लेकर आपकी सोच को पूरी तरह से बदल सकती है। उदाहरण के लिए, एक छात्र ने कहा कि कला और रंग ही उसका जीवन था। वो एक चित्रकार बनना चाहता था। लेकिन, स्टूडियों में प्रवेश के बाद उसने ये महसूस किया कि वो बाज़ार और कला को लेकर जिज्ञासु थी। इसलिए, उसके बाद उसने मैनेजमेंट कोर्स ज्वाइन किया।
कैसे कोई स्टूडेंट ये सुनिश्चित कर पाएगा कि उसने सही यूनिवर्सिटी का चयन किया है या नहीं?
आपकी पसंद ही आपके सही नौकरी के रास्ते, सही करियर, सही वातावरण यहां तक की आपके सही पार्टनर का निर्धारण करती हैं। इसलिए, अपनी पसंद तय करते वक्त उसकी संभावनाओं और उसमें आप कितना सटीक बैठ पाते पाते हैं इस पर समय लगाएं। उसके बाद ही उस बारे में आगे का फैसला लें।
भारत में छात्रों के माता-पिता अपनी आमदनी का करीब 70 फीसदी हिस्सी अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर देते हैं। लेकिन, जब एक छात्र चार साल यूनिवर्सिटी में बिता देते हैं ऐसे में ये बाते हमे खुद से पूछने की जरुरत होती है कि क्या खुश है ?
किसी तरह की कोई खास प्लेसमेंट जिसे आप यहां पर बताना चाहेंगी ?
आदित्य बिड़ला में अगर ये लगता है कि छात्र की महत्वाकांक्षा और उसकी करियर संभावना एक दूसरे से मेल-जोल खाता है तो उसे प्लेसमेंट दिया जाता है।