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खुद को बदल दिया

मेरे पति गांव के रहने वाले थे और मैं शहर की। मैं बहुत असहज महसूस कर रही थी, क्योंकि मुझे गांव की कोई चीज नहीं आती थी। सब तरह-तरह की बातें करते थे। एक दिन इन्होंने गुस्से में बहुत कुछ कह दिया। इनकी बातें सुनकर मैं अंदर से टूट गई।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2016 03:22 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2016 03:26 PM (IST)
खुद को बदल दिया

मेरे पति गांव के रहने वाले थे और मैं शहर की। मैं बहुत असहज महसूस कर रही थी, क्योंकि मुझे गांव की कोई चीज नहीं आती थी। सब तरह-तरह की बातें करते थे। एक दिन इन्होंने गुस्से में बहुत कुछ कह दिया। इनकी बातें सुनकर मैं अंदर से टूट गई। मैं दिनभर रोती रही। मैंने निश्चय किया मैं अपने रिश्ते को ऐसे खत्म नहीं होने दे सकती हूं, चाहे मुझे कितना भी संघर्ष करना पड़े। अब हमारी शादी को कई साल बीत चुके हैं। मेरे पति को और परिवार वालों को मुझ पर गर्व है। यहां तक कि जो लोग मेरे बारे में उल्टा-सीधा बोलते थे, आज वही लोग हर जगह मेरी तारीफ करते हैं।

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नीलम राजभर, गोरखपुर

पुरस्कृत रु. 500


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