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डिलीवरी ‘मैन’ नहीं वुमन

लॉजिस्टिक में पुरुषों के वर्चस्व को तोड़कर अब महिलाएं भी इस फील्ड में खुद को तराशने और साबित करने निकल पड़ी हैं...

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 08 Apr 2017 01:30 PM (IST)Updated: Sat, 08 Apr 2017 02:00 PM (IST)
डिलीवरी ‘मैन’ नहीं वुमन
डिलीवरी ‘मैन’ नहीं वुमन

आप अभी तक जब भी कोई सामान ऑनलाइन आर्डर करती थीं तो डिलीवरी मैन आपका ऑर्डर लाकर दरवाजे खटाखटाते थे, लेकिन बदलते वक्त में डिलीवरी मैन के साथ- साथ अब डिलीवरी ‘वुमन’ भी आपके दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं। 

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जी हां, देश के कई शहरों में इस तरह की पहल दिख रही है। दिल्ली में महिलाओं को यह मौका दे रही ‘ईवन कार्गो’ नामक स्टार्ट-अप कंपनी, जो उन्हें टू-व्हीलर में प्रशिक्षित करके उन्हें रोजगार के अवसर मुहैया करा रही है। कंपनी के सीईओ योगेश कुमार ने स्टीरियो टाइप को तोड़ते हुए लड़कियों के साथ डिलीवरी सर्विस शुरू करने का फैसला लिया। इसके तहत कंपनी के माध्यम से लड़कियों को स्कूटर चलाने की ट्रेनिंग दी गई है। इनमें से लड़कियों ने सभी चार चरणों को पूरा किया और कंपनी ने उन्हें स्थायी कर्मचारी के रूप में भर्ती कर लिया है। आज यही लड़कियां दिल्ली के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक स्कूटी पर सवार होकर आत्मविश्वास से लबरेज होकर लोगों के घर-घर में सामान पहुंचा रही हैं।

अलग करने की थी चाह कुछ अलग करने की चाह का सपना अपनी आंखों में संजोए डिलीवरी गर्ल पल्लवी के मन में था कि कुछ ऐसा करें, जिससे वह अपनी एक अलग पहचान बना सकें। बस इसीलिए उन्होंने यह जॉब चुनी। जॉब के साथ-साथ ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी कर रही पल्लवी बताती हैं, ‘मैंने बचपन में बहुत सुना था कि लड़कियों के लिए कुछ सीमित प्रोफेशन ही हैं। वह सिर्फ उनमें ही काम कर सकती हैं। तभी से मेरे मन में था कि मैं किसी ऐसे क्षेत्र को चुनूंगी, जो महिलाओं के लिए विषम माना जाता हो। इसके पीछे कोई फेमिनिज्म सोच नहीं थी। बस महिलाओं के प्रति तय विचारधारा को बदलने की एक छोटी-सी कोशिश थी। इसीलिए मैंने भारतीय पुलिस से जुड़ने का मन बनाया था, लेकिन पारिवारिक हालातों की वजह से यह सपना पूरा नहीं हो सका। इसी बीच मुझे डिलीवरी गल्र्स के बारे में पता चला, जो मेरी सोच से मेल खाती थी। बस मैं इसी प्रोफेशन से जुड़ गई। अमूमन लड़कियों को इसके लिए मना किया जाता है। तभी मैंने निर्णय लिया कि मैं इस प्रोफेशन से जुड़कर अपने सपने को पूरा कर सकती हूं। इसलिए आज मैं इस राह पर आगे बढ़ चली हूं।’

अपनों को मनाना था मुश्किल
किसी भी सपने को पूरा करने के लिए अपनों को विश्वास में लेना बहुत जरूरी होता है। इसीलिए अपनों का विश्वास जीतकर सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं डिलीवरी गर्ल पूजा गौर। पूजा कहती हैं, ‘मैंने जब अपने पैरेंट्स को बताया कि मैं यह जॉब करना चाहती हूं तो वह बहुत डरे हुए थे। उनके मन में कई सवाल थे। एक लड़की होकर सड़कों पर स्कूटी लेकर कैसे जाएगी? सफर में कहीं कोई दिक्कत न हो जाए? देर रात तक कैसे घर में वापस आएगी? आस-पड़ोस के लोग क्या कहेंगे? माता-पिता इन सभी बातों को लेकर बहुत डरे हुए थे, लेकिन फिर मैंने उनके भीतर यह विश्वास पैदा किया। मैंने उन्हें अपनी प्रशिक्षण रिपोर्ट दिखाई। वहीं मेरी सुरक्षा को लेकर कंपनी के सीईओ से लेकर अन्य स्टाफ ने माता-पिता को समझाने में मेरी मदद की। इसके बाद उन्होंने मुझे यह जॉब करने की अनुमति दी। आज मेरे मातापिता भी मेरी जॉब को लेकर आश्वस्त हैं।’

आसान नहीं सफर
जब भी आप लीक से हटकर कुछ अलग करने की तरफ कदम बढ़ाते हैं तो डर लगता है। दिल्ली के संगम विहार में रहने वाली ईवन कार्गो से जुड़ी डिलीवरी गर्ल यासमीन कहती हैं, ‘यह सफर इतना आसान नहीं रहा। पहले मैं बहुत घबराई हुई थी। स्कूटी पर सवार होकर सामान लेकर दिल्ली के कोने-कोने तक पहुंचना। यहां के ट्रैफिक से जूझना, पास से गुजरने वाले लड़कों की जान-बूझकर ओवरटेक करने की वजह से कभी-कभी सांस अटक जाना और ऐसे डरावने सफर को तय करके कस्टमर के घरों तक पहुंचना और अनजान लोगों से मिलना। यह सब कुछ बहुत आसान नहीं था। कभी-कभी कस्टमर्स फोन नहीं उठाते हैं, कई-कई बार कॉल करने के बाद भी उनका जवाब नहीं मिलता था। अनजान जगह पर उनका इंतजार करना या फिर कुछ अपार्टमेंट्स ऐसी जगहों पर होते थे जहां बहुत सन्नाटा होता है। इन सभी परिस्थितियों में डर लगना लाजिमी है। लेकिन फिर हमारी पूरी टीम ने इसके लिए हमें कुछ सावधानियां बताईं। जैसे किसी कस्टमर के अपार्टमेंट तक पहुंचने में अगर कुछ असहज लगे तो हम उनके बताए पते तक न जाकर उनको अपार्टमेंट के मुख्य द्वार पर ही बुला लें, जहां सिक्योरिटी भी रहती है। इस तरह छोटी-छोटी सावधानियां बरत कर हमने अपने डर पर काबू पाया।’

प्रशंसा से बढ़ रहा हौसला
आज जब महिलाएं हर क्षेत्र में खुद को साबित कर रही हैं, तो समाज भी उनकी प्रशंसा कर रहा है। इसी तारीफ के दम पर बुलंद हौसलों की उड़ान भरकर सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं मनीषा। वह कहती हैं, ‘आज जब मैं सामान लेकर लेकर लोगों के घरों में पहुंचती हूं तो लोग न केवल मेरे जज्बे की तारीफ करते हैं, बल्कि वह मुझे आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करते हैं। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि देखो-देखो कुड़ी डिलीवरी कर रही है तो यह सब सुनकर बहुत अच्छा लगता है। जॉब में मिल रही यह सराहना मेरे अंदर आत्मविश्वास और जोश भरती है। मैं अब अपनी जॉब की वजह से पहले से कहीं ज्यादा आजाद और सुरक्षित महसूस करती हूं।’

नाममुकिन कुछ भी नहीं
ऊंचाइयां इरादों से हासिल होती हैं और इरादे मजबूत हों तो आकाश भी आपकी मुट्ठी में आ सकता है। ज्योति कहती हैं कि लड़कियां सॉफ्ट हार्टेड भले ही हों, लेकिन वे अपने इरादों की पक्की होती हैं। वह अगर एक बार कुछ करने की ठान लें तो उनके लिए मुश्किल कुछ भी नहीं होता है। बस जरूरत है तो स्पष्ट लक्ष्य और सटीक मार्गदर्शन की। वहीं जो लोग लड़कियों को कमजोर मानकर उनके लिए कुछ प्रोफेशन सीमित कर देते हैं, यह उनकी सीमित सोच को दर्शाती है। मुझे लगता है कि वक्त के साथ हम जैसी लड़कियां उनकी सोच को बदलने का प्रयास करती हैं और आगे भी करते रहेंगे।

लॉजिस्टिक में बढ़ें महिलाएं
योगेश कुमार, सीईओ, ईवन कार्गो डिलीवरी सर्विस में महिलाओं को मौका देने के पीछे मकसद साफ था कि महिलाएं सिर्फ कुछ तय प्रोफेशन तक ही सीमित न रहें। वे पारंपरिक सोच को तोड़कर हर फील्ड में कदम आगे बढ़ाएं। इसीलिए मैंने लॉजिस्टिक फील्ड से लड़कियों को जोड़ने की कोशिश की। उनको ट्रेनिंग दी। स्कूटी की ट्रेनिंग के साथ उनके भीतर आत्मविश्वास को भी बढ़ाने की कोशिश की। आज टीम में 12 लड़कियां हैं, जो दिल्ली के कोने-कोने में सामान को घरों तक पहुंचा रही हैं। सिंगापुर इंटरनेशनल फाउंडेशन और सिंगापुर के टीआईएसएस डेवलपमेंट बैंक की सहायता से अब काम का दायरा बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को रोजगार मुहैया कराने के बारे में सोच रहा हूं।

-नंदिनी दुबे

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