चीनी सामान का विरोध करने तिब्बती एकजुट
सालों से चीन के आतंक का शिकार झेल रहे तिब्बती चाहते हैं कि भारतीय चीनी वस्तुओं की खरीदी न करें। यही नहीं वे भारत में चीनी सामान के बहिष्कार के लिए देशव्यापी आंदोलन भी चलाएंगे। उनका दावा है कि इस आंदोलन की सफलता के बाद चीन को हर रोज 6.66 लाख करोड़ का नुकसान होगा।
नागपुर। सालों से चीन के आतंक का शिकार झेल रहे तिब्बती चाहते हैं कि भारतीय चीनी वस्तुओं की खरीदी न करें। यही नहीं वे भारत में चीनी सामान के बहिष्कार के लिए देशव्यापी आंदोलन भी चलाएंगे। उनका दावा है कि इस आंदोलन की सफलता के बाद चीन को हर रोज 6.66 लाख करोड़ का नुकसान होगा। खास बात यह है कि तिब्बतियाें के इस आंदोलन की रणनीति नागपुर से तय होने जा रही है।
शहर में तिब्बत के संगठन और उनसे जुड़े बुद्धिजीवी एकत्रित हुए हैं। इसका खुलासा ‘कोर ग्रुप फॉर तिबेटियन कॉज’ के राष्ट्रीय संयोजक आरके ख्रिमे ने भास्कर संवाददाता से खास बातचीत में किया। तिब्बती संगठनों का मानना है कि चीन को कमजोर करने के लिए सबसे पहले उसे आर्थिक रूप से कमजोर करना जरूरी है। इसके लिए भारत में रह रहे प्रवासी तिब्बती चीन से आनेवाली सामग्रियों का बहिष्कार करने की मुहिम बड़े स्तर पर शुरू कर रहे हैं।
यह आंदोलन भारत में प्रवासी तिब्बती देश के विभिन्न शहरों में श्रृंखला-बद्ध ढंग से चलाएंगे।
280 सपोर्ट ग्रुप लेंगे हिस्सा
हालांकि, पहले भी यह आंदोलन तिब्बती अपने अनुसार चला रहे थे, लेकिन अब यह युद्धस्तर पर होगा। चीनी सामग्रियों के बहिष्कार अभियान को 280 तिब्बत सपोर्ट ग्रुप के माध्यम से व्यापक जनप्रचार के लिए सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाएगा। व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर आदि कई सोशल नेटवर्किंग साइटों के माध्यम से ‘मेड इन चाइना’ माल का बहिष्कार करने की मुहिम चलाई जाएगी।
बर्बरता के विरोध पर जान से मार देता है चीन
तिब्बत में रहनेवाले तिब्बतियों पर चीन के जुल्म की कहानी भी ख्रिमे ने बयां की। बताया कि चीन बर्बर तरीके से पेश आता है। अगर कोेई इसका विरोध करता है, तो उन्हें जान से मार दिया जाता है। इन दमनकारी यातनाओं की जानकारी सामने नहीं आ पाती। बलूचिस्तान को समर्थन देने के बाद हमारा विश्वास भी दोगुना हो गया है कि आजाद तिब्बत का हमारा भी सपना जल्द पूरा होगा।
सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत
ख्रिमे ने कहा कि पीओके में भारत द्वारा की गई “सर्जिकल स्ट्राइक’ का हम स्वागत करते हैं। हमें लगता है कि तिब्बत के प्रश्न का हल निकालने पर भारत-पाकिस्तान विवाद खत्म होने के बाद ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। हम दलाई लामा के शांतिपूर्वक तिब्बत पाने के सपने को साकार करना चाहते हैं।
संघ समझता है तिब्बतियों का राष्ट्र प्रेम
ग्रुप फॉर तिबेटियन कॉज के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक राष्ट्रवादी संगठन है। इसलिए वह तिब्बतियों के राष्ट्रप्रेम को अच्छी तरह समझता है। संघ नेता इंद्रेश कुमार के मार्गदर्शन में भारत-तिब्बत सहयोग मंच इस बात का प्रतीक है कि संघ हमारे साथ है। संघ भूमि में सम्मेलन करने से पूर्व स्मृति भवन में लोगों से मुलाकात जरूर करेंगे।
भारत के समर्थन में चीन के खिलाफ चला रहे मुहिम
- तिब्बती संगठन के आंकड़ों के अनुसार, यह आंदोलन सफल होने पर केवल दीपावली पर्व के दौरान ही चीन को प्रतिदिन 10 हजार यूएस डॉलर यानी करीब 6.66 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
- इसका एक चौथाई नुकसान सामान्य दिनों में होगा। आंदोलन का सीधा प्रभाव पाकिस्तान के साथ काम कर रहे चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
नहीं सुनी थी भारत सरकार ने
- आरके ख्रिमे ने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी में चीन 2004 से बांध बना रहा था। इसके बारे में भारत को हमने गोपनीय रिपोर्ट भी दी थी। यह भी बताया था कि चीन अतिक्रमण कर रहा है। लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
- अब सरकार ने इसको गंभीरता से लिया। चीन ने डैम तो बना लिया, पर अभी पानी नहीं रोका है।
- इस बांध का तिब्बत ही नहीं, भारत पर भी बहुत बुरा असर होगा। ब्रह्मपुत्र नदी में अगर बांध नहीं बनाया जाता तो अरुणाचल में 50 हजार मेगावॉट बिजली पैदा की जा सकती थी।