सर्जिकल स्ट्राइक पर बोले भागवत- यशस्वी शासन के नेतृत्व में सेना ने साहस दिखाया
आरएसएस के स्थापना दिवस के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सर्जिकल स्ट्राइक की तारीफ में कहा, "हमारे शासन ने पाकिस्तान को अच्छा जवाब दिया। शासन के नेतृत्व में हमारी सेना ने साहस दिखाया।
नागपुर। आरएसएस के स्थापना दिवस के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सर्जिकल स्ट्राइक की तारीफ में कहा, "हमारे शासन ने पाकिस्तान को अच्छा जवाब दिया। शासन के नेतृत्व में हमारी सेना ने साहस दिखाया। कश्मीर की उपद्रवकारी शक्तियों को उकसाने का काम सीमा पार से होता है, ये बात किसी से छिपी नहीं है।" 90 साल में पहली बार संघ ने खाकी निकर के बदले ट्राउजर को अपनाया है। आरएसएस की स्थापना 1925 में दशहरे के दिन ही हुई थी। मीरपुर, मुजफ्फराबाद, गिलगित-बाल्तिस्तान समेत पूरा कश्मीर हमारा।
भागवत ने कहा कि देश धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, परंतु दुनिया में ऐसी शक्तियां हैं जो भारत के प्रभाव को नहीं बढ़ने देना चाहतीं।मीरपुर, मुजफ्फराबाद, गिलगित-बाल्तिस्तान समेत पूरा कश्मीर हमारा है।जिनकी दुकान भेड़ों पर चलती है, ऐसी ताकतें दुनिया में हैं जो भारत को आगे बढ़ने नहीं देना चाहतीं। कश्मीर की उपद्रवकारी शक्तियों को उकसाने का काम सीमा पार से होता है, ये बात किसी से छिपी नहीं है। सारी दुनिया जानती है। उनको अच्छा जवाब हमारे शासन ने दिया है। शासन के नेतृत्व में हमारी सेना ने साहस दिखाया है। शौर्यपूर्वक जो काम यशस्वी शासन ने करके दिखाया, उससे पूरी दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। उपद्रवियों को संकेत मिल गया कि सहन करने की सीमा होती है। ये सरकार काम करने वाली है।
भाषा और जाति के भेदभाव के चलते समाज में कुछ घटनाएं होती रहती हैं। ये शर्मनाक हैं। इन घटनाओं के चलते कुछ लोग लोगों को बांटने की कोशिश करते हैं।
गोरक्षकों के मुद्दे पर भागवत बोले, 'गौ माता है और इसका काम करने वाले सारे गोरक्षक भले लोग हैं, जो कानून, संविधान के अंदर रहकर काम करते हैं। बता दें हाल ही में दलितों पर हमले को लेकर मोदी ने कहा था, '80% से ज्यादा गोरक्षक असामाजिक गतिविधियों में लगे हुए हैं। गोरक्षा के नाम पर दुकानें चल रही हैं।'
90 साल में पहली बार संघ की खाकी निकर फुलपैंट में बदली
आरएसएस के स्थापना दिवस के दिन खाकी निकर के बदले फुलपैंट को लागू कर दिया गया। 1925 में दशहरे के दिन ही आरएसएस की स्थापना हुई थी।
संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा, "संघ के साथ काम करने को लेकर समाज की स्वीकृति बढ़ती जा रही है और सुविधा के स्तर को देखते हुए वेशभूषा में बदलाव किया गया। यह बदलते समय के अनुरूप ढलने को दर्शाता है।
उन्होंने बताया कि आठ लाख से ज्यादा ट्राउजर बांटे गए हैं। इनमें छह लाख सिले हुए पैंट हैं, जबकि दो लाख रुपए का कपड़ा बांटा गया। इसे देश भर में संघ ऑफिस पर पहुंचाया गया है।
वैद्य के मुताबिक, "2009 में भी ड्रेस कोड में बदलाव का विचार किया गया था, लेकिन तब इस पर आगे काम नहीं हो सका। बता दें कि स्वयंसेवकों की ड्रेस में बदलाव का फैसला 13 मार्च, 2016 को नागौर में प्रतिनिधि सभा की मीटिंग में लिया गया था।
तीन बार बदली है ड्रेस
संघ की ड्रेस में इससे पहले भी 3 बदलाव हो चुके हैं। संघ की स्थापना के समय स्वयंसेवकों की ड्रेस में खाकी कमीज, खाकी निकर, चमड़े की बेल्ट, काले जूते और काली टोपी शामिल थी।
संघ ने पहली बार ड्रेस में बदलाव 1939 में किया था। तब खाकी शर्ट को बदलकर सफेद किया गया था। संघ का मानना था उनकी ड्रेस अंग्रेजी सेना की यूनिफॉर्म से मिलती-जुलती थी, इसे ध्यान में रखकर ही पहला बदलाव किया गया।
दूसरा बदलाव 1973 में किया गया। तब स्वयंसेवकों ने वजनदार जूतों की जगह नॉर्मल काले जूते अपनाए।स्वयंसेवकों की ड्रेस में तीसरा बदलाव 2010 किया गया। इसमें चमड़े की बेल्ट की जगह कपड़े की बेल्ट को शामिल किया गया था।
सर्दी में ड्रेस में शामिल होगी स्वेटर
जिन राज्यों में ज्यादा ठंड पड़ती है, वहां स्वयंसेवकों को स्वेटर दी जाएगी। ये स्वेटर ब्राउन कलर की होगी। एक लाख स्वेटरों का ऑर्डर दिया जा चुका है।