हाजी अली के मजार कक्ष तक पहुंचीं महिलाएं
आज करीब साढ़े चार साल बाद महिलाओं के एक समूह ने हाजी अली दरगाह के मजार कक्ष के अंदर प्रवेश किया।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। आज करीब साढ़े चार साल बाद महिलाओं के एक समूह ने हाजी अली दरगाह के मजार कक्ष के अंदर प्रवेश किया। महिलाओं ने मुस्लिम संत सैयद हाजी अली पीर की मजार पर दो मीटर दूर से ही चद्दर और फूल चढ़ाकर उनकी प्रार्थना की। नई व्यवस्था के अनुसार अब स्त्री-पुरुष सभी श्रद्धालु दो मीटर दूर से ही हाजी अली के दर्शन कर सकेंगे।
महिलाओं का हाजी अली दरगाह में उनकी मजार तक पहले भी प्रवेश होता था। लेकिन जून 2012 में दरगाह ट्रस्ट ने अचानक महिलाओं के मजार कक्ष में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। 2014 से मुस्लिम महिलाओं के संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) द्वारा दरगाह में महिलाओं का प्रवेश पुनः शुरू करवाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही थी। इसी वर्ष 26 अगस्त को मुंबई उच्चन्यायालय के न्यायमूर्ति वी.एम.कानाडे एवं न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे की पीठ ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला देते हुए हाजी अली दरगाह ट्रस्ट को महिलाओं को दरगाह के मजार कक्ष तक जाने देने के निर्देश दिए थे। उच्चन्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को भी महिलाओं को यह अधिकार सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए थे। हाजी अली ट्रस्ट ने उच्चन्यायालय के इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने भी 24 अक्तूबर को महिलाओं को पुरुषों के बराबर के अधिकार का हवाला देते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया था।
हालांकि तब तक दरगाह ट्रस्ट भी महिलाओं को मजार कक्ष में प्रवेश देने पर राजी हो गया। उसने सर्वोच्च न्यायालय से चार सप्ताह का समय मांगा था, ताकि वह महिलाओं के मजार कक्ष में प्रवेश से पहले वहां जरूरी इंतजाम कर सके। इसी नई व्यवस्था के तहत अब महिलाओं और पुरुषों, दोनों को दो मीटर दूर से सैयद हाजी अली पीर की मजार के दर्शन की अनुमति दी जाएगी। श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए चादर एवं फूल ट्रस्ट की ओर से तैनात सेवकों द्वारा मजार पर अर्पित किए जाएंगे। नई व्यवस्था के अनुसार ही आज भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन सह संस्थापक नूरजहां एस. नियाज के साथ करीब 80 महिलाओं ने शाम तीन बजे दरगाह में प्रवेश कर हाजी अली के दर्शन किए। बता दें कि हाजी अली दरगाह मुंबई के वरली क्षेत्र में समुद्र के बीचोबीच स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन एवं धार्मिक स्थल है। 24 घंटे में दो बार समुद्र में ज्वार आने पर बाहर से हाजी अली तक पहुंचने का करीब आधा किलोमीटर का रास्ता पानी भर जाने के कारण बंद कर दिया जाता है।