Move to Jagran APP

शिकायतों का पहाड़ छोड़ चुनाव लड़ने चले अखिलेश

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों की शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की शुरुआत की थी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 02:02 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 02:17 AM (IST)
शिकायतों का पहाड़ छोड़ चुनाव लड़ने चले अखिलेश
शिकायतों का पहाड़ छोड़ चुनाव लड़ने चले अखिलेश

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। उत्तर प्रदेश में प्रशासन को जवाबदेह बनाने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ऑनलाइन जन सुनवाई पोर्टल व मोबाइल एप की शुरुआत की। लेकिन अपना मौजूदा कार्यकाल खत्म होने तक वह इस पोर्टल पर लंबित शिकायतों का पहाड़ छोड़कर जाते दिख रहे हैं।

prime article banner

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों की शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की शुरुआत की थी। जिसमें संबंधित अधिकारी को नियत तारीख तक जवाब देने की बाध्यता थी।

लेकिन प्रदेश की अफसरशाही ऑनलाइन व्यवस्था में भी 'ऑफलाइन मोड' में ही चलती नजर आई। जिसके कारण आज भी दो लाख से ज्यादा शिकायतों की नियत तारीख बीत चुकी है और संबंधित अधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

मुंबई के चार्टर्ड एकाउंटेंट पंकज जायसवाल की आरटीआइ के जवाब में मिली जानकारी के अनुसार, कुल 11,17,534 दर्ज शिकायतों में से 2,17,407 शिकायतों की अंतिम नियत तारीख बीत चुकी है। इनमें से 41,275 शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय से संबंधित हैं।

इन शिकायतों के निस्तारण में अधिकारी एक-दूसरे को आदेश अग्रसारित करते जा रहे हैं और अंतिम निस्तारण की जिम्मेदारी से बचते दिखाई दे रहे हैं।

देखा गया है कि लंबित शिकायतें कई अधिकारियों के हाथ से गुजरती रही हैं और हर अधिकारी अपने अधीनस्थ को कार्रवाई की जाए की टिप्पणी के साथ शिकायत आगे बढ़ाता रहा है।

शिकायतों की जवाबदेही, वह भी लिखित रूप में सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश की यह एक अच्छी पहल थी। इस पहल में दर्ज शिकायतों का एक डाटा तैयार होता है।

शिकायतों के विषय के अनुसार संबंधित वरिष्ठ अधिकारी तक शिकायत सीधे पहुंचने का रिकॉर्ड मौजूद रहता है। फाइलों पर की गई टिप्पणियां और पत्र-व्यवहार को शिकायतकर्ता कभी भी देख सकता है और डाउनलोड भी कर सकता है।

शिकायत व्यक्तिगत या सामूहिक किसी भी रूप में की जा सकती है। एक विभाग से संबंधित एक जैसी ही शिकायतों का सामूहिक निपटारा भी किया जा सकता है।

इसके बावजूद यह व्यवस्था लालफीताशाही एवं टिप्पणियों की अंतहीन यात्रा का शिकार हो गई और इसका अपेक्षित लाभ जनता को नहीं मिल पाया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.