Move to Jagran APP

महाराष्ट्र में सामाजिक बहिष्कार करना अब होगा गुनाह

सामाजिक बहिष्कार जैसी घटनाओं को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सर्वसम्मति से सामाजिक बहिष्कार (रोकधाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2016 पारित कर दिया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 15 Apr 2016 01:42 AM (IST)Updated: Fri, 15 Apr 2016 01:58 AM (IST)
महाराष्ट्र में सामाजिक बहिष्कार करना अब होगा गुनाह

मुंबई। सामाजिक बहिष्कार जैसी घटनाओं को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सर्वसम्मति से सामाजिक बहिष्कार (रोकधाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2016 पारित कर दिया।
इस नए अधिनियम के मुताबिक अगर कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह सामाजिक बहिष्कार से जुड़े मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे तीन साल तक जेल और 1 लाख रुपए तक की सजा हो सकती है। नए कानून के मुताबिक आर्थिक जुर्माने की पूरी रकम या उसका एक हिस्सा पीड़ित व्यक्ति को दिया जाएगा। महाराष्ट्र सामाजिक बहिष्कार को अपराध मानते हुए कानून लाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
यदि अदालत सामाजिक बहिष्कार के मामले में सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी करार दे देती है तो सजा देने से पहले वो पीड़ित का बयान सुन सकती है और उसके आधार पर सजा का निर्धारण कर सकती है।
सभा के सामने इस बिल को लाने से पहले महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद को बताया कि राज्य में सामाजिक बहिष्कार के 68 मामले सामने आए हैं और अकेले रायगढ़ में 633 लोग सामाजिक बहिष्कार झेल रहे हैं।
बिल के मुताबिक सामाजिक बहिष्कार झेलने वाला व्यक्ति खुद या उसके परिवार का कोई सदस्य पुलिस या सीधा जज के सामने शिकायत दर्ज करा सकता है। बिल में ये भी प्रावधान है कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद 6 महीने के भीतर सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.