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शिवसेना-भाजपा में नहीं रुक रहा टकराव

महाराष्ट्र की सत्ता में साथ आने के बावजूद शिवसेना-भाजपा में टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। दो दिन पहले मंत्रिमंडल की बैठक में तू-तू मैं-मैं के बाद अब सामना में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की जमकर खिंचाई की गई है।

By Sachin kEdited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 12:32 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jan 2015 12:36 AM (IST)
शिवसेना-भाजपा में नहीं रुक रहा टकराव

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र की सत्ता में साथ आने के बावजूद शिवसेना-भाजपा में टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। दो दिन पहले मंत्रिमंडल की बैठक में तू-तू मैं-मैं के बाद अब सामना में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की जमकर खिंचाई की गई है।

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शिवसेना ने अपने मुखपत्र में विदर्भ में किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं को लेकर फड़नवीस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। शुक्रवार के संपादकीय में लिखा गया है कि जब 24 घंटे में विदर्भ के पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली, उस समय मुख्यमंत्री दावोस में आयोजित उद्योग परिषद में देश का नेतृत्व कर रहे थे। हालांकि, लोगों को उम्मीद थी कि विदर्भ पुत्र फड़नवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद वहां के किसानों की स्थिति सुधरेगी। इसमें मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।

दोनों सत्तारूढ़ दलों में टकराव मंत्रिमंडल की बैठक तक जा पहुंचा है। पता चला है कि पिछली बैठक के दौरान शिवसेना व भाजपा के दो वरिष्ठ मंत्रियों के बीच बहस तू-तू मैं-मैं तक जा पहुंची थी।

टकराव की मुख्य वजह मुंबई

दोनों पार्टियों के बीच टकराव मुंबई को लेकर अधिक हो रहा है। मुंबई महानगरपालिका की सत्ता में शिवसेना बड़े भाई की भूमिका में है, जबकि राज्य सरकार में यह भूमिका भाजपा की है। हाल ही में बीएमसी ने मुंबई की सड़कों पर खड़ी की जानेवाली कारों से शुल्क वसूलने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। स्थानीय निवासियों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने इस फैसले पर स्थगन आदेश जारी कर दिया। इससे पहले मुंबई में एलईडी लाइट लगाने का प्रस्ताव मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने दिया था। शिवसेना ने यह तर्क देते हुए इस प्रस्ताव का विरोध किया कि मुंबई में इस तरह के काम करने की जिम्मेदारी बीएमसी की है न कि राज्य सरकार की।

अभी और बढ़ेगी तनातनी

माना जा रहा है कि दोनों साथी दलों में यह टकराव अभी और बढ़ेगा। 2017 में मुंबई महानगरपालिका के चुनाव हैं। यहां पिछले 20 वर्षों से शिवसेना शासन कर रही है। वह किसी कीमत पर मुंबई पर अपना वर्चस्व छोडऩा नहीं चाहेगी। दूसरी ओर मुंबई में इस बार शिवसेना से अधिक सीटें लानेवाली भाजपा भी झुकने को तैयार नहीं दिख रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के लिए अपने साथी दल व पार्टी के बीच संतुलन साधना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। वह भी तब, जब उन्हें भाजपा की राजनीति में अपने से वरिष्ठ, लेकिन सरकार में कनिष्ठ बन चुके अपने ही मंत्रियों का पूरा समर्थन न मिल रहा हो।


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