Move to Jagran APP

नौ साल बाद साध्वी प्रज्ञा की रिहाई का रास्ता साफ

मालेगांव विस्फोट कांड की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बांबे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 26 Apr 2017 03:17 AM (IST)Updated: Wed, 26 Apr 2017 03:17 AM (IST)
नौ साल बाद साध्वी प्रज्ञा की रिहाई का रास्ता साफ
नौ साल बाद साध्वी प्रज्ञा की रिहाई का रास्ता साफ

राज्य ब्यूरो, मुंबई। मालेगांव विस्फोट कांड की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बांबे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। इसके चलते नौ साल बाद साध्वी प्रज्ञा की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन इस मामले में सहआरोपी लेफ्टीनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की जमानत अर्जी ठुकरा दी गई है।बांबे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रंजीत मोरे एवं शालिनी फनसाल्कर जोशी की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने 78 पेज के आदेश में कहा कि 44 वर्षीय साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक ऐसी महिला हैं जो वर्ष 2008 से जेल में है और कैंसर से पीडि़त हैं।

loksabha election banner

 याचिकाकर्ता प्रज्ञा को पांच लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया जाए। साथ ही उन्हें अपना पासपोर्ट एनआइए के समक्ष सरेंडर करना होगा। खंडपीठ ने साध्वी को निर्देश दिया कि वह सुबूतों से छेड़छाड़ न करें और जब व जैसे कहा जाए एनआइए की कोर्ट में पेश हों। लेकिन हाईकोर्ट ने प्रसाद पुरोहित की याचिका खारिज कर दी। खंडपीठ ने कहा कि पुरोहित के खिलाफ लगाए गए आरोपों को प्रथम दृष्टया सही मानने के ठोस आधार हैं। खंडपीठ साध्वी एवं प्रसाद पुरोहित की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। न्यायमूर्ति मोरे ने कहा कि साध्वी के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।

 इसी हफ्ते छूटेंगी प्रज्ञा

साध्वी प्रज्ञा के वकील ने बताया कि उन्होंने पांच लाख की जमानत राशि के इंतजाम के लिए कोर्ट से एक माह का समय मांगा, जो कोर्ट ने दे दिया। संभवत: साध्वी एक हफ्ते में जमानत पर छूट जाएंगी।

कांग्रेस नारायण राणे को थमा सकती है महाराष्‍ट्र की कमान, लेकिन...

 जमानत को चुनौती देगी जमायत

बांबे हाईकोर्ट के फैसले के तुरंत बाद एक गैर सरकारी संगठन जमायत उलेमा-ए-महाराष्ट्र ने घोषणा की कि वह साध्वी को मंजूर की गई जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। इस एनजीओ ने बम धमाके में मारे गए लोगों की तरफ से इस मामले में दखल दिया है। साथ ही साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित की जमानत का विरोध किया।

 क्या था मालेगांव मामला

बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को नासिक जनपद के मालेगांव कस्बे में एक मोटरसाइकिल में बम लगाकर विस्फोट किया गया था। इसमें आठ लोगों की मौत हुई थी एवं करीब 80 घायल हुए थे। इस मामले में 2008 में अक्टूबर के महीने में साध्वी एवं पुरोहित सहित ११ लोग गिरफ्तार किए गए थे। साध्वी पर आरोप था कि विस्फोट में इस्तेमाल मोटरसाइकिल साध्वी की थी। साथ ही वह कट्टर हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत की भोपाल और फरीदाबाद की बैठकों में शामिल हुई थीं। दोनों ही आरोप निराधार पाए गए। चूंकि वह बाइक 2004 में ही बेच चुकी थीं। लेकिन प्रज्ञा और पुरोहित पिछले नौ साल से जेल में हैं। साध्वी प्रज्ञा मध्य प्रदेश के सुनील जोशी हत्याकांड में छह अन्य आरोपियों के साथ पहले ही बरी हो चुकी हैं। अजमेर दरगाह मामले में भी एनआइए उनके खिलाफ मामला बंद कर चुकी है। प्रज्ञा के वकीलों का कहना है कि अजमेर दरगाह मामले में वह आरोपी नहीं हैं। इस प्रकार अब उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद साध्वी प्रज्ञा के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।

 भोपाल में कैंसर का इलाज

 जेल में रहते हुए ही साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो गई। फिलहाल वह भोपाल की जेल में हैं, जहां से उनका इलाज भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक कॉलेज की देखरेख में चल रहा है। साध्वी की अर्जी पर सुनवाई से पहले उच्च न्यायालय ने एनआइए की राय भी मांगी थी। जवाब में एनआइए ने कहा कि उसे साध्वी की अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं है।

 पुरोहित के खिलाफ एनआइए

 पुरोहित महाराष्ट्र की तलोजा जेल में बंद हैं। एनआइए ने कर्नल पुरोहित की अर्जी का विरोध कर कहा कि ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग एवं कॉल डाटा के आधार पर उनके खिलाफ मामला बनता है। गवाहों के बयान भी साबित करते हैं कि वह विस्फोट में शामिल थे। एनआइए के कथन पर पुरोहित ने दलील दी थी कि एनआइए आरोपियों को आरोपमुक्त करने में भेदभाव कर रही है। उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

पढ़ें, मालेगांव धमाके से जुड़ी हर जानकारी, इसी मामले में आरोपी हैं प्रज्ञा ठाकुर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.