जाकिर नाईक पर सधे कदम उठाना चाहती है मुंबई पुलिस
जांच एजेंसियों के निशाने पर आ चुके इस्लामी विद्वान डॉ.जाकिर नाईक सोमवार को मक्का से भारत लौट रहे हैं। मुंबई पुलिस ने उनके घर की सुरक्षा बढ़ा रखी है।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। जांच एजेंसियों के निशाने पर आ चुके इस्लामी विद्वान डॉ.जाकिर नाईक सोमवार को मक्का से भारत लौट रहे हैं। मुंबई पुलिस ने उनके घर की सुरक्षा बढ़ा रखी है। लेकिन वह उनपर कोई भी कार्रवाई बहुत ही सधे कदमों से करना चाहती है।
डॉ. जाकिर नाईक पर आरोप लग रहे हैं कि बंगलादेश में एक कैफे पर हमला कर 22 लोगों की जान लेनेवाले आतंकियों में से एक रोहान उनके भाषणों से प्रेरित था। एक बंगलादेशी अखबार द्वारा इस तथ्य का खुलासा होने के बाद नौ जांच एजेंसियां उनके पीछे लग गई हैं। महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्रालय ने मुंबई पुलिस को उनके भाषणों की जांच के आदेश दे दिए हैं। राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर नौ अलग-अलग जांच एजेंसियां डॉ. नाईक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ), उनके चैनल पीस टीवी पर प्रसारित उनके भाषणों एवं उनकी संस्था को विदेश से मिल रही आर्थिक मदद की जांच में जुट गई हैं। उच्च पदस्थ पुलिस सूत्रों के अनुसार डॉ. नाईक के मुंबई पहुंचने के बाद पुलिस उनसे पूछताछ कर सकती है। लेकिन आतंकी संगठनों से उनके संबंध होने के पुख्ता सबूत मिले बगैर उनपर कोई सख्त कार्रवाई किए जाने की उम्मीद कम ही है।
बता दें कि बंगलादेशी अखबार में आतंकियों से संबंधित खुलासा होने के बाद शिवसेना के साथ-साथ एक मुस्लिम संगठन रजा अकादमी ने भी डॉ. नाईक के डोंगरी स्थित कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। लेकिन अब कई मुस्लिम संगठन खुलकर डॉ. जाकिर नाई के समर्थन में आ गए हैं। इनमें जमात-ए-इस्लामी हिंद, मरकज़ी जमीयत-ए-अहले हदीस हिंद, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) एवं उर्दू जर्नलिस्ट फोरम जैसी संस्थाएं शामिल हैं। इन संस्थाओं का मानना है कि डॉ. नाईक इस्लाम का अन्य धर्मों से तुलनात्मक अध्ययन कर अपना भाषण देनेवाले विद्वान हैं। उनके भाषणों से मुस्लिमों के ही कई वर्ग सहमत नहीं होते। ऐसे मुस्लिम संगठन ही इस समय डॉ. नाईक का विरोध करते नजर आ रहे हैं।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग तो खुलकर राज्य की भाजपानीत सरकार के विरोध में आ गई है। उसके राष्ट्रीय सचिव शहंशाह जहांगीर कहते हैं कि भाजपा और शिवसेना की सरकार आईआरएफ जैसे मुस्लिम संगठनों को जांच के नाम पर परेशान करने का रास्ता ढूंढ रही है। वह आगे कहते हैं कि यह सिर्फ डॉ. जाकिर नाईक का सवाल नहीं है। भारतीय मुस्लिमों पर आतंकवाद से संबंध रखने का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार करने एवं परेशान करने का चलन बन गया है। बता दें कि इस महाराष्ट्र सरकार एवं मुंबई पुलिस डॉ. नाईक की वापसी के बाद इस प्रकार के आरोपों से बचने के लिए ही सधे हुए कदम उठाना चाहती है।