प्रतिरक्षा के मोर्चे पर पांव जमा रहा है 'मेक इन इंडिया'
प्रतिरक्षा के मोर्चे पर नीति निर्धारण के बाद अब मोदी सरकार अमल की ओर कदम बढ़ाती दिख रही है। इसके स्पष्ट दर्शन बुधवार को रक्षामंत्री की उपस्थिति में नई मुंबई के सिडको प्रदर्शनी मैदान में शुरू हो रहे एक सम्मेलन में होंगे।
मुंबई [ ओमप्रकाश तिवारी ]। प्रतिरक्षा के मोर्चे पर नीति निर्धारण के बाद अब मोदी सरकार अमल की ओर कदम बढ़ाती दिख रही है। इसके स्पष्ट दर्शन बुधवार को रक्षामंत्री की उपस्थिति में नई मुंबई के सिडको प्रदर्शनी मैदान में शुरू हो रहे एक सम्मेलन में होंगे।
प्रतिरक्षा के क्षेत्र में मेक इन इंडिया के विचार को अमल में लाने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा मिलाकर करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई है। अब इस पर आगे बढ़ने की जरूरत है। जिसे ध्यान में रखते हुए ह्यइमर्जिंग मैटीरियल फॉर डिफेंस एंड इन्फ्रास्ट्रक्टर विषयह्ण पर आयोजित इस सम्मेलन में देशी-विदेशी मिलाकर करीब 300 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। जहां निजी क्षेत्र की भारत फोर्ज जैसी स्वदेशी कंपनी पहली बार 45 फुट लंबे बैरल का प्रदर्शन करने जा रही है। इस प्रकार की बैरल का उपयोग लंबी दूरी तक मार करनेवाले हथियारों में किया जा सकता है। इसी प्रकार भारत के लिए तेजस जैसा युद्धक विमान बना रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. कार्बन फोन से बनी एक ऐसी बैटरी का प्रदर्शन करने जा रही है, जिसका उपयोग सियाचिन से लेकर जैसलमेर तक के मौसम में लंबे समय तक किया जा सकता है।
सम्मेलन की आयोजक संस्था एएसएम इंटरनेशनल, इंडिया काउंसिल के संयुक्त सचिव डॉ. अशोक तिवारी बताते हैं कि जेएसडब्ल्यू, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, आदित्य बिड़ला समूह जैसी करीब 300 भारतीय कंपनियां एवं चीन सहित लगभग 20 देशों की विदेशी कंपनियां इसमें हिस्सा ले रही हैं। प्रतिरक्षा एवं बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में एडवांस्ड हीट प्रोसेसिंग भी चर्चा का मुख्य विषय होगा। काउंसिल ऑफ साइंटिफ एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के महानिदेशक रहे और अब ग्लोबल रिसर्च एलायंस के चेयरमैन की जिम्मेदारी संभाल रहे आर.ए.म्हाशेलकर सम्मेलन के मुख्य वक्ता होंगे। डॉ. तिवारी बताते हैं कि प्रतिरक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत अभी तक पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं था। लेकिन 2030 तक निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के सम्मिलित सहयोग से यह लक्ष्य पूरा करने का मन सरकार बना चुकी है।