48 साल कानूनी लड़ाई के बाद वापस मिला फ्लैट
मुकदमा करने वाले नवीनचंद्र नानजी अदालत में इस मामले के लंबित रहने के दौरान चल बसे थे। उनके उत्तराधिकारियों ने कानूनी लड़ाई जारी रखी।
मुंबई, प्रेट्र। एक कमरे के फ्लैट को वापस पाने के लिए 48 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे मुंबई के एक परिवार को आखिरकार इंसाफ मिल गया। बांबे हाई कोर्ट ने किराएदार को 12 सप्ताह के भीतर मकान खाली करने को कहा है। निचली अदालत में यह मुकदमा वर्ष 1969 में दायर किया गया था।
मुकदमा करने वाले नवीनचंद्र नानजी अदालत में इस मामले के लंबित रहने के दौरान चल बसे थे। उनके उत्तराधिकारियों ने कानूनी लड़ाई जारी रखी। उनकी कोशिश तब रंग लाई, जब हाई कोर्ट की एकल जज पीठ ने पिछले हफ्ते उनके पक्ष में आदेश दिया। जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने मकान खाली करने का आदेश जारी करते हुए न्यायिक प्रणाली की सुस्ती पर अफसोस भी प्रकट किया।
नानजी 1969 में निचली अदालत पहुंचे थे। किराए पर देने के दो साल बाद किराएदार जीवराज भानजी ने फ्लैट खाली करने के नोटिस को मानने से इन्कार कर दिया था। उनकी दलील थी कि फ्लैट में कानूनी तौर पर स्थायी परिवर्तन कराया है। कुछ महीने बाद नानजी को पता चला कि भानजी, उसकी पत्नी और उसके पांच बच्चे वडाला इलाके में एक अन्य मकान में चले गए। लेकिन वे सेवरी इलाके के फ्लैट को अपने मजदूरों के कैंटीन के रूप में अवैध तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। नानजी ने यह बात कोर्ट को बताई जिसके बाद कोर्ट ने 1984 में फ्लैट खाली करने का आदेश दिया। लेकिन मुंबई स्मॉल कॉजेज कोर्ट की अपीलीय पीठ ने इस फैसले को पलट दिया। इसके बाद 1998 में नानजी के बेटे हाई कोर्ट पहुंचे।
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