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मैं तो शांतिदूत हूं : जाकिर नाईक

इस्लामी प्रचारक डॉ. जाकिर नाईक का कहना है कि मैं तो शांतिदूत हूँ और हर तरह के आतंकवादी हमले की निंदा करता हूँ।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 16 Jul 2016 06:15 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jul 2016 06:24 AM (IST)
मैं तो शांतिदूत हूं : जाकिर नाईक

मुंबई, राज्य ब्यूरो इस्लामी प्रचारक डॉ. जाकिर नाईक का कहना है कि मैं तो शांतिदूत हूँ और हर तरह के आतंकवादी हमले की निंदा करता हूँ। नाईक के अनुसार उनके भाषणों ने आतंकियों को प्रेरित नहीं किया, बल्कि उनके खिलाफ अनावश्यक मीडिया ट्रायल चलाया जा रहा है।

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डॉ. जाकिर नाईक शुक्रवार को मुंबई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रेस से बात कर रहे थे।वह इस समय मदीना में है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए मुंबई में बहुत मुश्किल से डॉ. जाकिर को मझगांव इलाके में जगह मिल सकी। इससे पहले स्थान उपलब्ध न हो पाने के कारण उन्हें तीन बार अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करनी पड़ी थी। लेकिन आज जगह मिलने के बाद डॉ. नाईक पहले तो मीडिया के सामने आने से कतराते रहे। हाल में मौजूद नाईक के समर्थक उनके कुछ वीडियो दिखाकर ही मीडिया को लौटा देना चाहते थे। मीडिया की जिद पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सामने आए नाईक भारतीय मीडिया पर जमकर बरसे। अपने संबोधन की शुरुआत डॉ. नाईक ने फ्रांस में हुए आतंकी हमले की निंदा से की। फिर नाईक ने कई बार कहा कि भारतीय मीडिया उनका ट्रायल कर रहा है, जोकि गलत है। जाकिर ने कहा कि उन्हें भारत सरकार या मुंबई पुलिस से कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन जांच के लिए किसी एजेंसी ने अभी तक उनसे कोई संपर्क नहीं किया है। यदि उनसे किसी एजेंसी ने संपर्क किया तो वे जांच में हर प्रकार के सहयोग के लिए तैयार हैं।

डॉ. नाईक ने कहा कि उन्हें तब झटका लगा, जब भारत में टेलीविजन चैनलों पर पैनलिस्ट उनके उन बयानों को लेकर बहस कर रहे है, जो आधे-अधूरे हैं। जाकिर ने कहा कि मैं हर तरह के आतंकी हमले की निंदा करता हूं। इस्लाम में आत्मघाती हमला हराम है। मासूमों की जान लेना गलत है। लेकिन नाईक ने स्वीकार किया कि युद्ध में आत्मघाती हमला जायज है। देशहित में आत्मघाती हमला जायज है। यहां तक कि जान बचाने के लिए शराब पीना भी जायज है। इस्लामी विद्वान के रूप में तमाम प्रश्नों का अपनी शैली में जवाब देनेवाले नाईक उस समय चुप्पी साध गए, जब उनसे भारत में मुस्लिमों की स्थिति के बारे में पूछा गया। उनसे पूछा गया था कि वे देश में मुस्लिमों की स्थिति के बारे में क्या जानते हैं ? देश में कितने मुस्लिम शिक्षित या सरकारी नौकरी में हैं ? नाईक इस सवाल का जवाब टाल गए। बता दें कि डॉ. नाईक हाल ही में तब चर्चा में आए, जब ढाका (बंगलादेश) में हुए आतंकी हमले के बाद आतंकियों में से एक के डॉ. नाईक के भाषणों से प्रभावित होने की खबरें आईं।

डॉ. नाईक अपने चैनल पीस टीवी के जरिए इस्लाम का प्रचार करते रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि सरकार ने पीस टीवी पर प्रतिबंध क्यों लगाया, डॉ. नाईक ने कहा कि पीस टीवी कानूनी सैटेलाइट चैनल है। मैंने भारत में लाइसेंस की अर्जी लगाई थी। लेकिन अर्जी बिना कोई कारण बताए खारिज कर दी गई। मुझे गोपनीयता के अाधार पर कारण नहीं बताया गया। मैं भी पूछना चाहूंगा कि पीस टीवी को प्रतिबंधित क्यों किया गया है ? नाईक ने इसी संदर्भ में सरकार पर एक बड़ा आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम चैनल होने के कारण सरकार ने उसे प्रतिबंधित किया है।


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