बिलकिस बानो केस में 11 आरोपियों की उम्रकैद की सजा बरकरार
गुजरात के बिलकिस बानो दुष्कर्म एवं उसके परिजनों की हत्या मामले में उच्च न्यायालय ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा बरकरार रखी।
मुंबई। गुजरात के बिलकिस बानो दुष्कर्म एवं उसके परिजनों की हत्या मामले में गुरुवार को मुंबई उच्च न्यायालय ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। इसके अलावा निचली अदालत से छूटे सात आरोपियों को भी दोषी करार दिया। हालांकि, तीन दोषियों को मृत्युदंड देने की सीबीआइ की अपील खारिज कर दी।
हाई कोर्ट का यह फैसला निचली अदालत से उम्रकैद की सजा पा चुके 11 गुनहगारों की याचिका पर आया है। न्यायमूर्ति वीके ताहिलरमानी और मृदुला भाटकर की खंडपीठ ने निचली अदालत द्वारा सजा सुनाए गए 11 दोषियों की उम्रकैद बरकरार रखी। निचली अदालत ने 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
इनमें से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। इसके अलावा निचली अदालत से छूट गए सात लोगों को हाई कोर्ट ने गुनहगार माना। इनमें से पांच पुलिसकर्मी और दो डॉक्टर हैं। इन्हें आरोपियों को बचाने के लिए गलत बयान देने एवं सुबूत नष्ट करने का दोषी पाया गया है।
जितना समय ये लोग अब तक जेल में बिता चुके हैं, अदालत ने कारावास के तौर पर उतना पर्याप्त माना। हालांकि, इन पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया।
पांच गुनहगारों की तरफ से मुकदमा लड़ रहे वरिष्ठ वकील हर्षद पोंडा का कहना था कि अपराध के दृश्य एवं गवाहों के बयानों में समानता नहीं है। उनके अनुसार इस घटना में मारे जानेवालों की संख्या को लेकर भी विवाद है। दूसरी तरफ, सीबीआइ के वकील हितेन वेनेगांवकर ने कहा कि सभी दोषी इस घटना से पहले भी गुजरात दंगों में शामिल थे। इसलिए यह घटना पूर्वनियोजित थी।