पानी की बर्बादी रोकने के लिए सरकार ने लिए कई बड़े फैसले
राज्य मंत्रिमंडल ने पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई वितरण प्रणाली नीति के मसौदे को मंजूरी दी। जलसंपदा मंत्री गिरीश महाजन ने बताया कि राज्य में सिंचाई के लिए अब खेतों में बंद पाइप लाइन से पानी दिया जाएगा। इससे करीब 40 फीसदी पानी की बचत होगी।
मुंबई।अब भूमिगत पानी लाइन से सिंचाई के लिए खेतों को पानी दिया जाएगा। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई वितरण प्रणाली नीति के मसौदे को मंजूरी दी। जलसंपदा मंत्री गिरीश महाजन ने बताया कि राज्य में सिंचाई के लिए अब खेतों में बंद पाइप लाइन से पानी दिया जाएगा। इससे करीब 40 फीसदी पानी की बचत होगी।
उन्होंने बताया कि जिन कार्यों को प्राथमिक मंजूरी मिल चुकी है या फिर आधा काम हो चुका है, ऐसी सभी जगहों पर पाइप लाइन का इस्तेमाल होगा। पाइप लाइन भूमिगत होगी। अब तक नहर से पानी दिया जाता था। इससे बड़े पैमाने पर पानी की बर्बादी होती थी।
महाजन ने कहा कि नहर के लिए भूमि अधिग्रहण की जरूरत पड़ती थी। भूमि अधिग्रहण की राशि 5 गुना बढ़ा दी गई है। कई जगहों पर किसान भूमि देने को लेकर विरोध करते हैं, लेकिन खेतों से भूमिगत पाइप लाइन का वे विरोध नहीं करेंगे। ड्रिप इरिगेशन को सख्ती से अनिवार्य किया जाएगा।
सिंचाई घोटाले की जांच में तेजी
जलसंपदा मंत्री महाजन ने कहा कि एसीबी सिंचाई घोटाले की जांच तेजी से कर रही है। कोंकण की परियोजनाओं में हुई अनियमितता के मामले में कई लोग जेल में हैं। अन्य मामलों में भी एसीबी जल्द ही चार्जशीट दायर करेगी। जिस तरह से पीडब्ल्यूडी में कार्रवाई हुई है, उसी तरह से यहां भी होगी। आरोपी जेल जाएंगे। महाजन का इशारा राकांपा के नेताओं की ओर था।
इस्तेमाल किए पानी से चलने वाले कारखानों को जमीन
राज्य में पिछले पांच-छह वर्षों से लगातार सूखे की स्थिति ने उद्योग विभाग को परेशान कर दिया है। भविष्य में पानी की समस्या के चलते उद्योग बंद न हों, इसके लिए विभाग ने नई नीति बनाई है। इसके तहत सरकार उन्हीं उद्योगों को जमीन उपलब्ध कराएगी जो गंदे पानी को साफ कर दोबारा इस्तेमाल करने को तैयार होंगे। उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने मंगलवार को यह जानकारी दी।देसाई ने कहा कि पानी के इस्तेमाल के बारे में सरकार गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही पानी परिषद का आयोजन किया जाएगा।
बैठक में विशेषज्ञों से पानी को दोबारा इस्तेमाल करने से जुड़े सुझाव मांगे जाएंगे। नवी मुंबई के गंदे पानी को साफ कर तलोजा स्थित कारखानों में इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार ने इसे प्रायोग के तौर पर शुरू किया है। जल्द ही कारखानों के लिए गंदे पानी को साफ कर इस्तेमाल करना अनिवार्य कर दिया जाएगा।
मंत्री के मुताबिक, मुंबई में रोजाना 3200 एमएलडी पानी की खपत होती है, लेकिन इसका 70 फीसदी हिस्सा गंदे पानी के रूप में समुद्र में छोड़ दिया जाता है। सभी बड़े शहरों का यही हाल है। अगर हालात जल्द नहीं बदले गए तो भविष्य में पानी का संकट और विकट हो जाएगा।
हर जिले में होगी जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति
अब राज्य के हर जिले में जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति के कार्यालय होंगे। सत्यापन समितियों के लिए 115 पद सृजित किए गए हैं। इन पर भर्ती के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। साथ ही जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति के अध्यक्ष पद पर अतिरिक्त जिलाधिकारी और सामाजिक न्याय विभाग के अधीन कार्यरत अतिरिक्त आयुक्त या फिर मंत्रालय के सह सचिव दर्जे के अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। नए पदों के वेतन व अन्य खर्च के लिए सरकार पर 7.88 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। सामाजिक न्यायमंत्री राजकुमार बडोले ने बताया कि आगामी शैक्षिक सत्र शुरू होने से पहले सभी पदों पर नियुक्ति कर दी जाएगी। नियुक्ति के बाद हर जिले में जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति के कार्यालय होंगे। अभी विभागवार केवल 15 समितियां कार्यरत हैं।