बीमार मां को देखने स्वीडन से 41 साल बाद वापस भारत लौटी बिछड़ी बेटी
अंजलि पवार ने कहा, यवतमाल के सरकारी अस्पताल में बेहद भावुक पल था। मां और बेटी दोनों की आंखों से आंसू छलक आए।
मुंबई। भारतीय मूल की स्वीडिश नागरिक नीलाक्षी एलिजाबेथ जोरेंडल के लिए वाकई में यह एक भावुक पल था। 1976 में एक विदेशी जोड़े ने उन्हें गोद लिया था। उस वक्त वह महज तीन साल की थीं। अब गोद लिए जाने के 41 साल के बाद नीलाक्षी भारत वापस आई हैं, वो भी अपनी बॉयोलॉजिकल मां से मिलने जो कि इन दिनों बीमार हैं। इतने सालों बाद जब नीलाक्षी महाराष्ट्र के यवतमाल में अपनी मां से मिली होंगी, उस वक्त क्या मंजर रहा होगा इसकी कल्पना आप बखूबी कर सकते हैं।
44 वर्षीय नीलाक्षी पुणे स्थित एनजीओ अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग की अंजलि पवार के माध्यम से अपनी बायोलॉजिकल मां को ढूंढ पाने में कामयाब रहीं। अंजलि पवार ने कहा, यवतमाल के सरकारी अस्पताल में बेहद भावुक पल था। मां और बेटी दोनों की आंखों से आंसू छलक आए।
नीलाक्षी के बायोलॉजिकल पिता एक खेत मजदूर थे, जिन्होंने 1973 में खुदकुशी कर ली। उस साल ही नीलाक्षी का पुणे के समीप केदगांव स्थित पंडित रमाबाई मुक्ति मिशन के शेल्टर एंड एडॉप्शन होम में जन्म हुआ था। नीलाक्षी की मां ने उन्हें वहीं छोड़ दिया। बाद में उन्होंने दूसरी शादी कर ली, जिससे एक बेटा और एक बेटी हैं। वे दोनों भी अस्पताल में मौजूद थे। नीलाक्षी ने उन्हें इलाज के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया।