एमआईएम की मान्यता रद से कांग्रेस व सपा की बांछें खिलीं
महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग द्वारा आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) की मान्यता रद्द कर दी गई है। इस फैसले से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की बांछें खिल गई हैं।
मुंबई [ ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग द्वारा आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) की मान्यता रद्द कर दी गई है। चुनाव आयोग के इस फैसले से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की बांछें खिल गई हैं। क्योंकि एमआईएम द्वारा मुस्लिम मतों का बंटवारा इन पार्टियों को नुकसान पहुंचाता रहा है।
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम को 31 दिसंबर, 2015 तक अपनी पार्टी की ऑडिट और आईटी रिटर्न जमा करनी थी। एमआईएम ऐसा नहीं कर सकी है। जिसके फलस्वरूप महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने एमआईएम की मान्यता रद्द कर दी है। इस फैसले के बाद एआईएमआईएम अपने चुनाव चिन्ह पर कोई चुनाव नहीं लड़ सकेगी। बता दें कि निकट भविष्य में महाराष्ट्र में मुंबई सहित कई बड़े स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं। ओवैसी की पार्टी इनमें से अधिसंख्य निकायों के लिए कमर कस रही थी। लेकिन अब वह अपने चुनाव निशान पर ये चुनाव नहीं लड़ सकेगी। इसका सीधा लाभ कांग्रेस और सपा जैसे दलों को मिलेगा। क्योंकि महाराष्ट्र में जबसे एमआईएम ने पांव पसारने शुरू किए हैं, तबसे इसका नुकसान इन्हीं दलों को उठाना पड़ रहा है।
कभी सिर्फ पुराने हैदराबाद की पार्टी कही जानेवाली एमआईएम ने 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दो विधानसभा सीटें जीतकर सबको अचरज में डाल दिया था। एमआईएम ने महाराष्ट्र में 24 उम्मीदवार खड़े किए थे। जिसमें से दो ने जीत दर्ज की और बाकी ने अच्छे-खासे वोट लेकर कांग्रेस और सपा जैसी पार्टियों को हराने में बड़ी भूमिका निभाई। पार्टी तीन सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी और आठ सीटों पर तीसरे स्थान पर। एमआआईएम के सभी उम्मीदवारों ने मिलकर राज्य में 5,16,632 वोट लिए थे। यही नहीं, औरंगाबाद महानगरपालिका चुनाव में भी एमआईएम दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। एमआईएम की यह बढ़त मुंबई और ठाणे महानगरपालिका चुनाव में उसकी अच्छी संभावनाएं दिखा रहे थे।
मुंबई और ठाणे की पांच विधानसभा सीटों पर एमआईएम का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। ये वही क्षेत्र हैं, जहां कभी कांग्रेस या समाजवादी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती रही हैं। एमआईएम के आक्रामक तरीके से मैदान में कूदने से इन दोनों पार्टियों को करारा नुकसान होता दिखाई दे रहा था। हालांकि कांग्रेस और सपा एमआईएम के कारण होनेवाले किसी भी तरह के नुकसान को स्वीकार नहीं करतीं। लेकिन एमआईएम द्वारा अपना वोट काटे जाने की चिंता उनकी बातचीत में साफ नजर आती है। सपा नेता तो अपने भाषणों में भाजपा-शिवसेना से ज्यादा प्रहार एमआईएम पर करते नजर आते हैं। जाहिर है, एमआईएम की मान्यता रद्द होने से ये पार्टियां बेफिक्र हुई होंगी।