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बीएमसी मेयर की दौड़ से अलग हुई भाजपा

भाजपा ने बीएमसी मेयर, डिप्टी मेयर के चुनाव में शिवसेना को बिना शर्त समर्थन देने का प्रस्ताव किया। भाजपा उम्मीदवार नहीं उतारेगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 05 Mar 2017 02:00 AM (IST)Updated: Sun, 05 Mar 2017 02:16 AM (IST)
बीएमसी मेयर की दौड़ से अलग हुई भाजपा
बीएमसी मेयर की दौड़ से अलग हुई भाजपा

मुंबई, प्रेट्र। महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम शनिवार को तेजी से बदल गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने बृहन्नमुंबई नगर निगम (बीएमसी) मेयर, डिप्टी मेयर के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नहीं उतारने का एलान किया। उन्होंने शिवसेना को बिना शर्त समर्थन देने का प्रस्ताव भी किया। शिवसेना ने मेयर और डिप्टी मेयर के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी। बीएमसी मेयर और डिप्टी मेयर के लिए आठ मार्च को मतदान होना है।

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 देश के सबसे बड़े और धनी निगम में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। 227 सदस्यीय बीएमसी में शिवसेना के 84 और भाजपा के 82 पार्षद हैं। शिवसेना के पक्ष में चार निर्दलीय पार्षद भी हैं, जबकि अखिल भारतीय सेना की पार्षद गीता गवली ने भाजपा का समर्थन करने की बात कही है। फड़नवीस ने शनिवार को कहा कि भाजपा निगम के दोनों शीर्ष पदों के लिए अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी।

 महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा, 'भाजपा के पारदर्शी निकाय प्रशासन के एजेंडे पर विश्वास करते हुए मुंबई की जनता ने जबरदस्त तरीके से पार्टी के पक्ष में मतदान किया। शिवसेना सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई, जबकि भाजपा को उससे दो सीटें कम मिलीं। अपने दम पर मेयर बनाने के लिए पार्टी के पास पार्षदों की पर्याप्त संख्या नहीं है।' भाजपा ने बीएमसी की किसी भी समिति में शामिल होने से भी इन्कार किया है। ऐसे में शिवसेना का रास्ता साफ हो गया है।

 शिवसेना के वरिष्ठ नेता अनिल परब ने मेयर पद के लिए विश्वनाथ महादेश्वर और डिप्टी मेयर के लिए हरेश्वर वर्लीकर के नामों की घोषणा की है।महाराष्ट्र सरकार को खतरा नहींमुख्यमंत्री फड़नवीस ने कहा कि बीएमसी के मेयर पद के चुनाव का सरकार के स्थायित्व से कोई लेना-देना नहीं है। उनकी सरकार स्थिर है। फड़नवीस ने बताया कि शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में शिवसेना के मंत्री भी शामिल हुए थे। मालूम हो कि बीएससी चुनावों को लेकर पिछले कुछ महीनों में भाजपा और शिवसेना के बीच तल्खी काफी बढ़ गई थी। महाराष्ट्र सरकार से समर्थन वापस लेने पर विचार करने तक की बातें होने लगी थीं।

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