महाराष्ट्र में जारी रहेगा गोमांस पर प्रतिबंध
यदि किसी को गौहत्या का आरोपी पाया जाता है, तो उसे पांच साल की सजा एवं 10,000 रुपए जुर्माने के तौर पर भरने होंगे।
मुंबई,राज्य ब्यूरो। मुंबई उच्चन्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा गोमांस पर लगाए गए प्रतिबंध को जारी रखा है। हालांकि दूसरे राज्यों से महाराष्ट्र में गोमांस का आयात करने पर लगी रोक हटा दी गई है।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित महाराष्ट्र एनिमल प्रिजर्वेशन (संशोधन) एक्ट को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने मंजूरी प्रदान कर दी थी। इसके बाद फरवरी 2015 से राज्य सरकार ने गोमांस पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने दूसरे राज्यों से गोमांस आयात करने पर भी रोक लगा दी थी। राज्य में 1976 में ही गोहत्या पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन कानून में हुए नए संशोधन के बाद से गोमांस खाने और रखने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। नए संशोधन के मुताबिक यदि किसी को गौहत्या का आरोपी पाया जाता है, तो उसे पांच साल की सजा एवं 10,000 रुपए जुर्माने के तौर पर भरने होंगे। वहीं गोमांस रखने का आरोप सिद्ध होने पर एक साल की सजा एवं दो हजार रुपए जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
सरकार के इस फैसले के विरुद्ध राज्य की बुचर एसोसिएशन ने मुंबई उच्चन्यायालय में याचिका दायर की थी, क्योंकि सरकार के फैसले से उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा था। उच्चन्यायालय की एक खंडपीठ के न्यायमूर्तिद्वय ए.एस.ओक एवं एस.सी.गुप्ता ने आज उक्त याचिका पर फैसला सुनाते हुए गोमांस पर तो सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध जारी रखा है। लेकिन नए अधिनियम की उस धारा को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य के बाहर से गोमांस लाने पर रोक लगाई गई थी।
बता दें कि यह रोक तत्काल प्रभाव से हटा ली गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह अपने वकीलों के साथ इस उच्चन्यायालय के फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। आवश्यकता पड़ी तो वह इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।