याकूब मेमन की फांसी का हाई वोल्टेज ड्रामा, सीएम लेगें यू-टर्न?
जैसे-जैसे याकूब मेमन की मौत की तारीख 30 जुलाई नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे फांसी पर नेताओं ने हाईवोल्टेज ड्रामा शुरू कर दिया है। फांसी की तारीख और सुप्रीमकोर्ट के फैसले की तारीख के बीच के अंतर ने इस मामले को और उलझा दिया है।
मुंबई। जैसे-जैसे याकूब मेमन की मौत की तारीख 30 जुलाई नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे फांसी पर नेताओं ने हाईवोल्टेज ड्रामा शुरू कर दिया है। फांसी की तारीख और सुप्रीमकोर्ट के फैसले की तारीख के बीच के अंतर ने इस मामले को और उलझा दिया है। इस बीच इस बात की चर्चा है कि महाराष्ट्र सरकार फांसी से एक-दो दिन पहले कोई बड़ा कदम उठा सकती है। वह क्या होगा इस बारे में तो अभी कुछ नहीं कहा जा रहा है, पर इतना जरूर कहा जा रहा है जो भी होगा उसकी घोषणा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2014 को एक आदेश दिया था। इसके मुताबिक, किसी दोषी की आखिरी पीटिशन खारिज होने और उसे फांसी दिए जाने के दिन के बीच कम से कम 14 दिनों का गैप होना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे पी. सदाशिवम की बेंच ने कहा था, 'इस गैप से दोषी खुद को सजा के लिए तैयार कर सकेगा। आखिरी बार वह अपने फैमिली मेंबर्स से मिल सकेगा। यह जेल सुपरिडेंटेंट का जिम्मा है कि वह मर्सी पीटिशन खारिज होने की जानकारी दोषी की फैमिली तक समय रहते पहुंचा दे। यही एक पेंच है जो मेमन के फांसी देने की तारीख पर असमंजस पैदा कर रहा है। सुप्रीमकोर्ट ने मेमन की अर्जी 21 जुलाई को खारिज की है, जो फांसी से नौ दिन पहले है। टाडा कोर्ट ने डेथ वारंट 11 दिन पहले जारी किया था।