छगन भुजबल की बढ़ी मुश्किलें, एंटी करप्शन ब्यूरो को मिले सबूत
महाराष्ट्र सदन घोटाले की जांच कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो को पूर्व सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री छगन भुजबल के खिलाफ कुछ और सबूूत मिले हैं।
मुंबई। महाराष्ट्र सदन घोटाले की जांच कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो को पूर्व सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री छगन भुजबल के खिलाफ कुछ और सबूूत मिले हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने पाया है कि तीन कंपनियों को एमआईजी कालोनी के पुनर्विकास का ठेका मिला था और उसके बदले भुजबल को कंपनियों से करीब 40 करोड़ रूपए मिले।
एसीबी सूत्रों का दावा है कि इस मामले की जांच के दौरान इस बात के सबूत मिले हैं िक भुजबल ने बतौर पीडब्ल्यूडी मंत्री मिले अधिकारों का दुरूपयोग किया और तीनों निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया। जांच में यह बात भी सामने आई है कि तीन में से दो कंपनियां तो परियोजना हासिल करने योग्य भी नहीं थी। आरोप है कि इस ठेके के बदले भुजबल को कंपनियों ने अलग-अलग तरीकों से 40 करोड़ रूपए का फायदा पहुंचाया।
ताजा सबूतों के आधार पर एसीबी भुजबल के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज कर सकती है।भुजबल के खिलाफ एसीबी पहले ही तीन एफआईआर दर्ज कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में भी उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। आम आदमी पार्टी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। अदालत के निर्देश पर एसीबी मामले की जांच कर रही है। जांच में यह बात सामने आई है कि 2009 में भुजबल और तत्कालीन जल संपदा मंत्री अजित पवार की अगुआई में बनी मंत्रिमंडल की एक उपसमिति ने एमआईजी रीडेवलपमेंट परियोजना को तीन हिस्सों में बांट दिया और इसका जिम्मा तीन अलग-अलग कंपनियों को सौंप दिया। हालांकि शहर के इस सबसे बड़े पुनर्निर्माण परियोजना को 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ठंडे बस्ते में डाल दिया।