भुजबल के 17 ठिकानों पर एसीबी के छापे
एसीबी ने मंगलवार को राज्य के पूर्व सार्वजनिक निर्माण एवं पर्यटन मंत्री छगन भुजबल एवं उनके संबंधियों के 17 ठिकानों पर छापा मारा। छापे की कार्रवाई दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन के पुनर्निर्माण में हुए घोटाले की जांच प्रक्रिया का हिस्सा है।
मुंबई [राज्य ब्यूरो]। महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मंगलवार को राज्य के पूर्व सार्वजनिक निर्माण एवं पर्यटन मंत्री छगन भुजबल एवं उनके संबंधियों के 17 ठिकानों पर छापा मारा। छापे की कार्रवाई दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन के पुनर्निर्माण में हुए घोटाले की जांच प्रक्रिया का हिस्सा है। एसीबी द्वारा भुजबल, उनके पुत्र , भतीजे एवं कई अधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी पिछले सप्ताह ही दर्ज की जा चुकी है।
मंगलवार सुबह से ही एसीबी ने मुंबई, पुणे, नासिक एवं ठाणे छापे की कार्रवाइयां शुरू कर दी थीं। छापे की हर कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग की जा रही थी और दो गवाहों को भी साथ रखा गया था। ताकि बाद में एसीबी को जांच आगे बढ़ाने में सुविधा हो।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस के अनुसार छापे की कार्रवाई भुजबल एवं उनके परिजनों के विरुद्ध दर्ज हुई प्राथमिकी के बाद जांच का हिस्सा मात्र है। इसे राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई नहीं समझा जाना चाहिए। बता दें कि दिल्ली के कोपरनिकस मार्ग स्थित महाराष्ट्र सदन के पुनर्निर्माण में करीब 100 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
आरोप है कि भुजबल ने इसके निर्माण का ठेका अपने संबंधियों को दिया। आम आदमी पार्टी एवं भाजपा सांसद किरीट सोमैया द्वारा इस मामले में जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद मुंबई उच्चन्यायालय के आदेश पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
एसीबी अधिकारियों के अनुसार छापे की कार्रवाई के दौरान भुजबल एवं उनके संबंधियों की संपत्तियों का विवरण दर्ज किया जा रहा है। दर्ज संपत्तियों पर सफाई का मौका भुजबल को दिया जाएगा। बाद में जरूरत के अनुसार कार्रवाई का निर्णय किया जाएगा।
भुजबल ने एसीबी की ओर से उनपर लगाए जा रहे आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र सदन के पुनर्निर्माण के बारे में कोई भी निर्णय उनका व्यक्तिगत नहीं रहा है। इस मामले में पूरे मंत्रिमंडल ने मिलकर फैसला किया था। बता दें कि यदि एसीबी द्वारा लगाए गए आरोप साबित हुए तो भुजबल पर आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति रखने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक एक्ट 1988 के तहत कार्रवाई हो सकती है।