पूजा के आधार पर धर्मातरण नहीं जानता था हिंदू : भागवत
राज्य ब्यूरो, मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदू पूजा पद्धति
राज्य ब्यूरो, मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदू पूजा पद्धति के आधार पर धमरंतरण कभी जानता ही नहीं था। क्योंकि यहां धर्म का मतलब पूजा नहीं होता।
मोहन भागवत गुरुवार को यहां दादर स्थित सावरकर स्मृति प्रतिष्ठान में वीर सावरकर के स्वर्गीय भतीजे विक्रम की लिखी एक पुस्तक के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। सावरकर के अनुसार किसी व्यक्ति की जीवन पद्धति एवं उसके कर्तव्यों के मिले-जुले स्वरूप को ही यहां धर्म माना जाता रहा है। यहां धर्म का अर्थ है कि हम स्वयं एवं पूरा विश्व किस प्रकार सुखी रह सकता है। वीर सावरकर के विचारों को याद करते हुए भागवत ने कहा कि हिंदू कभी नहीं मानते थे कि धर्म में पूजा करना अनिवार्य है। यह तो हमने इस्लाम के यहां आने के बाद सीखा। उससे पहले हमारे यहां कभी किसी की पूजा पद्धति को बदलने का प्रयास नहीं किया गया।
भागवत ने सावरकर के सिद्धांतों की याद करते हुए कहा कि अपने पूर्ववर्तियों की गलतियों को सुधारना उनका अपमान करना नहीं होता। हर व्यक्ति को अपने स्वभाव के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। किसी भी राष्ट्र की मजबूती उसकी सामाजिक एकता से ही संभव है। यदि हम इस दिशा में काम करें तो सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं।