सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष ने छोड़ा पद, कहा-दबाव डालती है सरकार
मुंबई /नई दिल्ल्ी। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम की फिल्म 'मैसेंजर ऑफ गॉड' (एमएसजी)
मुंबई /नई दिल्ल्ी। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम की फिल्म 'मैसेंजर ऑफ गॉड' (एमएसजी) पर विवाद थम नहीं रहा है। इसकी रिलीज के विरोध में लीला सैमसन ने सेंसर बोर्ड अध्यक्ष पद से गुरुवार देर रात इस्तीफा दे दिया। फिर आरोप भी लगाया, 'सरकार बोर्ड के काम में दखल देती है। सूचना प्रसारण मंत्रालय दबाव डालता है।'
शुक्रवार को बोर्ड की एक और सदस्य इरा भास्कर ने भी इस्तीफा दिया। उन्होंने दावा किया कि सारे सदस्य इस्तीफा देंगे। शाम होते-होते बोर्ड की दूसरी सदस्य नंदिनी सरदेसाई भी सैमसन और भास्कर के समर्थन में आ गईं। कहा, 'ये हमारा आखिरी फैसला है। हम सभी ने मिलकर फिल्म की रिलीज रोकने का फैसला किया था।'
वहीं, सरकार ने सैमसन के आरोप खारिज किए हैं। सूचना प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने तो सैमसन से दबाव के सबूत मांग लिए। कहा, 'सैमसन दबाव की बात करती हैं तो वे इसके सबूत दें। हम वह एसएमएस या पत्र देखना चाहेंगे, जिनमें उन पर या बोर्ड के किसी सदस्य पर दबाव डाला गया है।' उन्होंने कहा, 'हम फिल्म सेंसरशिप के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते। हम सेंसर बोर्ड के फैसलों का सम्मान करते हैं।'
बोर्ड को क्यों थी आपत्ति
फिल्म में राम रहीम मुख्य भूमिका में हैं। उन्होंने खुद को भगवान बताया है। इसी पर सेंसर बोर्ड ने आपत्तिजताई थी। अकाल तख्त समेत कई सिक्ख संगठनों ने फिल्म पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए रोक लगाने की मांग की थी।
पूरा सेंसर बोर्ड एक्सटेंशन पर
पूरा सेंसर बोर्ड तीन-तीन महीने के एक्सटेंशन पर है। बोर्ड के सभी सदस्यों और अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हो चुका है। नई सरकार ने नया बोर्ड और अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया। फंड के अभाव में बोर्ड सदस्यों की सालभर से मीटिंग तक नहीं हुई है। सैमसन की नियुक्ति 1 अप्रैल, 2011 को हुई थी।