ठाकरे बंधुओं को सहमति से विवाद सुलझाने का सुझाव
मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने उद्धव ठाकरे और जयदेव को वसीयत का विवाद आपसी सहमति से सुलझाने का सुझाव दिया
मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने उद्धव ठाकरे और जयदेव को वसीयत का विवाद आपसी सहमति से सुलझाने का सुझाव दिया है। शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बाल ठाकरे ने अपने वसीयत में संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उद्धव के नाम कर दिया, जबकि जयदेव को फूटी कौड़ी भी नहीं दी।
जयदेव ने वसीयत को इस आधार पर कोर्ट में चुनौती दी है कि उसे तैयार करते वक्त उनके पिता बाल ठाकरे दिमागी तौर पर स्वस्थ नहीं थे। जस्टिस गौतम पटेल ने शुक्रवार को इस मसले पर सुनवाई जारी रखते हुए कहा, 'यह दोनों पक्षों के हित में है कि वे इस विवाद को मैत्रीपूर्ण तरीके से सुलझा लें।' कोर्ट ने मामले की सुनवाई 17 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। माना जा रहा है कि अगली सुनवाई पर दोनों पक्ष अपने फैसले से कोर्ट को अवगत कराएंगे।
इस मामले के गवाह और पेशे से अधिवक्ता एफ डिसूजा से जयदेव की वकील सीमा सरनाईक ने लगातार दूसरे दिन भी जिरह की। एक सवाल के जवाब में डिसूजा ने बताया कि वसीयत का पूरा मसौदा पढ़ने के बाद ही बाल ठाकरे ने उसपर हस्ताक्षर किए थे। बकौल डिसूजा ठाकरे ने वसीयत में बदलाव की इच्छा भी नहीं जताई थी।