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शिवसेना उपमुख्यमंत्री पद लेने पर अड़ी

मुंबई। महाराष्ट्र में अल्पमत सरकार चला रही भाजपा नरम पड़ गई है। सरकार में शामिल करने के लिए शिवसेना क

By Edited By: Published: Sun, 30 Nov 2014 06:43 AM (IST)Updated: Sun, 30 Nov 2014 03:03 AM (IST)
शिवसेना उपमुख्यमंत्री पद लेने पर अड़ी

मुंबई। महाराष्ट्र में अल्पमत सरकार चला रही भाजपा नरम पड़ गई है। सरकार में शामिल करने के लिए शिवसेना को मनाने की कोशिशें नए सिरे से शुरू हुई हैं। लेकिन शिवसेना उपमुख्यमंत्री पद पर अड़ी हुई है। उसे गृह, राजस्व, लोक निर्माण और जल संसाधन विभाग भी चाहिए। इस पर फैसला अब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को करना है। मातोश्री में शुक्त्रवार को शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे और भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री धमर्ेंद्र प्रधान और चंद्रकांत पाटील के बीच बैठक हुई। हालांकि पहली बैठक बेनतीजा साबित हुई।

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सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्री प्रधान शिवसेना के साथ हुई बातचीत की रिपोर्ट भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सौंपेंगे। इसके बाद अगले दौर की बैठक संभव है।

भाजपा की राज्य इकाई की कोर कमेटी के सदस्यों ने शुक्त्रवार को बैठक की। भाजपा के प्रदेश कार्यालय में हुई बैठक में भाजपा नेता व सहकारिता मंत्री चंद्रकांत पाटील, वित्तामंत्री सुधीर मुनगंटीवार, महिला व बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे और शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े शामिल हुए। इसके बाद केंद्रीय मंत्री धमर्ेंद्र प्रधान और प्रदेश के मंत्री चंद्रकांत पाटील शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री गए। करीब डेढ़ घंटे चली बातचीत में आदित्य ठाकरे और सुभाष देसाई भी शामिल थे।

शिवसेना के सूत्रों ने बताया, 'हमने छह कैबिनेट व चार-पांच राज्य मंत्रियों के पद मांगे हैं।' दो दौर की बातचीत के बाद सह्याद्री अतिथिगृह में शिवसेना व भाजपा नेताओं की देर रात तक चर्चा चलती रही। जिसमें शिवसेना की ओर से केंद्रीय मंत्री अनंत गीते, सुभाष देसाई, अिनल देसाई व भाजपा की ओर से धमर्ेंद्र प्रधान व चंद्रकात पाटील ने भाग लिया। शिवसेना की ओर से उन नेताओं को बैठक से दूर रखा गया, जो पार्टी के सरकार में शामिल होने का विरोध कर रहे थे।

भाजपा की मजबूरी है शिवसेना का साथ

एनसीपी इस समय भाजपा की अल्पमत सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। लेकिन ये समर्थन कितने समय तक रहेगा, कोई कुछ नहीं कह सकता। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार खुद ही अपने कार्यकर्ताओं से मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहने को कह चुके हैं। ऐसे में भाजपा को पांच साल सरकार चलाने कि लिए शिवसेना का साथ जरूरी है।


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