नई सरकार के सामने चुनौती होगी भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई
मुंबई। राज्य में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार के समक्ष भ्रष्टाचार मामलों की जां
मुंबई। राज्य में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार के समक्ष भ्रष्टाचार मामलों की जांच से जुड़ी फाइलों को मंजूरी देना एक चुनौती होगी। भ्रष्टाचार के 76 मामले ऐसे हैं जिनमें एंटी करप्शन ब्यूरो को राज्य सरकार से जांच की अनुमति मिलने का इंतजार है। इनमें से अधिकांश मामले पूर्ववर्ती कांग्रेस-राकांपा सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों व अधिकारियों से जुड़े हैं। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भले ही दावा करें कि उन्होंने सबसे ज्यादा फाइलों को निपटाया।
लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में जांच की मंजूरी देने के मुद्दे पर उनका रिकार्ड खराब रहा है। चव्हाण की चुप्पी का जिन लोगों को फायदा हुआ उनमें पूर्व मंत्री छगन भुजबल के अलावा कई विधायक, आईएएस, आईपीएस व आईएफएस अधिकारी शामिल हैं। ये मामले अब फडणवीस की नई सरकार के समक्ष प्रमुख चुनौती होंगे। क्योंकि भाजपा ने चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया था।
एसीबी ने जिन 76 मामलों में जांच की इजाजत मांगी है उनमें से 44 मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अभियोग चलाने से संबंधित हैं। 13 मामलों में एसीबी जांच करना चाहती है, जबकि 19 मामलों में सरकार से पुनर्विचार की गुजारिश की गयी है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद नियम बनाए गए थे कि एसीबी द्वारा किसी मामले में जांच की इजाजत मांगने पर उसे तीन महीने के अंदर मंजूरी देनी होगी। समयावधि का पालन उस वक्त भी होना चाहिए जब मुकदमा चलाने या चार्जशीट दाखिल करने की इजाजत मांगी जाए। जांच की मांग खारिज होने पर अगर एसीबी पुनर्विचार की मांग करे तब भी इस पर तय समय में फैसला हो। लेकिन चव्हाण सरकार अपने ही बनाए मानदंडों पर खरी नहीं उतरी।