सोहराबुद्दीन मामले में वंजारा को जमानत
मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने सात साल से अधिक समय से जेल में बंद गुजरात के पूर्व आइपीएस अधिकारी डीजी वंजारा को गुरुवार सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में सशर्त जमानत दे दी। हालांकि, वंजारा को अभी अहमदाबाद की साबरमती जेल में ही रहना होगा, क्योंकि इशरत जहां मुठभेड़ मामले में भी वह आरोपी हैं।
न्यायमूर्ति एएम थिप्से ने दो लाख रुपये के निजी मुचलके और एक-एक लाख की दो जमानतें दाखिल करने पर वंजारा को रिहा करने का निर्देश दिया है। अदालत ने वंजारा को सीबीआइ के पास पासपोर्ट जमा कराने और मुंबई की निचली अदालत में सुनवाई चलने तक प्रत्येक सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को उपस्थित होने को कहा है। अगर किसी कारणवश वह कोर्ट में पेश होने की छूट चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें पहले से सूचित करना होगा।
गौरतलब है कि डीआइजी रैंक के अधिकारी वंजारा को 24 अप्रैल 2007 को अन्य दो आइपीएस अधिकारियों राजकुमार पांडियन और दिनेश एमएन के साथ गिरफ्तार किया गया था। इसी वर्ष मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने राजकुमार पांडियन की जमानत अर्जी मंजूर की थी। इसी मामले में आरोपी एक अन्य आइपीएस अधिकारी अभय चूडास्मा को हाल ही में गुजरात सरकार बहाल कर चुकी है। वंजारा पर सोहराबुद्दीन शेख को भी फर्जी मुठभेड़ में मार गिराने का आरोप है।
सीबीआइ के अनुसार, सोहराबुद्दीन व उसकी पत्नी के हैदराबाद जाने के दौरान गुजरात एटीएस द्वारा महाराष्ट्र के सांगली से उन्हें उठा लिया गया था और नवंबर 2005 में गांधीनगर के पास एक कथित मुठभेड़ में मार दिया गया। मुठभेड़ के चश्मदीद गवाह तुलसीराम प्रजापति को भी दिसंबर 2006 में गुजरात के बनासकांठा जिले के चापरी गांव में एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मामले की सुनवाई अहमदाबाद से मुंबई स्थानांतरित की गई थी।