केंद्र सरकार ऊंची कर व्यवस्था में विश्वास नहीं करती: जेटली
मुंबई। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि मोदी सरकार ऊंची कर व्यवस्था में विश्वास नहीं करती है। सरकार बिजनेस के साथ गरीबों के हित में भी काम करना चाहती है। उन्होंने सब्सिडी को तार्किक बनाने और इसके बढ़ते बिल को कम करने पर भी जोर दिया है। शनिवार को भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बिजनेस हितैषी होना गलत नहीं, क्योंकि विकास के लिए देश को निवेश की जरूरत है।
निवेश से रोजगार के मौके बढ़ेंगे और सरकार की भी आमदनी में भी इजाफा होगा। जब तक सरकार को आमदनी नहीं होगी तब तक वह इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण और गरीबों के लिए योजनाएं नहीं चला सकेगी। ऊंची महंगाई को कम बचत का कारण बताते हुए जेटली ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में घरेलू बचत 33 फीसदी से घटकर 30 फीसदी पर आ गई।
वित्ता मंत्री ने कहा, चुनाव से पहले कर्ज माफी जैसी लोकप्रिय योजनाओं से परहेज किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकारी खजाना खाली करने आर्थिक अनुशासन तोड़ने से अर्थव्यवस्था का भला नहीं होगा। यूपीए सरकार ने 2009 के आम चुनाव से पहले किसानों का 52,000 करोड़ रुपये का तथा 2014 के चुनाव से पहले 70,000 करोड़ रुपये का ऋण माफ कर दिया था।गौरतलब है कि साल 2013-14 में सब्सिडी जीडीपी के दो फीसदी तक पहुंच गई थी। सब्सिडी का बोझ बढ़ने से राजकोषीय घाटा भी 4.5 फीसदी तक चला गया। इस साल 4.1 फीसदी या 5.97 लाख करोड़ रुपए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य है। यह पिछले साल से 34,000 करोड़ रुपए ज्यादा है।
वित्ता मंत्री ने कहा कि महंगाई की ऊंची और ग्रोथ की कम दर की मौजूदा हालत को बदलना जरूरी है। तभी विकास स्थायी हो सकेगा। मौजूदा स्थिति के लिए उन्होंने यूपीए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में पूरे एक साल यथास्थिति रही। इसके बाद इसमें गिरावट आई। सीमा और उत्पाद शुल्क घटने से सरकार की आमदनी भी कम हुई। इससे सरकार को ज्यादा उधार लेना पड़ा।