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सिद्धिविनायक मंदिर जमीन विवाद: सरकार को हाईकोर्ट से मिली राहत

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 02:26 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 01:55 AM (IST)
सिद्धिविनायक मंदिर जमीन विवाद: सरकार को हाईकोर्ट से मिली राहत

मुंबई। हाईकोर्ट ने मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर परिसर में भक्तों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए जमीन अधिग्रहण के मामले में राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने जमीन अधिग्रहण को लेकर 14 वषरें से जारी विवाद का अंत करते हुए अधिग्रहण के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है।

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न्यायमूर्ति अनूप मोहता व न्यायमूर्ति एए सैय्यद की खंडपीठ ने इस मामले को लेकर दिए गए फैसले में स्पष्ट किया कि विवादित निजी जमीन का अधिग्रहण न तो सरकार ने अपने लिए और न ही मनपा के लिए किया है। यह जमीन एक चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अधिग्रहित की गई है। यह सार्वजनिक उद्देश्य के दायरे में आता है।

सरकार ने कानूनी दायरे में रहते हुए जमीन का अधिग्रहण किया है। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की उस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि अधिग्रहण के पीछे किसी प्रकार का दुराशय छिपा है और सरकार ने मनमाने तरीके से जमीन का अधिग्रहण किया है।

क्या था विवाद

मूलरूप से विवाद 642 वर्ग मीटर भूखंड से जुड़ा था। यह सदानंद गैरेज के निकट थी। यह जमीन खरीदने के संबंध में मंदिर के ट्रस्ट व जमीन के मालिक के बीच बातचीत भी हुई थी। लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। 2002 में मंदिर के ट्रस्ट के आग्रह पर जमीन के अधिग्रहण की प्रक्त्रिया की शुरुआत की गई थी ताकि मंदिर परिसर से जुड़ी जमीन पर श्रध्दालुओं के लिए प्रतीक्षागृह व विश्राम गृह बनाया जा सके। 2004 में जमीन अधिग्रहण से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया। इसके जमीन के मालिक को एक करोड़ 38 लाख रुपए का भुगतान भी किया गया। साथ ही जमीन पर बसे किराएदारों को 43 लाख रुपए दिया गए। मालिक ने पैसों के भुगतान को स्वीकार कर लिया। लेकिन किराएदारों ने जमीन अधिग्रहण को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

अधिग्रहण जनहित में

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि जमीन का यह हिस्सा मंदिर आनेवाले सभी समुदाय के श्रद्धालुओं द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि जमीन का अधिग्रहण दुराशय से किया गया है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने मंदिर के लिए लोक हित में जमीन का अधिग्रहण किया है। साथ ही यह विवाद मुआवजे के भुगतान के साथ ही समाप्त हो गया था। गौरतलब है कि सिध्दिविनायक मंदिर में रोजाना 55 हजार भक्त आते है। चतुर्थी के समय भक्तों की यह संख्या 20 लाख के आसपास पहुंच जाती है।


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