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100 हत्या करने वाले इस डकैत पर था 2 करोड़ का इनाम

चंबल के बीहड़ों में 70 के दशक में 550 से भी ज्यादा डकैतों का सरगना पंचम सिंह के ऊपर 100 से ज्यादा मर्डर का आरोप था। अब यही पंचम सिंह साधु बनकर पूरे देश में राजयोग का उपदेश देकर लोगों को शांति का मार्ग बता रहे हैं। सरकार ने उनके गिरोह पर 2 करोड़ रुपए का इनाम घोषित कर रखा था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 09 Sep 2016 05:58 AM (IST)Updated: Fri, 09 Sep 2016 06:04 AM (IST)
100 हत्या करने वाले इस डकैत पर था 2 करोड़ का इनाम

ग्वालियर। चंबल के बीहड़ों में 70 के दशक में 550 से भी ज्यादा डकैतों का सरगना पंचम सिंह के ऊपर 100 से ज्यादा मर्डर का आरोप था। अब यही पंचम सिंह साधु बनकर पूरे देश में राजयोग का उपदेश देकर लोगों को शांति का मार्ग बता रहे हैं। सरकार ने उनके गिरोह पर 2 करोड़ रुपए का इनाम घोषित कर रखा था।

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चंबल का खूंखार डकैत बना राजयोग का आचार्य

प्रदेश के कद्दावर मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के गृहनगर डबरा में राजयोग की शिक्षा दे रहे ये महात्मा कभी चंबल के बीहड़ों में खूंखार डकैत रहे थे।

जयप्रकाश नारायण के सामने मुरैना के पगारा डैम के पास पंचम सिंह ने 1972 में अपने 550 सद्स्यीय गिरोह के साथ समर्पण कर दिया था।उसके बाद पंचम सिंह जेल गया, जहां प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य संचालिका दादी प्रकाश डकैतों से चर्चा करने पहुंची थीं।
दादी प्रकाश को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चुनौती दी थी कि वो आध्यात्म से चंबल के डकैतों का जीवन सुधार कर दिखाएं।
दादी प्रकाश की प्रेरणा से पंचम सिंह राजयोग में दीक्षित हो गए, और पूरी तरह आध्यात्म में रम गए।

जेल से बाहर आने के बाद आज 94 साल की उम्र तक पंचम सिंह राजयोगी के तौर पर देश भर में उपदेश दे रहे हैं।


जमीदार के जुल्म से बने थे बागी
चंबल के एक गांव में रहने वाले पंचम सिंह को पंचायत चुनावों में एक नजदीकी को समर्थन देने पर जमींदार के आदमियों ने बेरहमी से पीटा था।
जख्मी होकर पंचम सिंह अस्पताल से इलाज कराकर लौटा तब से तो उत्पीड़न का दौर ही शुरू हो गया। आखिरकार वो अपने 12 साथियों के साथ समाज से बगावत कर चंबल के बीहड़ों में कूद पड़ा। पंचम सिंह के गैंग में 550 डकैत हो गए थे, उनके नाम सैकड़ों डकैतियां और 100 से ज्यादा मर्डर दर्ज हो गए थे। मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार ने कुल मिलाकर उनके गिरोह पर करीब 2 करोड़ का इनाम घोषित किया था।

स्वयं पंचम सिह के ऊपर 100 से ज्यादा मर्डर की एफआईआर पुलिस थानों में दर्ज थीं। पुलिस के जवान उनका सामना करने से कतराते थे। करीब 14 साल तक बीहड़ों में दहशत बने रहे गिरोह ने आखिरकार लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा से आत्मसमर्पण कर दिया।


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