अभी मैं राज्यपाल हूं पर आगे और बहुत कुछ हो सकता है
ग्वालियर। आज का समारोह अनूठा है, जीवन में पहली बार ऐसा समारोह देख रहा हूं। अनूठा इसलिए है क्योंकि मेरा कभी अभिनंदन हुआ ही नहीं। इसलिए उद्बोधन देने की जरूरत भी नहीं पड़ी। मेरा विश्वास है कि अभिनंदन कराने में उतना सुख नहीं मिलता है जितना ऐसे कार्यकर्ता तैयार करने में मिलता है जिनका अभिनंदन हमेशा होता रहे। बाल भवन में रविवार को आयोजित अभिनंदन समारोह में हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कान सिंह सोलंकी ने अपनी भावनाओं को कुछ इस तरह व्यक्त किया।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को सफलता का फंडा बताते हुए कहा कि लोग मेरे पास टिकट के लिए आते थे, लेकिन मेरा हमेशा कहना होता था कि तुम मेहनत से अपना काम करो, टिकट तो खुद तुम्हारे पास चलकर आएगा। उन्होंने कहा कि अभी वे राज्यपाल हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं को निराश होनी की जरूरत नहीं है, क्योंकि आगे और बहुत कुछ हो सकता है।
हम अधूरे हैं इसलिए नहीं मिलती सफलता:
राज्यपाल प्रो. सोलंकी ने कहा कि आपने अभी वंदे मातरम् गीत सुना, लेकिन अक्सर हमारे यहां लोग अधूरा गाते हैं। इसलिए भारत में जो काम होते हैं वह भी अधूरे ही होते हैं। सफलता नहीं मिलने का कारण है हम अधूरे हैं। देश में कमी है इंसानों की, क्योंकि आबादी तो बहुत है, लेकिन इंसान नहीं हैं। आबादी को इंसानों में बदलना बहुत जरूरी है। इसलिए व्यक्ति निर्माण पर जोर देना होगा।
सभी अपनाएं मेरी कार्यशैली:
-अभिनंदन कप्तान सिंह का नहीं हो रहा है, बल्कि मेरे माध्यम से जो काम हुए हैं और जो मेरी कार्यशैली रही है उसका अभिनंदन हो रहा है। यदि मेरी कार्यशैली ठीक है तो सभी को अपनाना चाहिए।
-मेरा जीवन विरोधाभास से भरा है। मैं हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में मैरिट स्टूडेन्ट रहा, लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कहा तो भाई ने यह कहकर इनकार कर दिया कि कर्जा बहुत है। पढ़ाई छोड़ना पड़ी। लेकिन इन परेशानियों से हमें घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि इन विरोधाभास के बेहतर परिणाम भी मिलते हैं।
-जीवन में कभी निराश मत हो, मैंने ऐसे कार्यकर्ता भी देखे हैं जो चुनाव हारे और सीएम बन गए, कुछ कार्यकर्ता चुनाव हारे और बाद में सांसद बन गए। इसके तुरंत बाद उन्होंने कहा अनूप मिश्रा और प्रभात झा मेरे शिष्य भी रहे हैं।
-हरियाणा में पदभार गृहण करने के बाद पहला पत्र जारी किया कि कोई हियर एक्सीलेंसी या महामहिम नहीं कहेगा।
कार्यकर्ताओं को बताया 4-पी का फंडा:
पी[पर्स]: पैसा जिसके लिए हर काम होता है। लोग मेरा क्या मुझे क्या से उठकर विचार करें।
पी[पर्सनल्टी]: पर्सनल्टी की बात आती है तो पैसे का महत्व कम हो जाता है।
पी[प्रॉपर्टी]: लोग प्रॉपर्टी बनाते हैं, लेकिन हमें ऐसे सिद्धात बनाने चाहिए जिससे समाज का भला हो।
पी [पार्टी]: जहां संगठन की बात आती है तो समाजसेवा का भाव मन में आता है और ऐसे में बाकी तीनों चीज गौण हो जाती हैं, हमें जनसेवा का काम पूरी निष्ठा और कर्मठता से निस्वार्थ भावना से करना चाहिए।