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छठी से फिर शुरू होगी फेल करने की प्रणाली, पूरे देश में कॅरिकुलम एक समान

प्रदेश सहित पूरे देश में विज्ञान, गणित व इंग्लिश का कॅरिकुलम एक समान होगा। स्कूलाें में ‘रोके न जाने’ की नीति कक्षा पांच तक ही लागू रहेगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 02 Aug 2016 06:35 AM (IST)Updated: Tue, 02 Aug 2016 06:38 AM (IST)
छठी से फिर शुरू होगी फेल करने की प्रणाली, पूरे देश में कॅरिकुलम एक समान

भोपाल। प्रदेश सहित पूरे देश में विज्ञान, गणित व इंग्लिश का कॅरिकुलम एक समान होगा। स्कूलाें में ‘रोके न जाने’ की नीति कक्षा पांच तक ही लागू रहेगी। इससे बड़ी कक्षाओं में फेल किए जाने की प्रणाली को दोबारा से लागू किया जाएगा। कमजोर छात्रों की सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के आधार पर पहचान की जाएगी।

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कक्षा पांच के आगे ग्रेड के आधार पर डिजिटल लिटरेसी शुरू होगी और कक्षा 6वीं से ही छात्र विज्ञान विषयों में प्रेक्टिकल करना शुरू कर देंगे। यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किए जा रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2016 का ड्राफ्ट तैयार कर जारी कर दिया है। 16 अगस्त तक आम नागरिकों से इस पर सुझाव मांगे हैं। सुझावों के आधार पर नीति में संशोधन किया जाएगा।

पूरे देश में कॅरिकुलम का एक भाग होगा समान
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव विज्ञान, गणित व इंग्लिश के लिए एक समान नेशनल कॅरिकुलम तैयार करना है। सामाजिक विज्ञान जैसे अन्य विषयों के लिए पूरे देश में कॅरिकुलम का एक भाग समान होगा और बाकी राज्यों के विशेषाधिकार पर निर्भर करेगा। कक्षा 10वीं में विज्ञान, गणित व इंग्लिश विषयों मेंं फेल होने की दर ज्यादा होती है। इसे देखते हुए तय किया है 10वीं में इन विषयों की परीक्षा दो स्तरों पर होगी। भाग एक उच्चस्तर का होगा और भाग दो निम्न स्तर का।

भेदभाव बढ़ाने वाले विषय हटेंगे
नई शिक्षा नीति में लिंग, सामाजिक, सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विषमताओं के मुद्दों को कॅरिकुलम में पढ़ाया जाएगा। भेदभाव बढ़ाने वाले मुद्दे, घटनाएं व उदाहरण जो लिंग, विकलांगता, जाति, धर्म आदि के संदर्भ में होंगे, किताबों में शामिल नहीं होंगे।

अंग्रेजी दूसरी भाषा होगी
सभी राज्य और संघ राज्य क्षेत्र कक्षा पांच तक स्कूलों में मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को शिक्षा का माध्यम बना सकेंगे। प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा हो तो दूसरी भाषा अंग्रेजी होगी और तीसरी भाषा का विकल्प का उच्च, प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर रखने का अधिकार अलग-अलग राज्यों व स्थानीय प्राधिकरणों के पास होगा।


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