सिमी आतंकियों के भागने से पहले हटा दिया गया था मुख्य संतरी
सिमी आतंकियों के सेंट्रल जेल से फरार होने के महज पांच दिन पहले ड्यूटी से मुख्य संतरी को हटा दिया गया था।
भोपाल, नईदुनिया। सिमी आतंकियों के सेंट्रल जेल से फरार होने के महज पांच दिन पहले ड्यूटी से मुख्य संतरी को हटा दिया गया था। संतरी बी-ब्लॉक की मुख्य दीवार के बाहर 24 घंटे पहरे पर रहता था। उसके हटने के कारण ही आतंकी दीवार फांदकर आसानी से फरार होने में कामयाब हो सके थे। यह खुलासा जेल ब्रेक की जांच कर रही भोपाल पुलिस ने किया है। हालांकि, इस बारे में अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आए। जांच टीम को आतंकियों के 'आइ-सेल' में बड़ी मात्रा में खाना, कपड़े और जूते मिले हैं। घटनास्थल से एक बैग में चाकू और अन्य सामान भी मिला है।
जानकारी के मुताबिक, आतंकियों को कड़ी सुरक्षा में ए और बी ब्लॉक में रखा गया था। ब्लॉक की सुरक्षा के लिए बनाई गई 10 फीट की दीवार के ऊपर तारों की फेंसिंग लगाई गई थी। इसके बाहर एक संतरी तैनात किया गया था। जांच में सामने आया है कि संतरी को 26 अक्टूबर को हटा दिया गया था। ट्रेनिंग सेंटर की बिल्डिंग पर तैनात एसएएफ के 1-4 का गार्ड भी रात को सो गया था।
पुलिस ने जेल प्रबंधन से बी-ब्लॉक की सभी आइ सेल के ताले मांगे हैं। हालांकि, अब तक पुलिस को सिर्फ फरार सिमी आतंकियों के गेट के ही ताले सौंपे गए हैं। जांच में सामने आया कि है बी-ब्लॉक के तीन सेल में 18 'आइ सेल' थी। इनमें से 16 में आरोपी थे, जबकि एक के अस्पताल में भर्ती होने समेत दो 'आइ सेल' खाली थी। ये सभी सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक ब्लॉक में ही खुले घूमते थे। एक आरोपी अपनी सेल से कभी नहीं निकलता था, जबकि अन्य एक साथ घूमते रहते थे।
आशंका जताई जा रही है कि वह अंदर बैठकर चाबी बनाता रहता था। बी-सेल के 'आइ सेल' के कमरा नंबर-19 से 22 तक जाकिर हुसैन और अन्य दो आरोपी बंद थे। आशंका है कि उन्होंने किसी तरह बाहर आकर रमाशंकर यादव की हत्या कर अन्य सभी आइ सेल के दरवाजे खोल दिए थे। इसके बाद वे फरार हो गए।
सामान पहुंचने का जरिया था थोकबंद खजूर
सेंट्रल जेल ब्रेक करने की साजिश सिमी आतंकी छह माह पहले ही रच चुके थे। इसके तहत उन तक हर वो सामान पहुंच रहा था, जिसकी उन्हें जरू रत थी। सामान पहुंचाने का जरिया था थोकबंद खजूर। जेल के रिकॉर्ड से इस बात की पुष्टि होती है कि आतंकियों को पिछले छह माह से पांच से आठ किलो तक इकठ्ठा खजूर भेजा जाता रहा है। वहीं भागे आतंकियों की सेल से बड़ी मात्रा में कपड़े, जूते, खाने का सामान, ब्लेड, एक बैग में चाकू, टूथब्रश और अन्य सामान का मिलना इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि आतंकियों को बाहर कोई मदद नहीं मिली बल्कि वे जेल से ही पूरी तैयारी के साथ भागे थे।
जांच के लिए आयोग गठन के आदेश जारी
सेंट्रल जेल से फरार होने में सिमी आतंकियों की मदद किसने की? एनकाउंटर के दौरान हालात क्या थे? इन सब परिस्थितियों की जांच के लिए मप्र सरकार ने सोमवार को न्यायिक जांच आयोग के आदेश जारी कर दिए। जांच हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसके पांडे करेंगे। आयोग तीन माह में रिपोर्ट शासन को सौंपेगा। सरकार ने जांच के लिए चार बिंदु तय किए हैं।
सुरक्षा घेरा भेद गए और जेल प्रबंधन सोता रहा
केंद्रीय जेल भोपाल में बंद सिमी के सभी संदिग्ध आतंकियों को ए और बी ब्लॉक की दीवार फांदने से लेकर जेल के बाहर निकलने में करीब 45 मिनट का समय लगा होगा। यह पर्दाफाश पुलिस की जांच में होने के बाद सभी हैरान हैं कि जेल प्रहरी की हत्या के बाद भी कैसे किसी की उन पर नजर नहीं पड़ी।
पहली सूचना तीन बजकर 53 मिनट पर मिली
सूत्रों की मानें तो पुलिस को पहली सूचना तीन बजकर 53 मिनट पर मिली थी। इसका खुलासा कॉल डिटेल से हुआ है। इसके बाद ही पुलिस कंट्रोल रू म और अधिकारियों तक जेल ब्रेक की जानकारी पहुंच पाई। इससे पता चलता है कि जेल अधिकारियों को करीब एक घंटा यह पता लगाने में लग गया कि भागने वाले संदिग्ध सिमी आतंकी हैं।
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अबू फैजल और इकरार के बारे में पूछताछआरोपियों के भागने की सूचना मिलते ही डीआइजी डॉ. रमन सिंह सिकरवार ने सबसे पहले अबू फैजल और इकरार के बारे में जानकारी ली थी। आशंका जताई जा रही है कि इकरार की उम्र अधिक होने के कारण वह आतंकियों के साथ तेजी से नहीं भाग सकता था, इसलिए उसे नहीं ले गए। जबकि, अबू की गतिविधियां संदिग्ध होने के कारण अब उसे विश्वास पात्र नहीं माना जा रहा है। ऐसे में पुलिस को आशंका है कि जाकिर की प्राथमिकता सिर्फ अपने गिरोह के सदस्यों को भगाने में रही होगी।