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70 फीसदी आबादी मीडिया की पहुंच से दूर: कलाम

By Edited By: Published: Thu, 13 Dec 2012 01:09 AM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2012 01:10 AM (IST)
70 फीसदी आबादी मीडिया की पहुंच से दूर: कलाम

भोपाल [नप्र]। मीडिया का पूरा फोकस शहरी क्षेत्रों पर रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली घटनाएं व इनोवेटिव कार्यो को मीडिया कवरेज नहीं मिल पाता है, जबकि 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। मीडिया को ग्रामीण क्षेत्रों की सक्सेस स्टोरी को हाईलाइट करना चाहिए। इस तरह मीडिया देश के विकास में योगदान दे सकता है।

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यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा शोध के महत्व पर रवीन्द्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने व्यक्त किए। इस मौके पर माखनलाल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.बीके कुठियाला भी मौजूद थे। डा. कलाम ने कहा कि निगेटिव स्टोरी लिखना मीडिया की मजबूरी हो सकती है, लेकिन हर जर्नलिस्ट को एक दिन में कम से कम एक पॉजीटिव स्टोरी जरूर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पत्रकार को निर्भीक और स्वतंत्र होना चाहिए। उसे किसी भी परिस्थिति में नैतिकता से समझौता नहीं करना चाहिए। डॉ.कलाम ने अपनी पिछली मध्यप्रदेश यात्रा का अनुभव बताते हुए कहा कि वह अक्टूबर 2010 में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में आए थे। वहां उन्होंने स्कूली बच्चों से मुलाकात की थी। उन्होंने बताया कि होशंगाबाद जिले के एक गांव में स्कूल जाने वाले आदिवासी बच्चे एक अखबार 'बच्चों की पढ़ाई' निकालते हैं। इसमें वह बच्चों की पढ़ाई से जुडे़ स्थानीय मुद्दों को उठाते हैं। उन बच्चों का यह काम पूरे मीडिया जगत के लिए उदाहरण है। डॉ.कलाम ने मीडिया में रिसर्च को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति से कहा कि वह यूनिवर्सिटी में एडीटर और जर्नलिस्ट के लिए भी शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करें।

मिसाइल मेन अब्दुल कलाम ने माखनलाल विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को शपथ दिलाई कि 'हम यंग जर्नलिस्ट अपने प्रोफेशन से प्यार करते हैं, हम हमेशा शोध पर जोर देंगे। देश के विकास से जुड़ी अच्छी खबरों को प्रमुखता देंगे। अच्छा काम करने वालों की सक्सेस स्टोरी को इंजॉय करेंगे और देश को वैभव प्राप्ति में अपना योगदान देंगे।'

डा. कलाम से एक विद्यार्थी ने सवाल किया कि जब आप राष्ट्रपति थे तो क्या आपको कभी ऐसा लगा कि भारत के राष्ट्रपति के पास कोई अधिकार नहीं हैं? इस पर डा. कलाम ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने दस दिन तक संविधान का गहन अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि संविधान भारत के राष्ट्रपति को देश के विकास का विजन देने से नहीं रोकता। मैंने देश के विकास के लिए लोगों को विजन देने का काम किया।

डा. कलाम ने एक सवाल के जवाब में बताया कि जब वह राष्ट्रपति बने तो उन्हें देश के बडे़-बडे़ पत्रकारों से मिलने का मौका मिला। पत्रकारों से उन्होंने पूछा कि आप सनसनीखेज न्यूज क्यों देते हैं। इस पर पत्रकारों ने जवाब दिया कि लोग सनसनीखेज न्यूज देखना चाहते हैं। इस पर डा. कलाम ने उनसे कहा कि मीडिया की जिम्मेदारी लोगों को सनसनीखेज न्यूज परोसने की नहीं बल्कि उनका माइंडसेट बदलने की है, ताकि वह विकास से जुड़ी गंभीर खबरों को पढें़ और सुनें।

डा. कलाम ने अपने उद्बोधन की शुरूआत हिन्दी में 'प्यारे दोस्तो नमस्कार, आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई, आप सबको शुभकामनाएं' बोलकर की। मिसाइलमेन को हिंदी बोलता देख उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।

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