कांग्रेस के पास न नेता: झा
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष प्रभात झा का कहना है मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास न तो शिवराज सिंह चौहान जैसा नेता है और न ही भाजपा जैसा कार्यकर्ता। इतना ही नहीं कांग्रेस को भाजपा जैसा जनसमर्थन भी हासिल नहीं है।
अध्यक्ष के तौर पर झा आठ मई को अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर रहे हैं। इस मौके पर आईएएनएस को दिए साक्षत्कार में झा ने कहा कि कांग्रेस ने राज्य में लम्बे अरसे तक राज किया है और भाजपा को लेकर धारणा थी की यह दल सत्ता में आता-जाता रहता है। मगर अब ऐसा नहीं है। राज्य में भाजपा ने कांग्रेस के स्थान को हासिल कर लिया है और राज्य में राजनीतिक स्थायित्व आ गया है।
झा ने एक जवाब में कहा कि राज्य में भाजपा की सफलता के तीन कारण हैं। एक तो उसके पास शिवराज सिंह चौहान जैसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं, वहीं समर्पित कार्यकर्ताओं का संगठन है। साथ ही जनता का समर्थन उसे हासिल है। तीनों ही चीजें कांग्रेस के पास नहीं हैं।
हाल के दिनों में राजनीतिक विरोधियों द्वारा एक दूसरे पर बढ़े व्यक्तिगत हमलों के सवाल पर झा ने कहा कि जो कीचड़ उछालेंगे तो उन पर भी कीचड़ लगेगा। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि जनजातीय वर्ग की जमीन पर कब्जा करने वाले अपने को जनजातीय वर्ग का हितैषी बताने की कोशिश करते हैं। खुद कीचड़ में धंसे हैं और दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं। ऐसा करेंगे तो उन पर भी कीचड़ लगेगा।
बीते दो वर्ष के कार्यकाल के आकलन को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर मानते हुए झा कहते हैं, ''आकलन करने का काम संगठन, कार्यकर्ता व विश्लेषकों का है। मैंने जब से प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली है तब से अपने काम में लगा हूं। इस अवधि में मैंने 570 मंडल, 50 जिलों का एक से ज्यादा बार दौरा कर कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क जोड़ा है। इतना ही नहीं चारों महानगरों में तो मैं 10 से 12 बार गया हूं।'
झा के मुताबिक, 'प्रवास ही संगठन का प्राण है। इस भाव को लेकर मैं चला हूं और लगातार दौरे कर रहा हूं।' उन्होंने कहा कि बीते दो वर्षो में न तो वे चैन से बैठे हैं और न ही कार्यकर्ताओं को बैठने दिया है। इसी का नतीजा है कि विधानसभा के तीनों उपचुनावों में उनकी पार्टी ने जीत दर्ज की है। नगर पालिका के दो चुनाव को छोड़ दिया जाए तो सभी भाजपा के खाते में गए हैं। इसके अलावा पार्टी से हर वर्ग को जोड़ने के लिए 55 प्रकोष्ठों का गठन किया गया है।
राज्य में सगठन और सत्ता के बीच बढ़ती दूरी को झा नकारते हैं। उनका कहना है कि सत्ता और संगठन के बीच नजदीकी व दूरी मर्यादित होती है। सत्ता और संगठन एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बीच बेहतर सामंजस्य है और जहां तक बात खटपट की है तो थोड़ी बहुत होना आम बात है।
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