राज्यपाल का पद संवैधानिक, नहीं चलाया जा सकता मुकदमा
व्यापमं मामले में फंसे मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उनका पद एक संवैधानिक पद है और उन्हें किसी भी मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता है।
विशेष संवाददाता, भोपाल, नई दिल्ली। व्यापमं मामले में फंसे मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उनका पद एक संवैधानिक पद है और उन्हें किसी भी मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता है। न ही मुकदमा चलाया जा सकता है। इतना ही नहीं, वह संविधान में प्राप्त विशेषाधिकार के तहत कोर्ट को कोई हलफनामा भी नहीं दे सकते है।
राज्यपाल ने यह जबाव सुप्रीम कोर्ट की उस नोटिस के बाद दिया है, जिसमें राज्यपाल के खिलाफ दर्ज एफआईआर को मप्र हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को एक याचिका के जरिए चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए पिछले दिनों ही राज्यपाल सहित केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जबाव देने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई चार हफ्ते की यह समयसीमा 9अगस्त को ही खत्म हो गई थी। तभी से इस बात का इंतजार था, कि राज्यपाल की ओर से इसका जबाव कब आएगा। इसी बीच बुधवार को राज्यपाल की ओर से एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह जबाव कोर्ट में दाखिल किया। जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल का पद संवैधानिक है। वह इस मामले कोई भी हलफनामा नहीं दे सकते है। बता दें कि इस मामले में राज्य सरकार पहले ही अपना जबाव कोर्ट को दे चुकी है।
वन भर्ती मामले में आरोपी है राज्यपाल
एसटीएफ जांच के मुताबिक वन रक्षक भर्ती मामले में राज्यपाल और उनके बेटे आरोपी है। उन पर आरोप है, कि उन्होंने गलत तरीके से कुछ लोगों को इसमें भर्ती कराया है। बता दें कि एसटीएफ ने इस मामले में राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई थी। जिसे बाद में हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
केंद्र पर बचाने का आरोप
कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार इस पूरे मामले में राज्यपाल को बचा रही है।
कांग्रेस के मुताबिक भाजपा के नेताओं को यह डर सता रहा है कि यदि राज्यपाल को हटाया जाता है, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस पूरे घोटाले की आंच आएगी। ऐसे में राज्यपाल को बचाया जा रहा है।