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गवर्नर के खिलाफ एफआईआर पर राज्य सरकार कायम

राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ व्यापमं घोटाले में एफआईआर दर्ज कराने पर राज्य सरकार कायम है। सुप्रीम कोर्ट को दिए गए जवाब में सरकार ने कहा है कि उनके पास राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर करने के पर्याप्त सबूत हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2015 05:04 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2015 05:08 AM (IST)
गवर्नर के खिलाफ एफआईआर पर राज्य सरकार कायम

भोपाल [ब्यूरो]। राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ व्यापमं घोटाले में एफआईआर दर्ज कराने पर राज्य सरकार कायम है। सुप्रीम कोर्ट को दिए गए जवाब में सरकार ने कहा है कि उनके पास राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर करने के पर्याप्त सबूत हैं। इसकी पुष्टी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने की है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में भी राज्यपाल के खिलाफ की गई एफआईआर को सही ठहराया था। इसी बात को राज्य सरकार पुरी ताकत के साथ सुप्रीम कोर्ट में भी रखेगी।

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उल्लेखनीय है कि एसटीएफ ने जेल में बंद आरोपी नितिन महिंद्रा के बयान के आधार पर राज्यपाल के खिलाफ वनरक्षक भर्ती परीक्षा में 5 लोगों को पास कराने के आरोप में 24 फरवरी 2015 को एफआईआर दर्ज की थी। उनके खिलाफ आईपीसी, भ्रष्टाचार निरोधक कानून, एमपी मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई थी। इस मामले में राज्यपाल को नितिन महिंद्रा, पंकज त्रिवेदी के साथ आरोपी नंबर 10 बनाया गया था। इस मामले में राज्यपाल ने संवैधानिक पद पर इम्यूनिटी [संरक्षण] का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में एफआईआर को चुनौती दी थी। राज्यपाल ने एसटीएफ के हर आरोप को झूठा करार दिया था। जिस पर हाईकोर्ट ने उनकी एफआईआर खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अधिवक्ता डॉ. संजय शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और राज्य सरकार से इस मामले में 4 सप्ताह में जवाब मांगा था।

इन आधार पर मिली थी राज्यपाल को राहत

-हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एएम खानविलकर और रोहित आर्य ने 5 मई को राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर रद्द निम्नलिखित आधार पर की।

-एफआईआर में आरोपी नंबर दस की फर्जीवाड़े में भूमिका का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है।

-सहआरोपी द्वारा सिर्फ इतनी जानकारी है कि राज्यपाल ने 5 लोगों की सिफारिश की थी।

-राज्यपाल और राष्ट्रपति को उनके कार्यकाल के दौरान संविधान के अनुच्छेद 361 में विशेषषाधिकार है, इसलिए उन पर आपराधिक मुकदमा नहीं चल सकता।

-यदि बहुत जरूरी हो तो जांच करने वाला ऑफिसर, जांच टीम के हेड एडीजी के साथ राजभवन में जाकर बयान दर्ज कर सकता है, ताकि राज्यपाल की गरिमा बरकरार रहे।

-एफआईआर में आरोपी नंबर 10 का नाम हटाकर पुलिस जांच आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है।

-राज्यपाल का कार्यकाल खत्म होने के बाद यदि जरूरी हुआ तो रामेश्वर यादव के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।


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